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एक बार फिर पुराने चेहरों पर दांव खेल सकते है दोनों ही दल Once again both parties can play on old faces.

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बून्दी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- आगामी विधानसभा चुनाव 2023 को देखते हुए राजस्थान के सभी राजनैतिक दलों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है, वहीं संभावित उम्मीदवार भी अपने अपने क्षेत्रों में ताज ठोक रहे हैं। ऐसे में बूंदी जिले के बूंदी विधानसभा सीट की बात करें तो बूंदी विधानसभा सीट राजस्थान की महत्वपूर्ण सीटों में से एक मानी जाती है। बूंदी विधानसभा सीट का इतिहास उठाकर देखें, तो यह सीट सामान्य सीट है, जिस पर शुरू से ही ब्राह्मण समाज का वर्चस्व रहा हैं। राजस्थान के पहले विधानसभा चुनाव 1952 से लेकर अब तक इस सीट से छः ब्राह्मण, एक महाजन, एक राजपूत तथा एक अहीर समाज के विधायक रहा हैं। इस बार मीणा समुदाय ने भी अपने प्रतिनिधि को प्रत्याशी बनाने पर समर्थन देने की बात कह कर राजनैतिक दलों में हलचल बढ़ा दी हैं। वहीं आप पार्टी और एसडीपीआई ने भी अपना उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है।
वर्तमान में भाजपा के अशोक डोगरा यहां से विधायक हैं, जो पिछले 3 तीन बार से लगातार जीतते आ रहे हैं। 2008 व 2013 में उन्होंने राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा तथा 2018 में हरिमोहन शर्मा को महज 713 वोटो से हराकर सीट को अपने कब्जे में लिया था। लेकिन समय के साथ ही अशोक डोगरा की लोकप्रियता घटती जा रही है। उनके जीत का अंतर भी कम होता जा रहा है, जो पार्टी के लिए एक चिंता का विषय बना हुआ है। हालांकि डोगरा की जनता में नकारात्मक छवि नहीं है, लेकिन पिछले तीन बार से विधायक रहने के बाद भी अपनी सरकार व विपक्ष में भी डोगरा किसी भी प्रकार का विकास कार्य गिनाने लायक नहीं कर पाए हैं। वर्तमान विधायक अशोक डोगरा की तो वह पूरे 5 साल निष्क्रिय रहने के साथ ही विपक्ष की भूमिका भी ठीक से नहीं निभा पाने से उनकी छवि जनता में गिरी है। केडीए मामले में भी चुप्पी साधे रहना भी उनके लिए घातक सिद्ध हुआ। फिर भी वह 2023 चुनाव में सीट से भाजपा के सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। वहीं 2018 के चुनाव में हारे हुए कांग्रेस के निकटतम प्रतिद्वंदी हरिमोहन शर्मा हार के बाद भी विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय रह कर मुख्यमंत्री व मंत्रियों से अच्छे संबंध के चलते वह क्षेत्र में विकास कार्य करने में सफल रहे। इसलिए पूर्व मंत्री हरिमोहन शर्मा कांग्रेस के सीट से सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। लेकिन वर्तमान नगर परिषद मे हरिमोहन शर्मा के हस्तक्षेप ने उनकी छवि को काफी क्षति पहुंचाई है। सब्जी मंडी विवाद व कांग्रेस के ही आधा दर्जन से अधिक पार्षदों पर मुकदमा दर्ज होने, नंदीशाला निर्माण के मामले में उनकी चुप्पी ने जनता में छवि को नुकसान पहुंचाया हैं।
जनता चाहती हैं युवा नेतृत्व
जहां विधानसभा चुनाव 2023 में दोनों प्रमुख दल अपने पूर्व प्रत्याशी अशो डज्ञेगरा व हरिमोहन शर्मा पर दांव खेलते नजर आ रहे हैं। वहीं आम जनता अब पुराने चेहरों के स्थान पर परिवर्तन चाहते हुए युवा तरुणाई को मौका देना चाहती है। इसी को देखते हुए कई युवा क्षेत्र में अच्छा कार्य करते हुए नजर आ रहे हैं।युवा दावेदारों में जहां भाजपा से पूर्व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य रुपेश शर्मा, भाजपा सदस्यता अभियान के कोटा संभाग संयोजक गौरव शर्मा, भाजपा प्रवक्ता अनिल जैन व भाजपा नेता रामबाबू शर्मा अपनी दावेदारी जता रहे हैं। जिसमें रुपेश शर्मा दौड़ में सबसे आगे है। वहीं कांग्रेस से पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष रामनारायण मीणा, सत्येश शर्मा, युवा नेता भरत शर्मा, भगवान सिंह चौहान, शिवप्रसाद मीना, समृद्ध शर्मा, राजीव लोचन गौतम, जोधराज मीणा व सत्येन्द्र मीणा अपनी दावेदारी जता रहे हैं।
इस बार 304378 कुल मतदाता चुनेंगे अपना विधायक
बूंदी विधानसभा सीट 186 की बात करें, तो यहां कुल 304378 मतदाता है। जिनमें से 155655 पुरुष व 148721 महिलाएं तथा दो अन्य है। बूंदी विधानसभा सीट का लगभग 72 फीसदी ग्रामीण व 28 लगभग हिस्सा शहरी है। वही कुल आबादी का लगभग 19 अनुसूचित जाति और 20 फ़ीसदी अनुसूचित जनजाति और शेष सामान्य व अपिव जाति के वोटर है। बून्दी विधानसभा सीट से अधिकतर ब्राह्मण प्रत्याशी ही जीतते आए हैं इसलिए इस सीट को ब्राह्मण सीट कहा जाने लग गया।
विधानसभा क्षेत्र में विकास की अपार संभावना
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बात करें तो 1952 से लेकर आज तक बूंदी विधानसभा सीट विकास को तरसती नजर आई है। यहां विकास की अपार संभावना होने के बाद भी यहां धरातल पर विकास नहीं हो पाया है। चुने गए जनप्रतिनिधियों ने विकास को महत्व नहीं देकर स्वयं के विकास को ज्यादा महत्व दिया। जिसके चलते आज यह क्षेत्र बिल्कुल पिछड़ा हुआ गांव की तरह नजर आता है। यहां औद्योगिक इकाइयों की कमी, टूटी सड़कें, रोजगार के अवसरों की कमी, जगह-जगह हो रहे अतिक्रमण, बिना किसी योजना के हो रहे कार्य यही गाथा बयां करते हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो बूंदी विधानसभा क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाए होने के बावजूद कोई विकास नहीं हो पाया हैं। उद्योगों की स्थापना करने में यहां के जनप्रतिनिधियों ने कभी रुचि नहीं दिखाई या यूं कहें कि विकास को लेकर कभी इच्छा शक्ति ही नहीं रही। इसी कारण यह क्षेत्र पिछड़ता ही चला गया। विधानसभा क्षेत्र का काफी बड़ा हिस्सा ग्रामीण है। गांवों में आज भी बिजली, पानी, सड़कों, विद्यालय, कॉलेज जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की कमी नजर आती हैं। पर्यटन नगरी होने के बाद भी यहां पर्यटकों के लिए कोई सुविधा नहीं है। अच्छे होटलों की कमी, पैलेस ऑफ व्हील का ठहराव नहीं होना, उच्च स्तरीय सुविधा युक्त पर्यटन सूचना केंद्र का नहीं होना, आरटीडीसी होटल का बंद होना, यहां तक की पर्यटक स्थलों में मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव दिखाई देता हैं। इस कारण भी क्षेत्र का विकास नहीं हो पाया। साथ ही विकास के प्रति यहां की जनता की अपेक्षा भी विकास नहीं होने का बहुत बड़ा कारण है।

