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राजस्थान

मुस्लिम समाज के धर्मगुरु बूंदी शहर काजी मौलाना निजामुद्दीन का हृदय गति रुकने से निधन

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बूंदी.KrishnakantRathore/@www.rubarunews.com- मुस्लिम समाज के धर्मगुरु बूंदी शहर काजी मौलाना निजामुद्दीन का बुधवार को हृदय गति रुकने से निधन हो गया। उनके निधन की सूचना से मुस्लिम समाज सहित समुचे शहर में शौक व्याप्त हो गया। उनके अनुयाई सूचना मिलते ही कोरोना महामारी और लोक डाउन के चलते वर्चुअल रूप में शामिल हुए और खिराजे अकीदत पेश की। मौलाना निजामुद्दीन के पाक जनाजे को बुधवार रात 9 बजे उनके महावीर कोलोनी स्थित आवास से अहतराम के साथ ले जाकर बाद नमाज ईशा आम कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक किया जाएगा।
जानकारी के अनुसार बूंदी शहर के ब्रहम्पुरी में मौलाना शमसुद्दीन के घर में 15 अगस्त 1945 को जन्मे मौलाना निजामुद्दीन ने अपनी तालीम की (शिक्षा) शुरुआत कोटा जिले के खैथुन कस्बे से शुरू की। यहां से आपने तालीम लेने के बाद मुरादाबाद के सम्बल शहर से इस्लामी शिक्षा लेते हुए फाजिल की डिग्री हासिल की थी। यह बूंदी जिले में इस्लाम धर्म सबसे बड़े जानकार माने जाते थे। अपनी शिक्षा पुरी करने के बाद से ही लोगों को इस्लाम के बताए रास्ते पर चलने व इंसानियत का.  पैगाम देते रहे।
अपने इंतकाल से 2 दिन पूर्व भी उन्होंने लोगों से भाईचारे और कोरोना महामारी के इस संकटकालीन दौर में एक दूसरे की मदद करने, सरकार और प्रशासन का सहयोग करने की अपील की थी।
मौलाना निजामुद्दीन शहर काजी बुधवार को रोजाना की तरह अपने पांच वक्त की नमाज अदा करने के लिए असर की नमाज के लिए वजू बनाने जा रहे थे, उसी दरमियान उनके शुगर लेवल अधिक हो गया जिससे हृदय गति रुकने से उनका घर पर ही निधन हो गया व स्वास्थ्य थे और अपनी दिनचर्या पूरी कर रहे थे।
मौलाना निजामुद्दीन 1980 से यानी पिछले 41 वर्षों से बूंदी शहर काजी शहर काजी के रूप में ईदउल फितर, ईद उल अजहा की नमाज अदा कर आते आ रहे थे, वह मेरा गेट स्थित मीरा के बाग बड़ ईदगाह में नमाज अदा कराते रहे। 1980 से ही वह मीरा गेट स्थित हजरत बाबा मोमिन आरिफ साहब की मस्जिद में नमाज अदा कराते आ रहे हैं।
उन्हे मुस्लिम समाज का आदर्श माना जाता था वह शुरू से ही लोगों को इस्लाम धर्म के बारे में बताने और उसके पालन करने की लोगों को नसीहत देते रहे हैं। उनकी समाज में कड़ी पेठ थी, उनके अनुयाई बूंदी से सहित देश के कई हिस्सों में है। वह देश के कई हिस्सों में अपनी इस्लामी तकरीरे करने भी जाया करते थे। शहर काजी मौलाना निजामुद्दीन अपने पीछे पत्नी सहित 6 पुत्र और दो पुत्रियां व भरापुरा परिवार छोड़ गए हैं।
शहर काजी मौलाना निजामुद्दीन के इंतकाल की सूचना से मुस्लिम समाज का हर तबका स्तंभ रह गया। जिसने भी सुना वह इसकी जानकारी करता नजर आया। बाद नमाज ईशा बुधवार को आम कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्द ए खाक किया जाएगा।

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