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बच्चों में रीडिंग हैबिट विकसित की जाएगी

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श्योपुर.Desk/ @www.rubarunews.com>> प्रदेश की समस्त शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं के बच्चों में रीडिंग हैबिट विकसित करने के उद्देश्य से हमारा घर-हमारा विद्यालय अंतर्गत खूब पढ़ो अभियान प्रारंभ किया गया है। भाषा की समझ समस्त विषयों को समझने का प्रमुख आधार है। अभियान का प्रथम चरण 24 अगस्त  से 24 सितंबर 2020 तक संचालित किया जाएगा। कोविड-19 की परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए घर में ही उपलब्ध सीखने के संसाधनों जैसे पाठ्य-पुस्तक, अखबार, गीत-कहानी की पुस्तकें, उपन्यास आदि का उपयोग करते हुए भाषा-कौशल को विकसित करने व उसे नियमित रखने के लिये प्रत्येक बच्चे के अभिभावक, बड़े भाई-बहन द्वारा पढ़ने की गतिविधियाँ संपन्न कराई जा सकती हैं।
इस संबंध में आयुक्त, राज्य शिक्षा केंद्र,  लोकेश कुमार जाटव ने सभी जिला अधिकारियों को निर्देशित किया है कि खूब पढ़ो अभियान की प्रमुख गतिविधियों सुनना-बोलना, लिखना-पढ़ना और एक मिनट के खेल को प्राथमिकता के आधार पर करवायें।
सुनना-बोलना
बच्चे अपने घर में बड़ों से कहानी सुनें और उसे दोहराने का अभ्यास करें ताकि बच्चों की याददाश्त तेज हो सके। कहानियों के जरिये बच्चे नवीन शब्दों से परिचित होते हैं तथा उनका शब्दों का उच्चारण बेहतर होता है।
पढ़ना
विद्यार्थी अपनी पाठ्य-पुस्तक से प्रतिदिन कोई एक कहानी या कविता पढ़ें। पढ़ते समय घर के सदस्य उपस्थित रहें। उच्चारण की शुद्धता पर ध्यान दें। नवीन शब्दों के अर्थ खोजें, कहानी आगे बढ़ाएँ, कहानी पर चर्चा या प्रश्न करें, कहानी के पात्र के रूप में स्वयं को रखें और कहानी पर अभिनय करें।
लिखना
कहानी में आए नवीन शब्दों के अर्थ लिखें। बच्चे घर पर बड़े भाई-बहन या आस-पड़ोस के लोगों के सहयोग से प्रतिदिन एक पेज का हिंदी एवं अंग्रेजी में श्रुतलेख (इमला) एवं सुलेख करें। इसके साथ-साथ एक पेज हिंदी एवं एक पेज अंग्रेजी का प्रतिदिन देखकर लिखने का भी अभ्यास करें।
एक मिनट का खेल
बच्चे आपस में मिलकर एक मिनट के खेल में शब्दों की समझ बढ़ा सकते हैं। सभी बच्चे एक मिनट में अधिकतम कितने शब्द पढ़कर समझ सकते हैं, इसकी जाँच करें। घड़ी या मोबाइल पर समय देखकर यह खेल बारी-बारी से सभी बच्चे खेल सकते हैं।
बच्चे गणित सीखने के लिये संबंधित खेल भी खेल सकते हैं। जैसे आकृति पहचानने का खेल बच्चे अपने घर में पाई जाने वाली वस्तुओं जैसे बर्तन, फल, सब्जी इत्यादि लेकर उनकी आकृति पहचानकर परिवार के अन्य सदस्यों से इसकी जाँच करवा सकते हैं।
आयुक्त, राज्य शिक्षा केंद्र,  लोकेश कुमार जाटव ने कहा है कि इस प्रकार की गतिविधियों से बच्चे के उच्चारण में सुधार होगा, उसका शब्दकोश बढ़ेगा और उसके आत्मविश्वास में भी वृद्धि होगी।

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Pratyaksha Saxena

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