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भोपाल.Desk/ @www.rubarunews.com>>प्रमुख सचिव, महिला बाल विकास अशोक शाह ने कहा है कि सुपोषित मध्यप्रदेश की संकल्पना की प्रतिबद्धता को साकार करने के उद्देश्य से राज्य पोषण नीति 2020-2030 के अंतर्गत पोषण सरकार की अवधारणा को मूर्तरूप दिया जाना उल्लेखित है। इसके लिए दो स्तर पर पहल किया जाने का उल्लेख है। प्रथम अन्तर्विभागीय व्यवस्था को मजबूत करना एवं दूसरा सामुदायिक सहभागिता तथा नेतृत्व को सुदृढ़ करना है। उन्होंने कहा की आँगनवाड़ी सेवा योजना के तहत संचालित कार्यक्रमों में सेवा उपयोगकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी से योजनाओं और गतिविधियों के प्रभावी क्रियान्वयन के बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते। सहयोगिनी मातृ समिति सुपोषित मध्यप्रदेश की संकल्पना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
प्रमुख सचिव श्री शाह सहभागी प्रशिक्षण मार्गदर्शिका का विमोचन कर कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कहा कि सहयोगिनी मातृ समिति (एस.एम.एस.) को सशक्त और सक्षम बनाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभागद्वारा समिति के सदस्यों को सहभागी प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षक, सहजकर्ता, बाल विकास परियोजना अधिकारी एवं पर्यवेक्षक के लिए यह सहभागी प्रशिक्षण मार्गदर्शिका तैयार की गई है। इस मार्गदर्शिका के प्रमुख दो उद्देश्य हैं। समिति एवं उपसमिति के गठन की प्रक्रिया, उनकी भूमिका, काम और अधिकारों से परिचित कराना और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के प्रावधानों से अवगत करवाना है। उन्होंने कहा की विभाग आशावत है कि सहयोगिनी मातृ समिति (एस.एम.एस.) के सदस्यों के सशक्तिकरण की इस पहल में शामिल होने वाले स्रोत व्यक्तियों, सामाजिक संस्था के कार्यकर्ताओं, महिला एवं बाल विकास विभाग के पर्यवेक्षकों के लिए यह सहभागी प्रशिक्षण मार्गदर्शिका उपयोगी साबित होगी।
पूर्व में ग्राम स्तर पर संचालित कार्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए ‘सहयोगिनी मातृ समिति’ का गठन किया गया था। वर्तमान में मैदानी स्तर की परिस्थितियों, योजनाओं के स्वरूप में परिवर्तन को देखते हुए आँगनवाड़ी केन्द्रों पर सहयोगिनी मातृ समिति का पुनर्गठन किया गया है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत आँगनवाड़ी केन्द्र की गतिविधियों के सुदृढ़ीकरण, पारदर्शिता एवं जवाबदेही के लिए ‘सतर्कता समिति एवं सोशल ऑडिट व्यवस्था प्रावधानित है। मातृ सहयोगी समिति इस प्रयोजन के लिए ‘सतर्कता समिति’ के रूप में कार्य करेगी। ये समितियाँ पोषण गतिविधियों एवं कार्यक्रमों की नियमित रूप से निगरानी करने, अधिनियम के प्रावधानों का नियमित रूप से पालन करवाने एवं पालन न होने की सूचना जिला शिकायत निवारण अधिकारी को देने के लिए अधिकृत की गई हैं।
सहयोगिनी मातृ समिति (एस.एम.एस.) में समुदाय के प्रतिभागियों, विभागीय योजना के हितग्राहियों और अन्य विभागों के मैदानी सेवा प्रदाताओं को प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया है। यह समिति बच्चों, किशोरी बालिकाओं, गर्भवती और धात्री महिलाओं के पोषण स्वास्थ्य के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में प्रभावी भूमिका निभाएगी। सहयोगिनी मातृ समिति (एस.एम.एस.) न केवल पूरक पोषण आहार कार्यक्रम की निगरानी करेगी बल्कि यह भी देखेगी कि गाँव या बस्ती के कोई भी पात्र हितग्राही योजनाओं के लाभ से वंचित न रहें। सभी बच्चों की नियमित रूप से वृद्धि निगरानी हो, समुदाय में लैंगिक हिंसा और बाल विवाह जैसी कुरीतियों का निवारण हो। हर घर में पोषण वाटिका लगाई जाए, सहभागी तरीके से परिणाम मूलक सामुदायिक पोषण प्रबंधन रणनीति तैयार की जाए और समुदाय के पोषण व्यवहार में सकारात्मक बदलाव आए।
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