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फिटनेस एवं अनुज्ञा पत्र बिना नहीं चला सकेंगे नाव

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बूंदी.KrishnaKantRathore/ @www.rubarunews.com-  संभागीय आयुक्त,कोटा से प्राप्त निर्देशानुसार जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट आशीष गुप्ता ने नदी, तालाबों, जलाषयों, पानी के अन्य स्रोतों पर संचालित नौका परिवहन के संबंध में नौका परिचालक द्वारा बरती गई लापरवाही की वजह से होने वाली जनहानि को रोकने के संबंध में जिला पुलिस अधीक्षक, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिशद्, बून्दी, संबंधित उपखण्ड मजिस्ट्रेट, संबंधित पुलिस उप अधीक्षक, संबंधित तहसीलदार, संबंधित विकास अधिकारी, जिला परिवहन अधिकारी, मत्स्य परियोजना अधिकारी एवं अन्य संबंधित अधिकारियों को दिशा निर्देश प्रदान किए हैं।
जिला कलेक्टर ने निर्देश दिए है कि बून्दी जिले की सीमाओं मे जिन नदी, जलाषय, तालाब आदि में नावों का परिवहन होता है, वहाँ से संचालित नावों के लिये सक्षम प्राधिकारी से फिटनेस प्रमाण – पत्र एवं अनुज्ञा पत्र प्राप्त किया जाये। जब तक फिटनेस प्रमाण – पत्र एवं अनुज्ञा पत्र प्राप्त नहीं होता है, तब तक इस प्रकार नावों का परिचालन रोक दिया जावे। इसके साथ ही यह सुनिष्चित किया जावे कि राजस्थान नौचालन विनियमन अधिनियम 1956 की धारा 7 के तहत नौका स्वामी अनुज्ञा पत्र की षर्तो के अनुसार ही नौका संचालन किया जावे। इसके अभाव में नौका संचालन नहीं करने दिया जावे। यदि उपयुक्तता प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारी की राय में नौका संचालन असुरक्षित हो गया तो अनुज्ञा पत्र को किसी भी सुनवाई का अवसर दिये बिना निलम्बित कर दिया जावे।
उन्होंने निर्देश दिए हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में नदी के किनारे अलग – अलग स्थानों पर स्थानीय व्यक्तियों द्वारा ही नाव संचालन के स्थान निर्धारित कर दिये जाते है। इससे यह निष्चित नहीं होता है कि नदी में किस स्थान पर यात्रियों को सुविधा होगी तथा नाव संचालन पर प्रभावी नियंत्रण रखने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। इसके लिये स्थानीय प्रषासन (ग्राम पंचायत) से सलाह – मषविरा करके संबंधित थानाधिकारी, उपखण्ड अधिकारी एवं उप पुलिस अधीक्षक मिलकर नाव संचालन के स्थान चिह्नित करंे। इन स्थानों के अलावा अगर अन्य स्थानों से नौकाओं का परिवहन होता है तो वे अवैध मानते हुये समुचित कार्यवाही की जावे।
जिला कलक्टर ने निर्देश दिए हैं कि यह सुनिष्चित कर लिया जावे कि नौका में जीवन रक्षक उपकरण जैसे – लाईफ जैकेट, ट्यूब रस्सा इत्यादि नहीं हो और प्रत्येक यात्री के लिये लाईफ जैकेट उपलब्ध नहीं हो नौका संचालन की अनुमति प्रदान नहीं की जावे। यात्री परिवहन करने वाली नौकाओं का संचालन विषेश अनुमति नहीं होने की दषा में सूर्योदय के पष्चात् व सूर्यास्त से पहले ही किया जाना सुनिष्चित करावें। नौका संचालन से पूर्व नौका के यात्रियों की सूची पूर्ण नाम पते के साथ दो प्रतियों में तैयार की जावे तथा किनारे पर नाव के स्वामी या उसके किसी कर्मचारी द्वारा उसकी एक प्रति रखी जायेगी तथा एक प्रति नाविक को दी जावेगी। नौका के किनारे पर आने के पष्चात् यात्रियों के नामों का मिलान उस सूची से किया जावे।
