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कई पारंपरिक सामग्रियों को ध्वनि की उच्च आवृत्तियों को नियंत्रित करने के लिए अच्छा पाया गया है। किन्तु, इनसे भी अधिक मधुमक्खी के प्राकृतिक छत्तों (हनी बी हाईव्स) को उनकी ज्यामितीय संरचना के कारण उच्च और निम्न आवृत्तियों को कुशलतापूर्वक नियंत्रित करने के अनुकूल पाया गया है। सैद्धांतिक विश्लेषण और प्रायोगिक जांच से यह पाया गया है कि ऐसा व्यवहार ध्वनिक ऊर्जा के कंपन ऊर्जा में रूपांतरण के कारण होता है। यह कंपन ऊर्जा छत्ते की दीवारों में नमी वाले गुणधर्म के कारण ऊष्मा के रूप में परिवर्तित होकर अवशोषित हो जाती है। एक इंजीनियरिंग समाधान के रूप में इस गुण की नकल करना ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक कम खर्चीले तरीके रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) हैदराबाद में यान्त्रिक एवं अंतरिक्ष अभियांत्रिकी (मैकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग) विभाग के फैकल्टी डॉ. बी. वेंकटेशम और डॉ. सूर्या ने जैव अनुकृतीय (बायोमिमेटिक) डिजाइन पद्धति का उपयोग करके इस गुणधर्म की नकल करते हुए कम मोटाई वाले मजबूत ध्वनिक पटल (पैनल) तैयार किए। इस डिजाइन पद्धति में नमूने के रूप में मधुमक्खी के छत्ते के एक हिस्से की ध्वनिक ऊर्जा अपव्यय की भौतिकी को समझना और फिर उसकी तदनुसार नकल करना शामिल है। टीम ने एक गणितीय मॉडल विकसित किया और उसके लिए अनुकूलित मापदंडों की गणना करने के बाद व्यवस्थित एवं नियंत्रित मापदंडों का उपयोग करके परीक्षण के लिए नमूने तैयार किए। इसके बाद एक बड़े नमूने का निर्माण किया गया। उन्होंने दो अलग-अलग प्रकार की सामग्रियों के साथ दो अलग-अलग तरीकों और उनके संबंधित प्रोटोटाइप मशीनों का उपयोग किया है। पहला प्रोटोटाइप कागज से बने मधुमक्खी के छत्ते (पेपर हनीकॉम्ब) के लिए अनुक्रमित-हनीकॉम्ब बिफोर एक्सपेंशन (एचओबीई) प्रक्रिया पर आधारित है और दूसरा प्रोटोटाइप मशीन तप्त तार (हॉट वायर) तकनीक पर आधारित बहुलक (पॉलीमर) हनीकॉम्ब संरचना के लिए है।
इन पैनलों को निष्प्रयोज्य पड़ी (स्टेकड एक्सट्रूडेड) हुई पॉलीप्रोपीन की नलियों (स्ट्रॉ) को काटकर बनाया गया था। इन्हें पत्तियों में काटने की (स्लाइसिंग) प्रक्रिया गर्म तार की मदद से की जाती है, जो इन स्ट्रॉ को भी आपस में बांधती है। विकसित तकनीक कम मोटाई वाले ध्वनिक पैनलों की उच्च विशिष्ट शक्ति के साथ ध्वनिक ऊर्जा अपव्यय का एक तंत्र प्रदान करती है। इस कार्य के हिस्से के रूप में बड़े नमूनों के अवशोषण गुणांक को मापने के लिए एक परीक्षण सुविधा भी स्थापित की गई है।
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के उन्नत विनिर्माण प्रौद्योगिकी कार्यक्रम से सहायता प्राप्त यह प्रौद्योगिकी अपनी तैयारी स्तर के छठे चरण में है और डॉ बी. वेंकटेशम ने इसे ईटन प्राइवेट लिमिटेड, महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम खराडी नॉलेज पार्क, पुणे के साथ संबद्ध किया है। उन्होंने प्रौद्योगिकी प्रदर्शन को और आगे बढ़ाने, बहुलक सामग्री के लिए बैच उत्पादन मशीन विकसित करने , नई वैकल्पिक स्वयं-डंपिंग सामग्री के साथ निर्माण और अन्य सुरक्षा आवश्यकताओं जैसे अग्नि की लौ को कम करने की क्षमता, मौसम के अनुकूल क्षमता आदि के अनुपालन की योजना बनाई है। डॉ वेंकटेशम का कहना है कि कम आवृत्ति अनुप्रयोगों के आधार पर विकसित यह संरचना पारंपरिक ध्वनि-अवशोषित ध्वनिक सामग्री बाजार के 15% पर कब्जा करने का अवसर पैदा कर सकती है।
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