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टिटहरी ने फिर दिया मानसून की भरपूर मेहरबानी का संकेत !

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बूंदी.KrishnaKantRathore/ @www.rubarunews.com>> इन दिनों राजस्थान सहित पूरे उत्तर भारत में भीषण गर्मी का दौर शुरू हो गया है और कोरोना प्रकोप व लाॅक-डाउन के बीच किसान रबी फसलों को निकालने में जुटे हुए है। दुनिया के ज्यादातर देशों व भारत में लम्बे लाॅक-डाउन के चलते आबोहवा में भी सुधार हुआ है और लोग शीघ्र इस महामारी से उबरने व इस साल भी अच्छी बरसात की उम्मीद लगाए बैठे है। ग्रामीण अंचल में आमजन व किसान मोसम वेज्ञानिकों की मानसून संबंधी सूचना के साथ-साथ ज्योतिषीय वायू परीक्षण, रोहणी नक्षत्र में नोतपा के तपने व टिटहरी पक्षी के अंडों को भी अच्छी या कम बरसात का संकेत मानते है। बूंदी जिले के गुढ़ानाथावतान कस्बे के खेतों में लगातार दूसरे साल टिटहरी ने 5 अंडे दिए है जो किसानों व ग्रामीणाों में कोतूहल का विषय बने हुए हैं। गत वर्ष भी जिले में टिटहरी ने 5 अंडे दिए थे और मानसून ने भी कई दशकों बाद भरपूर मेहरबान होकर पूरे देश को पानी से तर-बतर कर दिया था। मानसून से पूर्व मौसम विभाग हर साल मानसून की भविष्यवाणी करता है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में किसान व ग्रामीण प्राकृतिक संकेतों के साथ-साथ टिटहरी के अण्डों से भी कमजोर व अच्छी बरसात का अनुमान लगाते हैं। बूंदीे में एक बार फिर से टिटहरी ने 5 अंडे दिए हैं जिसको लेकर किसानों का अनुमान है कि इस बार भी भरपूर बरसात होगी। आम धरणा है कि प्रकृति व कुछ जीव-जंतु भविष्य की किसी प्राकृतिक घटना का पहले से संकेत दे सकते है और टिटहरी के अंडो की संख्या से बरसात का अनुमान भी ऐसी ही एक लोक मान्यता कही जा सकती है। ग्रामीण व किसान मानते हैं कि टिटहरी जितने अंडे देती है, उतने महीने तक बारिश होती है। हालांकि इसके पीछे कोई वैज्ञानिक तथ्य नहीं है, लेकिन कई सालों के अनुभवों के आधार पर परम्परागत रूप से ग्रामीण लोग टिटहरी के अंडो से मौसम की भविष्यवाणी करते आ रहे हैं।
कभी पेड़ पर नहीं बैठती है टिटहरी
टिटहरी एक ऐसा पक्षी है, जो कभी पेड़ पर नहीं बैठता तथा जमीन पर ही पूरी जिंदगी गुजार देता है तथा गर्मी के दिनों में मानसून आने से पहल खुले मैदान या खेत में अंडे देती है। टिटहरी रात के समय जंगल या खेत में किसी जानवर की आहट पर तेज आवाज कर सभी को सचेत कर रात्री चोकीदार की भी भूमिका निभाती है। आमतौर पर टिटहरी 3 या 4 अंडे देती है लेकिन कभी-कभी इसे 5 या 6 अंडे भी देते देखा गया है। तेज घूप में नर व मादा बारी-बारी से अंडों की धूप व जानवरों से सुरक्षा करते है।
फोटो – बूंदी जिले के गुढ़ानाथावतान गांव के एक खेत में टिटहरी के 5 अंडे

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Pratyaksha Saxena

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