एक बार फिर पुराने चेहरों पर दांव खेल सकते है दोनों ही दल Once again both parties can play on old faces.

यह रहा विधानसभा सीट का अब इतिहास
आजादी के बाद में राजस्थान विधानसभा चुनाव 1952 में बूंदी विधानसभा सीट से कांग्रेस के छीतर लाल शर्मा चुनाव जीते, उसके बाद 1957 में कांग्रेस के सज्जन सिंह, 1962 व 1967 में कांग्रेस के ब्रज सुंदर शर्मा, 1972 में कांग्रेस के राजेंद्र भारतीय, 1977 में भाजपा से ओमप्रकाश शर्मा, 1980 में कांग्रेस के ब्रज सुंदर शर्मा 1985 में कांग्रेस हरिमोहन शर्मा, 1990 में भाजपा के कृष्ण कुमार गोयल, 1995 में भाजपा ओम प्रकाश शर्मा, 1998 व 2003 में कांग्रेस की ममता शर्मा, 2008, 2013 व 2018 में भाजपा के अशोक डोगरा विधायक रहे। इस प्रकार कुल 15 बार हुए विधानसभा चुनाव में बूंदी विधानसभा सीट से 9 बार कांग्रेस का व 6 बार भाजपा का विधायक जीता है। जिनमें 6 ब्राह्मण, 1 महाजन, 1 राजपूत तथा 1 अहीर समाज के विधायक निर्वाचित हुए।
निर्दलीय व अन्य दल बिगाड़ सकते हैं जीत का समीकरण
बुंदी विधानसभा सीट से 2018 में देखा गया, कि निर्दलीय व अन्य दलों के प्रत्याशियों ने कांग्रेस व भाजपा की जीत का समीकरण बिगाड़ दिया था। जिसमें बीएसपी से सीता मीणा, एसडीपीआई से अब्दुल अनीस, निर्दलीय मांगीलाल भील, रुकसाना ने कांग्रेस को बड़ा नुकसान पहुंचाया था। जिसके चलते कांग्रेस की जीती जिताई सीट हाथ से निकल गई थी। वही इस बार आप पार्टी और एसडीपीआई ने भी विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है, जो सीधे सीधे कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगी। आम आदमी पार्टी से बूंदी विधानसभा सीट से वर्तमान जिलाध्यक्ष किशनलाल मीना ने अपनी दावेदारी जताई है। निर्दलीय व अन्य दलों के यह प्रत्याशी एक बार फिर दोनों ही प्रमुख दलों का जीत का समीकरण बिगाड़ सकते हैं।

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