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इंदौर.Desk/ @www.rubarunews.com>> देश-दुनिया पीछे मुड़े बिना निरंतर तरक्की करने को कदम बढ़ा चली है। बड़ी संख्या में कई विकासशील देश अब विकसित देश(Developing countries now developed countries) की उपाधि प्राप्त करने की प्रतिस्पर्धा का अहम् हिस्सा हैं। लेकिन कहते हैं न कि बड़ी-बड़ी कामियाबियों के बाद भी कोई न कोई कसर रह जाती है। ऐसी ही एक बहुत बड़ी कमी लिए खड़ा है भारत। जी हाँ, रुपयों और मेहनत के मूल्य को नकारते हुए देश में कई ऐसे कार्यों को अंजाम दिया जाता है, जिन पर यदि विराम लग जाए, तो वास्तव में भारत अतुलनीय बन जाएगा।
अतुल मलिकराम(Atul Malikram) कहते हैं कि हमारे देश में कई वर्षों से टूट-फूट का शिकार होती सड़कों को करोड़ों रुपयों की लागत से बनाया जाता है। कुछ दिन भी गाड़ियाँ इन पर राहत से दौड़ नहीं पाती हैं, और बनी बनाई सड़कों पर फिर तोड़-फोड़ शुरू कर दी जाती है। इसका कारण यह है कि किसी विशेष प्रकार की लेन या ड्रैनेज लाइन उस सड़क में डालना रह जाती है। यदि बेहतर रूप से पहले ही योजना(Planning) बना ली जाए, तो पुनःनिर्माण की मानसिकता से पीड़ित तत्वों को तोड़-फोड़ करने की आवश्यकता ही न हो। एक अन्य बेहद महत्वपूर्ण उदाहरण यह भी है कि वर्षों की कमाई और कड़ी मेहनत से बनाया गया ऊँचा-पूरा भवन या मकान(High rise building) पल भर में धूल में मिला दिया जाता है, सिर्फ इस वजह से कि किसी कारणवश उसे अवैध करार कर दिया गया है। आए दिन भारत में आम खबर के रूप में सुनने के साथ ही हम हर गली और नुक्कड़ पर न जाने कितने ही भवनों पर बुलडोजर चलता देख लेते हैं। खबर छपती है कि फलाने शहर का फलाना भवन अवैध था, इसलिए तोड़ दिया गया।
अन्य देशों में रातों-रात बड़े-बड़े भवनों आदि का निर्माण किया जाता है, लेकिन हमारे भारत में निर्माण से ज्यादा तोड़-फोड़ देखने को मिलती है। यदि इन्हें उजड़ने से बचाने के विषय पर गंभीरता से विचार किया जाए, तो सरकारी तथा सामाजिक कार्यों(Government and Social Work) हेतु इन भवनों को काम में लिया जा सकता है। लाखों रूपए साल किराया देने वाले सरकारी भवनों को इन अवैध भवनों(Illegal buildings) में स्थापित किया जा सकता है, जिससे तोड़-फोड़ तो बचेगी ही, साथ ही साथ बड़ी संख्या में किराया भी बच जाएगा। किराए में व्यर्थ होने वाले इस धन का उपयोग निश्चित तौर पर देश के विकास में कारगर साबित होगा। इसका एक अत्यंत विशेष सदुपयोग इस प्रकार भी हो सकता है कि इन भवनों में बेबस तथा लाचार व्यक्तियों और उनके परिवारों को स्थान दिया जाए। इन अवैध भवनों के माध्यम से किसी मजबूर को रहने के लिए छत मिल जाएगी। अवैध भवनों को धूल में मिलाने के बजाए उनके सदुपयोग को लेकर देश में विशेष कानून बनाना चाहिए। सरकार को चाहिए कि इस विषय पर गंभीरता से विचार करे और इमारतों पर बुलडोजर पर पूर्णविराम(full stop) लगाए।
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