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पांच साल बाद मिला अस्तित्व के लिए जूझती एरू नदी को न्याय

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बून्दी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- भीलवाड़ा के घने जंगलों से निकल कर तिलस्वां महादेव के चरण पखारते हुए बून्दी जिले के बरड़ क्षेत्र की प्यास बुझाते हुए चंबल नदी में समाहित होने वाली ऐरू नदी को 5 वर्षों के संघर्ष के बाद अब नवजीवन मिल सकेंगा। राजस्थान उच्च न्यायलय के आदेश के बाद एकबार फिर ऐरू नदी इठलाती हुई बलखाती हुई चंबल नदी में जाकर मिल सकेंगी। यह संभव हुआ हैं पर्यावरण प्रेमी चबंल संसद तथा पीपुल्स फॉर एनीमल के बून्दी जिला प्रभारी विठ्ठल सनाढ्य की उस जनहित याचिका के बदौलत, जो उन्होंने ऐरू नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए वर्ष 2018 में लगाई थी। याचिका की सुनवाई करते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय ने नदी में हो रहे अवैध खनन को रोकने के साथ ही नदी में पड़े मलबे को हटाने के आदेश जारी किए, जिसके बाद सालों से अवैध खनन का शिकार हो रही ऐरू नदी का कायाकल्प होगा। गौरतलब हैं कि 2018 में पर्यावरण प्रेमी सनाढ्य ने एडवोकेट महेंद्र सिंह कच्छावा के माध्यम से ऐरू नदी में अवैध अतिक्रमण और अवैध खनन को लेकर जनहित याचिका दायर कर नदी में हो रहे अवैध खनन को तत्काल रोकने तथा नदी का सीमांकन करवा कर नदी को पुनर्जीवित करने की मांग की थी।
अवैध खनन व अतिक्रमण का शिकार बनी एरू नदी
ऐरू नदी, भीलवाड़ा के तिलस्वा महादेव मंदिर के पास से बहती है और बूंदी तथा मुकुन्दरा होते हुए चंबल नदी में समा जाती है, अवैध खनन के कारण छलनी हो चुकी है। बरसों से एरू नदी में खनन माफिया अवैध रूप से पत्थर तथा पट्टी फर्सी का खनन कर रहे है। वर्तमान समय में हालात यह है कि कोई भी ये नहीं कह सकता कि ये एक नदी है। जहाँ देखो वहां पत्थर और पट्टियों और खनन मलबे के ही ढ़ेर नजर आते है। अवैध खनन के चलते एरू नदी जलधारा की जगह खनन मलबे को अपनी छाती पर धरे बैठी हैं। खनन माफिया ने इस एरू नदी को अवध खनन करते हुए मात्र डंपयार्ड बना कर छोड़ दिया।
पर्यावरण प्रेमी विठ्ठल सनाढ्य ने बताया कि ऐरू नदी में भीलवाड़ा जिले के एक गांव से तिलस्वा, काट का बाड़ा, बाणियों का तालाब, आरोली तथा बूंदी के धनेश्वर, पीपलदा, राजपुरा, राणाजी का गुडा, लांबाखोह, मुकंदरा नेशनल पार्क, अंबारानी मंदिर तक बेतरतीब अवैध खनन हो रहा है, जिससे समूची नदी का मूल स्वरूप समाप्त होकर पूरी नदी में गड्ढे पड़ गए है।
वाटरमैन राजेन्द्र सिंह से मिली प्रेरणा