उन्होंने निर्देश दिए कि जिला परिवहन अधिकारी एक अभियान संचालित करते हुये अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट से समन्वय स्थापित कर नाव संचालन हेतु फिटनेस प्रमाण पत्र व अनुज्ञापत्र जारी करें। प्रत्येक तिमाही में स्थानीय सरपंच, पटवारी, कानूनगो और परिवहन विभाग के निरीक्षक द्वारा संयुक्त टीम द्वारा ऐसी नौकाओं का भौतिक सत्यापन किया जाये और सुनिष्चितता की जाये कि नौका पर आवष्यक जीवन रक्षक उपकरण मौजूद रहे। साथ ही यह दल यह भी सुनिष्चितता करेगा कि नौकायन के समय स्वीकृत क्षमता से अधिक यात्री यात्रा न करंे। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि परिवहन विभाग के परिपत्र के अनुसार नावों के निरीक्षण, नावों के दस्तावेज एवं नावों में वहन किये जा रहे सामान इत्यादि के निरीक्षण से संबंधित निर्देषों को वृहद्ध रूप दिया गया है, जिसमें अन्तर्गत सात विभागों के अधिकारियों को जिनका प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से संबंध नदियों व झीलों इत्यादि से है उन्हें नाव एवं उससे संबंधित दस्तावेजों के निरीक्षण हेतु अधिकृत किया गया है। अतः उक्त परिपत्र में उल्लेखित अधिकारीगण को नाव एवं उससे संबंधित दस्तावेजों के निरीक्षण हेतु उचित दिषा – निर्देष जारी किये जावें। उन्होंने संबंधित उपखण्ड मजिस्ट्रेट, जिला परिवहन अधिकारी को निर्देश दिए हैं कि राजस्थान रेगुलेशन आफ बोटिंग एक्ट 1956 एण्ड राजस्थान रेगुलेशन आफ बोटिंग रूल्स 1957 के प्रावधानों के अन्तर्गत जिलों की समस्त नदियों व अन्य जल बहाव के क्षेत्रों में अवैध नौकाओं के संचालन पर रोक लगाया जाना सुनिष्चित करें।
जिला कलक्टर ने निर्देश दिए है कि मत्स्य परियोजना अधिकारी मछली पकड़ने के व्यापार में उपयोग आने वाली नौका के नाविक / मछुआरे के पास मत्स्य विभाग से प्राप्त संख्याकित प्रमाण पत्र आवष्यक रूप से उपलब्ध हो तथा नौका केवल इसी प्रयोजनार्थ उपयोग में लाई जावे। यह भी सुनिष्चित किया जावे कि इस नौका का उपयोग परिवहन हेतु नहीं किया जा सके। उक्त निर्देषों का उल्लंघन करने पर संबंधित नौका परिचालक के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही की जावे। जिला परिवहन अधिकारी, बून्दी नाव की भार क्षमता के संकेतक के रूप में अंकित लाल लाईन सदैव जल सतह के ऊपर दृश्टिगोचर रहे। जिले में अवस्थित विभिन्न जलाषयों एवं इन पर स्थित पर्यटन स्थलों का चिह्निकरण किया जावे। ऐसे स्थान तथा मार्गो के नीचे नदी, नालों में अत्यधिक पानी की आवक हो तथा सड़क के ऊपर पानी में परिवहन के साधन के रूप में नौका का संचालन हो, उन्हें भी चिह्नित किया जावें। उन्होंने निर्देश दिए कि ऐसी दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिये स्थानीय ग्रामवासियों से समय – समय पर जागरूक करने के लिये ग्राम पंचायत / षिक्षण संस्थाओं आदि का सहारा लिया जावे और जीवन रक्षक उपकरणों के बारे में व्यापक प्रचार – प्रसार किया जावे।

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Pratyaksha Saxena

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