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जिले में किसानों को नहीं मिल रहा खाद, चक्काजाम लगाने को मजबूर

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भिण्ड.ShashikantGoyal/ @www.rubarunews.com>> प्रदेश सहित जिले में खाद की कमी होने की वजह से किसान खाद नहीं ले पा रहे हैं खाद लेने के लिए आए किसानों को लम्बी लम्बी कतारों में लगने के बाद भी खाली हाथ वापस लौटना पड़ रहा है। जिससे किसानों ने आक्रोशित होकर कई बार सड़क पर जाम लगाया लेकिन स्थानीय पुलिस प्रशासन और जनप्रतिनिधि के आश्वासन पर जाम खोला गया और स्थिति सामान्य हो पायी लेकिन ये खाद की परेशानी एक जगह की नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की है जहां किसानों बोवनी निकट है और खाद की आवश्यकता पडऩे पर खाद पर्याप्त मात्रा में न मिल पाना बेहद चिंताजनक है। खासकर डीएपी को लेकर आपूर्ति एक बड़ा सवाल बन रही है, जिसका खामियाजा अन्नदाता को भुगतना पड़ रहा है। खाद का इंतजार करतीं फसल खेतों में खड़ी हैं और अन्नदाता खाद लेने के लिए लाइन में खड़ा है। ऐसे में खाद वितरण केंद्र पर पहुंचकर हालातों का जायजा लिया और प्रशासन के दावों का रियलिटी चेक किया।

सरकारी दावों की पोल खोल रही खाद की किल्लत

मध्यप्रदेश का छोटा से जिला भिंड कहने को 20 लाख की आबादी वाला जिला है, लेकिन इस क्षेत्र की आय का सबसे बड़ा जरिया खेती और तबका किसान है. हालिया स्थिति में दोनों की हालत ठीक नही है. इलाके के ज्यादातर खेतों में बाजरा और ज्वार की फसल तैयार हो रही है. खाद की कमी इन फसलों को बर्बाद करने पर तुली हैं. शासन और प्रशासन जिले में पर्याप्त मात्रा में फर्टिलाइजर उपलब्ध होने का दावा कर हैं, लेकिन लाइन में लगकर खाद लेने के लिए पहुंच रहे किसानों की पीड़ा उन दावों की पोल खोल रही है, खाद वितरण केन्द्रों पर लम्बी कतारें

किसानों से खाद को लेकर स्थिति जानने के लिए ईटीवी भारत भिंड स्थित एमजेएस ग्राउंड के पास बनाए गए खाद वितरण केंद्र पर पहुंचा, तो पाया कि केंद्र पर किसानों और महिलाओं की लम्बी कतारें लगी थीं. कुछ लोग घंटों से खड़े थे, तो कई किसान सुबह 6 बजे से अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। किसानों ने बताया कि वह सुबह छह बजे से लाइन में लगे हैं, लेकिन केंद्र पर पर्याप्त व्यवस्थाएं न होने की वजह से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अमूमन केंद्र खोलने का समय सुबह 11 बजे है, लेकिन कर्मचारी 12 बजे के बाद ही पहुंचते हैं। इसी वजह से लाइन लंबी हो रही हैं। रकबे के हिसाब से भी नहीं मिल पा रहा फर्टिलाइजर

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डीएपी और यूरिया लेने पहुंचे एक अन्य किसान ने बताया कि वे सुबह से अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन केंद्र पर डीएपी और यूरिया देने की सीमा तय कर दी गई है. उन्होंने बताया कि केंद्र पर आधार कार्ड और किताब दोनों होने पर 2 बोरी डीएपी और एक बोरी यूरिया दिया जा रहा है। यह मात्रा उनके खेत के लिए पर्याप्त नहीं है। उनकी 15 बीघा जमीन के लिए कम से कम 10 बोरी डीएपी और पांच बोरी यूरिया चाहिए। किसानों ने सेंटर पर लगाया ब्लैक में बेचने का आरोप

एक अन्य किसान ने बताया की वह पिछले 3 दिन से लगातार डीएपी लेने के लिए आ रहा है, लेकिन स्टॉक न होने से उसे खाली हाथ लौटना पड़ रहा था। उसने यह भी आरोप लगाया कि बाजार में प्रतीत दुकानों पर ब्लैक में महंगा डीएपी उपलब्ध है. स्टॉक भरे पड़े हैं, लेकिन दो दिन पहले केंद्र पर रैक आने के बाद भी डीएपी नहीं दिया जा रहा है। किसान ने मिलीभगत कर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगया. जमना रोड स्थित सोसाइटी पर पहुंचने पर खाद ले रहे एक किसान से जब हमने बात की तो उसका कहना था कि उसने दो आधारकार्ड लगाकर 10 बोरी यूरिया लिया है, लेकिन डीएपी नहीं है। किसानों के खाते में सिर्फ 20 प्रतिशत डीएपी कृषि विभाग  के एडीओ जितेंद्र सिंह राठौर ने बताया कि जिले में यूरिया की कोई कमी नहीं है, लेकिन बीएसपी स्टॉक के मुताबिक वितरण किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा दिये गए फैसले के अनुसार जो किसान अपने आधार कार्ड और किताब लेकर आ रहे हैं, उनके लिए अधिकतम तीन बोरी डीएपी और पांच बोरी यूरिया देने का निर्देश हैं। वहीं जिन किसानों के पास किताब नहीं है उन्हें दो बोरी यूरिया दिया जा रहा है। डीएपी नही दे पा रहे हैं। उनका कहना था कि वर्तमान में 200 टन डीएपी उपलब्ध कराया गया था, जिसमें से 80 फीसदी क्रेडिट पर लेने वाली सोसायटियों को भेज दिया गया है।

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