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डीजे पर प्रतिबंध लगाने वाला बूंदी प्रदेश का पहला जिला

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बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन द्वारा मार्च माह में शोभायात्रा, धार्मिक आयोजनों व जुलूस पर डीजे के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया था। ऐसा करने वाला बूंदी जिला राजस्थान का डीजे पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला जिला है। जिसका सभी सामाजिक ,धार्मिक संगठनों ने अपनी सहमति देकर निर्णय का स्वागत किया था। उस मुहिम का असर अब दिख रहा है। समाजों ने इस निर्णय का न केवल स्वागत किया, बल्कि डीजे नहीं बजाने के सहमति पत्र भी पुलिस व प्रशासन को सौंपे थे। 17 मार्च से अब तक 12 से ज्यादा शोभायात्राएं व जुलूस बिना डीजे के निकाले जा चुके हैं। इस निर्णय का स्वागत करते हुए राज्य मंत्री चांदना ने भी शनिवार को शुरू की गई अपनी 75 किमी की कावड़ यात्रा में डीजे का उपयोग नहीं कर मुहिम का हिस्सा बने। इसकी हर कोई प्रशंसा करते हुए दिख रहा है। पुलिस व जिला प्रशासन ने भी इसकी प्रशंसा की है। इसके पीछे प्रशासन का तर्क था कि बच्चों की परीक्षाएं हैं और डीजे से ध्वनि प्रदूषण भी होता है।
सबसे पहले गौतम ब्राह्मण समाज ने आगे आते हुए इसका समर्थन किया था। इसके बाद मीणा समाज, सिंधी समाज, गुर्जर समाज, सिख समाज, बैरवा समाज, मेघवाल समाज, जांगिड़ समाज, कुमावत समाज, जैन समाज, रैगर समाज ने समर्थन दिया। हिंदू नववर्ष और रामनवमी की शोभायात्रा भी इसके बगैर निकाली गई। डीजे की आवाज के लिए एक मानक निर्धारित है, लेकिन इसकी पालना नहीं होती। जिलेभर में इनकी संख्या 400 के पार हो गई है। डीजे के कारण पारंपरिक बैंडबाजे व वाद्य यंत्रों की पूछ परख खत्म सी होती जा रही थी। इससे बेरोजगारी बढ़ी है, क्योंकि डीजे को एक व्यक्ति संचालित कर सकता है, जबकि बैंडबाजों में 20 से 30 लोग होते हैं। हालांकि डीजे बंद होने का दूसरा पहलू यह भी है कि जिलेभर के करीब 400 लोगों को दूसरा रोजगार करना होगा।

तेज साउंड से कानों की नसें डैमेज हो सकती हैं, सुनने में आती है दिक्कत
सामान्य अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. रघुवीर मीणा के अनुसार आवासीय एरिया में डीजे की आवाज दिन के समय 55 व रात के समय 45 डेसिबल निर्धारित है। व्यावसायिक एरिया में दिन के समय 75 व रात के समय 70 डेसिबल तक डीजे बजाया जा सकता है। एक व्यक्ति की 85 डेसिबल आवाज सहन करने की क्षमता होती है, वर्तमान में डीजे की आवाज 150 से 200 डेसिबल के पार जा रही है। एक व्यक्ति 100 डेसिबल की आवाज को ज्यादा से ज्यादा 14 मिनट तक सुन सकता है, तेज साउंड के कारण ये नसें डैमेज हो जाती हैं, जिससे सुनने में दिक्कत होने लगती है।

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डीजे पर प्रतिबंध लगाकर पुलिस द्वारा दी गई मिसाल की पालना स्वागत योग्य है। आने वाले सभी धार्मिक आयोजनों में इसकी पालना कराई जाएगी।
रामकुमार कस्वां अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बूंदी

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