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यह ज्ञान साझेदारी, इस एमओयू के माध्यम से, न केवल राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान, नीति संवाद और प्रकाशन तथा भारतीय पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में क्षमता निर्माण के लिए अकादमिक सहयोग व सहभागिता को मजबूत करने का काम करेगी, बल्कि निर्धारित समय-सीमा में आयुष सेवा क्षेत्र की आमूल अवधारणा भी प्रस्तुत करेगी। इसके अलावा आयुष मंत्रालय और आरआईएस के बीच अकादमिक सहयोग में फोरम ऑन इंडियन ट्रेडिशनल मेडिसिन (एफआईटीएम) को जारी रखना भी शामिल है।
एमओयू पर हस्ताक्षर करते समय, सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा, “आयुष मंत्रालय ने आरआईएस के साथ बहुत पहले ही काम शुरू कर दिया है और एफआईटीएम का गठन किया गया है। एफआईटीएम के माध्यम से, आरआईएस ने कई नीति पत्रों, नीति निर्देशों आदि में योगदान दिया है। इस समझौता-ज्ञापन के माध्यम से, आयुष मंत्रालय इस काम को जारी रखने के लिए सहमत हुआ है।”
सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने आरआईएस (भारत में आयुष क्षेत्र: संभावनाएं और चुनौतियां) की पिछली रिपोर्ट पर भी प्रकाश डाला और कहा कि, “इस रिपोर्ट के माध्यम से यह स्पष्ट हो जाता है कि आयुष विनिर्माण क्षेत्र पिछले 9 वर्षों में 8 गुना बढ़ गया है।” आरआईएस भी समयबद्ध तरीके से आयुष सेवा क्षेत्र पर इसी तरह की रिपोर्ट जारी करेगा। सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने भी सक्रिय रूप से काम करने और आयुष क्षेत्र के लिए बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करने के लिए आरआईएस की सराहना की।
आरआईएस के महानिदेशक प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी ने एमओयू के दायरे पर प्रकाश डाला और कहा, “अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में बाजार अनुमान, उत्पाद मानकीकरण, विनियम आदि के समावेशी और व्यापक अवलोकन की निरंतर आवश्यकता है और एफआईटीएम लगातार इस दिशा में काम कर रहा है।”
आयुष क्षेत्र के बढ़ते दायरे के बारे में बताते हुए, महानिदेशक प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी ने कहा, “आयुष क्षेत्र में पर्यटकों की कम आमद के बावजूद महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा प्रदान करके चिकित्सा पर्यटन का केंद्र बनने की क्षमता है। आरआईएस संबंधित रोडमैप पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है, क्योंकि यह समय की मांग है। आरआईएस का सबसे महत्वपूर्ण काम आयुष सेवा क्षेत्र के आकलन को पूरा करना है और आरआईएस ने इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।”
प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी ने आयुष क्षेत्र के प्रचार-प्रसार के लिए जैव विविधता की सुरक्षा के बारे में भी विस्तार से बताया और कहा, “आयुष क्षेत्र का विकास जैव विविधता की सुरक्षा और रखरखाव के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है और जैव विविधता अधिनियम 2002 के संबंध में नए तरीकों से सोचने की जरूरत है। आयुष परिप्रेक्ष्य से कहा जाए, तो यह केवल इसलिए नहीं है कि हम जैव विविधता का उपयोग करते हैं, बल्कि आने वाले वर्षों के लिए जैव विविधता की सुरक्षा भी करते हैं।”
एमओयू हस्ताक्षर समारोह में संयुक्त सचिव बीके सिंह, संयुक्त सचिव श्रीमती भावना सक्सेना, सलाहकार आयुर्वेद डॉ. मनोज नेसारी व कोस्तुभ उपाध्याय, सलाहकार यूनानी डॉ. एमए कासमी, प्रधान सलाहकार पीके पाठक सहित आयुष मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी तथा आरआईएस व एफआईटीएम की डॉ. नम्रता पाठक, डॉ. सरीन एनएस और अन्य लोग भी उपस्थित थे।
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