याचिकाकर्ता वन प्रेमी चम्बल संसद के प्रभारी विठठल सनाढ्य ने बताया कि भीलवाड़ा के 6 गांवों के बाद बून्दी जिले के 3 गांव में होती हुई मुकंदर टाईगर रिजर्व में होकर चंबल नदी में मिलने वाली ऐरू नदी की हालत देख कर इसके अस्तित्व को बचाने का विचार आया। जिसकी प्रेरणा जल बिरादरी के अध्यक्ष व वाटररमेन राजेन्द्र सिंह से मिली और 2018 में राजस्थान उच्च न्यायालय में अस्तित्व के लिये जंग लड़ रही ऐरू नदी को बचाने के लिए जनहित याचिका दायर की।
यह रही अस्तित्व बचाने की यात्रा
वर्ष 2018 में पर्यावरण प्रेमी विठ्ठल सनाढ्य ऐरू नदी की दुर्दशा की जानकारी मिलने पर मौके पर पहुंचे और ऐरू नदी की दुर्दशा देखकर आश्चर्यचकित रह गए। इन्होंने वन विभाग के तत्कालीन रेंजर से पूछा कि क्या यह उबड खाबड जमीन जमीन वन विभाग की है? तो रेंजर ने जवाब दिया कि यह जमीन नहीं ऐरू नदी है। पर्यावरण प्रेमी सनाढ्य ने इसकी जानकारी पीपुल्स फॉर एनिमल संस्था के प्रदेश प्रभारी बाबूलाल जाजू को दी और ऐरू नदी के अस्तित्व को बचाने की यात्रा शुरू हुई। पर्यावरण प्रेमी विठ्ठल सनाढ्य ने वर्ष 2018 में एडवोकेट महेंद्र सिंह कच्छावा के माध्यम से राजस्थान उच्च न्यायालय में की डबल बेंच में जनहित याचिका दायर कर कोर्ट के समक्ष में अवैध खनन के भयावह फोटो पेश कर अधिवक्ता के माध्यम से हालातों से अवगत करवाया। 2023 तक चले इस मामले में उच्च न्यायालय ने ऐरू नदी और पर्यावरण प्रेमी सनाढ्य के पक्ष में फैसला सुनाते हुए आदेश दिया कि ऐरू नदी क्षेत्र में अवैध खनन को तुरंत रोका जाए और इसका सीमांकन करवाकर इसके कायाकल्प के सभी कार्य किये जाए। न्यायालय के आदेश आने के बाद बूंदी जिला कलेक्टर ने डीएमएफटी फंड से 10 करोड़ रुपये की लागत से योजना बनाकर राज्य सरकार को भेजी है, जिसमें ऐरू नदी का पूरा मलबा हटाकर दोनों तरफ पिलर लगाया जाना प्रस्तावित है। राज्य सरकार से राशि स्वीकृत होने के बाद कार्यकारी एजेंसी जल संसाधन विभाग द्वारा यह कार्य करवाया जाएगा।
इनका कहना है
न्यायालय ने माइनिंग विभाग को ऐरू नदी से मलबा हटाने के निर्देश दिये है। इसके बाद कलेक्टर ने जल संसाधन विभाग से मलबा हटाने का एस्टीमेट बनवा कर अप्रूवल के लिए सरकार को भेजा है। राज्य सरकार से राशि स्वीकृत होने के बाद कार्यकारी एजेंसी जल संसाधन विभाग द्वारा कार्य कराया जाएगा।
मनीष वर्मा, खनि अभियंता, बूंदी प्रथम
—————————
एरू नदी का अस्तित्व बचाने की लड़ाई पांच साल तक उच्च न्यायालय में लड़ी हैं। न्यायालय ने हमारी बात को स्वीकार करते हुए नदी क्षेत्र से अतिक्रमण और अवैध खनन को रूकवा कर मूल स्वरूप को बनाने के निर्देश जारी किए हैं। मामले में अधिवक्ता महेन्द्र सिंह कच्छावा के सराहनीय प्रयास रहे हैं।ऐरू नदी में खनन माफिया वर्तमान मे अवैध रूप से पत्थर, फशी, पट्टियों का खनन कर रहे है। प्रशासन को उच्च न्यायालय के फैसले को पालना अविलंब करनी चाहिए।
विठठल सनाढ्य, याचिका कर्ता व बून्दी प्रभारी, पीपुल्स फॉर एनिमल व चंबल संसद

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