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बूंदी की समृद्ध जैवविविधता में जुड़ा एक और दुर्लभ वन्यजीव, रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व दिखी मछुआरा बिल्ली

बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- जिले के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के जंगलों में वन्यजीवों की संख्या व लुप्तप्राय प्रजातियों की उपस्थिति बनी हुई है। हाल ही में टाइगर रिजर्व में दुर्लभ प्रजाति की सियागोश व एशियाई वाइल्ड केट मिलने के बाद अब यहां फिशिंग केट या मछुआरा बिल्ली की भी मौजूदगी दर्ज की गई है। राजस्थान में अब तक भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान एवं रणथंभौर टाइगर रिजर्व में ही इसकी उपस्थिति दर्ज की गई है। अब बूंदी में भी इस दुर्लभ प्रजाति की बिल्ली के कैमरा ट्रेप में आने से यहां की समृद्ध जैवविविधता उजागर हुई हैं। जानकारी के अनुसार टाइगर ट्रेकिंग में लगे युवा फील्ड बायलोजिस्ट नयन उपाध्याय को टाइगर ट्रेकिंग फोटोट्रेप कैमरे में मछुआरा बिल्ली का फोटो मिला। टाइगर रिजर्व के उपवन संरक्षक देवेंद्र सिंह भाटी ने टाइगर रिजर्व क्षेत्र की टाइगर हिल पर मछुआरा बिल्ली मिलने की पुष्टि की है। आमतौर पर यह बिल्ली नदियों, झीलों या दलदली जगहों पर मिलती है बूंदी में यह बिल्ली जहां मिली है उसके पास ही जैत सागर झील है जिससे यह अनुमान है कि यह इसी झील की कंदराओं में रहती है तथा और बिल्लियां भी मिलने की संभावना है।

भारत में बिल्ली परिवार की 15 प्रजातियां, बून्दी में अब तक 7 की मौजूदगी मिली

भारत में जगंली बिल्ली परिवार की 15 प्रजातियां पाई जाती हैं। लेकिन ज़्यादा ध्यान अमूमन बड़ी बिल्ली प्रजातियों जैसे शेर, बाघ व बघेरों पर ही दिया जाता है। लोगों को छोटी जंगली बिल्लियों, जैसे स्याहगोश (caracal), रोहित-द्वीपी बिल्ली (rusty spotted cat), मछुआरा बिल्ली (fishing cat) आदि के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है। ये छोटी और गुमनाम बिल्लियां भी उचित पहचान की हकदार हैं, क्योंकि इनमें से कई लुप्त होने के कगार पर है। मछुआरा बिल्ली अक्सर वेटलैंड के आसपास रहना पसंद करती है। यह पश्चिम बंगाल की राज्य पशु है और ये बिल्लियां आकार में घरेलू बिल्ली से दुगनी होती हैं, वज़न 7 से 12 किलोग्राम होता है, और इनके भूरे-भूरे रंग के बालों पर काले चकत्ते होते हैं। अपने इलाके में यह बिल्ली अक्सर शीर्ष शिकारी होती है, यानी कोई अन्य प्राणी इनका शिकार नहीं करता। इन बिल्लियों का आहार मुख्य रूप से मछली है, हालांकि पक्षी और अन्य छोटे जानवर खाने से भी ये परहेज़ नहीं करती हैं। उथले पानी में बिल्ली धीरे-धीरे चलती रहती है, अपने पंजों से मछली को उचकाती है और फिर उसे मुंह से पकड़ लेती है। बून्दी के जंगलों में इसका मिलना एक सुखद एवं रोमांचक अनुभव है। रामगढ़ टाइगर रिजर्व बनने के साथ ही यहां पर लगातार बड़ी व छोटी बिल्लियों की संख्या बढ़ रही है जो इस टाइगर रिजर्व के लिए अच्छा संकेत है। इस बिल्ली की संख्या लगातार कम होती जा रही है और इसे भारतीय वन्यजीव संरक्षण कानून की अनुसूची प्रथम में शामिल किया गया है तथा Fishing Cat एक संकटग्रस्त प्रजाति है, जो IUCN रेड लिस्ट में असुरक्षित (Vulnerable) श्रेणी में दर्ज है। इसका RVTR में पाया जाना इस उभरते टाइगर रिजर्व के महत्व को और बढ़ा देता है। गौरतलब है कि वन क्षेत्रों में विकास और बढ़ते जैविक दबाव के कारण जंगली बिल्लियों की संख्या कम हो रही है। इसके अलावा इनकी आकर्षक खाल के कारण यह शिकारियों की नजरों में रहती है।

रामगढ़ में हुई बिल्ली परिवार की सात प्रजातियां

रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में मछुआरा बिल्ली, एशियाई वन बिलाव, सियागोश व रस्टी स्पॉटेड कैट जैसी दुनियां की दुर्लभ जंगली बिल्लियां मौजूद है। इसके अलावा सामान्य वन बिलाव भी बड़ी संख्या में बून्दी के जंगलों में पाए जाते हैं। रामगढ़ के जंगल बाघ व बघेरों जैसी बड़ी बिल्लियों के लिए सदियों से प्रसिद्ध रहे है। अब यहां दुर्लभ प्रजाति की छोटी बिल्लियां भी फोटोट्रेप कैमरे में कैद हुई है जिससे यहां के जंगलों की समृद्ध जैवविविधता की झलक मिलती है।
(पृथ्वी सिंह राजावत, पूर्व मानद वन्यजीव प्रतिपालक, बूंदी)