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लहार.ShashikantGoyal/ @www.rubarunews.com>> लहार विधान क्षेत्र कहने को तो जिले का दूसरे दर्जे का अस्पताल है इस अस्पताल के अंतर्गत ही दबोह आलमपुर बरहा असवार और रावतपुरा जैसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है यदि हम इन अस्पतालों में डॉक्टरों की पदस्थापना पर नजर डाले तो सभी अस्पतालों में कागजों में चिकित्सक मौजूद है और किसी भी अस्पताल में स्टाफ की कमी नही है लेकिन हकीकत में हम अकेले लहार अस्पताल की ही बात करें तो यहां बीएमओ सहित वर्तमान में नौ चिकित्सक है चिकित्सक तो ग्यारह थे लेकिन दो चिकित्सकों को आगामी आदेश तक रौंन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भेज दिया गया है लहार सिविल अस्पताल में नौ चिकित्सक होने के बाबजूद भी कभी किसी प्रशासनिक अधिकारी या किसी आम नागरिक ने या राजनेता ने एक साथ इन चिकित्सकों को ओपीडी में बैठे देखा है तो बताए जबकि क्षेत्र में कोरोना जैसी महामारी फैली है जिसका इलाज सिर्फ डॉक्टरों के पास है लेकिन हम प्रशासनिक एवम राजनैतिक लोग इन चिकित्सकों को अस्पताल में बिठा पाने में सक्षम नही हो रहे है स्थिति लहार अस्पताल की यह है कि सारे संसाधन मौजूद है बैड की कोई कमी नही है ऑक्सीजन सिलेंडर पर्याप्त है फिर भी मरीजों को रिफर टू ग्वालियर रिफर टू भिंड उनके पर्चे पर लिख दिया जाता है क्योंकि कोई चिकित्सक नही चाहता कि हम इन मरीजों को देखके समय बर्बाद करें और अपनी प्राइवेट प्रेक्टिस से हांथ धोएं सबसे गौर करने बाली बात तो यह है कि लहार सिविल अस्पताल में कुछ निजी एम्बुलेंस हर समय मौजूद रहती है जिनके मालिक चिकित्सकों और कर्मचारियों में इतनी दहसत पैदा किये हुए है कि जैसे ही मरीज अस्पताल में आता है यह लोग मरीज को स्वमं घेर लेते है और चिकित्सक जैसे ही इन लोगों की चेहरा देख लेता है बैसे ही चिकित्सक मरीज को रिफर टू ग्वालियर लिख कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेता है और प्रथम दृस्टि मरीज का लुटना तय हो जाता है वही पुलिस बाले कोविड 19 महामारी में बेबस और आम जनता पर लाठियां भांजने से भी नही हिचकते क्या कभी इन पुलिस बालों में हिम्मत हुई है कि इन निजी एम्बुलेंस बालों पर रोक लगा सके । और मरीज को लुटने से बचा सकें.। यह हाल तो अकेले सिविल अस्पताल लहार का है अब उसके अधीन आने बाले सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में क्या होता होगा जहां कागजों में चिकित्सक तो है लेकिन इन चिकित्सकों के पास प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जाने का समय नही है।
गौर करने बाली बात
लहार क्षेत्र में जितने भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक पदस्थ है उनमें अधिकांश लोग ग्वालियर निवास करते है और वहीं से अपने चिकित्सालय के लिए इमरजेंसी ड्यूटी टाइम पर सफर करते है यही नही क्षेत्र की एक मात्र महिला डॉक्टर जो लहार सिविल अस्पताल में पदस्थ है बो खुद भिंड अपडाउन करती है
कलेक्टर भिंड ने कई बार लहार अस्पताल का निरीक्षण किया और उनके साथ लहार एसडीएम भी मौजूद रहे लेकिन इन अधिकारियों ने कभी भी यह पूछने की जरूरत नही समझी की इन अस्पतालों में कितने चिकित्सक है और बो कहाँ है लेकिन इन अधिकारियों को समझना होगा कि कोविड 19 महामारी का इलाज सिर्फ डॉक्टर के पास होता है और वह इन डॉक्टरों को अस्पतालों में बिठाने असमर्थ है लेकिन जनता के ऊपर डंडे भांजने में अब्बल है जैसे इस जनता ने ही महामारी को फैला रखा है।
प्रशासन चाहे तो एक सप्ताह में हो जाएगा लहार विधानसभा में वैक्सीकरण
लहार क्षेत्र में यदि पर्याप्त वैक्सीन उपलब्ध करा दी जाए तो एक सप्ताह के अंदर समूचे विधानसभा में वैक्सीकरण हो सकता है जिस तरह प्रशासन द्वारा पल्स पोलियो अभियान चलाया जाता है जिसमे पहले से ही हर वार्ड और गॉंव में बूथ निर्धारित होता है और इसका डाटा स्वास्थ्य विभाग पर हर समय रहता है उसी तर्ज पर कोविड बैक्सीन का बैक्सीकरण किया जा सकता है इसके लिए कोई खास इंतजाम की आवश्यक्ता नही होती है।
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