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नईदिल्ली.Desk/ @www.rubarunews.com-यह कोई साधारण बात नही है , जब देश के प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसी राज्य के अन्य पार्टी के मुख्यमंत्री की तारीफ की हो। मोदी जी ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के नेतृत्व वाली केरल सराकर और उसके स्वास्थ कर्मियों की बेहद तारीफ की है। यूँ तो टीकाकरण के बीच केरल में आज की तारीख में 3.75 लाख सक्रिय मामले हैं। पर केरल सरकार और उनके स्वास्थ्य कर्मियों (नर्स व डॉक्टर्स) ने राज्य को मिलने वाली वैक्सीन के डॉज का बेहतर प्रयोग करते हुए उसके नुकसान को बहुत कम किया औऱ टारगेट से 87,358 अतिरिक्त लोगो का टीकाकरण किया।
बता दे कि पप्रत्येक राज्य को वैक्सीन की एक निश्चित डॉज दी जाती है जिसमे से वैक्सीन के 10 फ़ीसदी तक व्यर्थ होने को लेकर छूट दी जाती है । पर केरल ने देश के सामने एक अदभुत उदारहण रखा , राज्य को केंद्र सरकार से कुल 73,38,806 वैक्सीन की डोज़ मिली थीं, जिनमें से केरल ने 74,26,164 लोगों को डोज़ लगाई , अंततः यह हुआ कि केरल ने मिलने वाले वैक्सीन के डॉज को व्यर्थ हिने से बचाया ओर उसका कुशल रूपनसे उपयोग कर के 87,358 अतिरिक्त लोगों को वैक्सीन दी।
इस बात की जानकारी मुख्यमंत्री पी. विजयन ने और प्रधानमंत्री मोदी जी ने स्वयं दी । अपने ट्वीट में केरल के विजयन नेलिखा की , केरल को भारत सरकार से 73,38,806 वैक्सीन की डोज़ मिलीं. हमने 74,26,164 डोज़ उपलब्ध कराईं, हर शीशी से व्यर्थ जाने वाली डोज़ का इस्तेमाल करके हमने एक अतिरिक्त ख़ुराक बनाई. हमारे स्वास्थ्यकर्मी, ख़ासकर के नर्सें बेहद कुशल हैं और तहेदिल से प्रशंसा के लायक हैं.”
इसके पश्चात प्रधानमंत्री मंत्री ने मुख्यमंत्री के ट्वीट पर रिट्वीट करते हुए लिखा कि “हमारे स्वास्थ्यकर्मियों, नर्सों को देखकर ख़ुशी होती है कि वे वैक्सीन को व्यर्थ जाने से बचाने में एक उदाहरण पेश कर रहे हैं. कोविड-19 के ख़िलाफ़ मज़बूत लड़ाई के लिए वैक्सीन के नुक़सान को कम करना बेहद आवश्यक है.”
★ जानिए कैसे रोक जा सकता है वैक्सीन को व्यर्थ होने से ~ ऐसा नही हुआ कि केरल की किसी को भी कम।मात्रा में वैक्सीन दी हो ,बल्कि प्रत्येक राज्य व केंद्र शाषित प्रदेश के मिलने वाली वैक्सीन की डॉज अलग अलग निर्माता कंपनी की होती है। कोविशील्ड और कोवैक्सीन ,
कोविशिल्ड में थोड़ी अतिरिक्त वैक्सीन की मात्रा होती है जबकि कोवैक्सीन में सटीक 5 एमएल की मात्रा होती है, और केरल को 90 % कोविशील्ड प्राप्त हुई थी । बता दे कि हर शीशी में पांच मिलीलीटर (एमएल) की वैक्सीन की 10 ख़ुराक होती हैं जिसका मतलब यह हुआ कि उस शीशी से 10 लोगों को वैक्सीन दी जा सकती है, एवँ केरल ने यही वैक्सीन में मिलने वाली 0.55 एमएल या 0.6 एमएल अतिरिक्त दवा को व्यर्थ न करते हुए हर बची हुई डॉज को इकठठा करके नए डॉज तैयार किये और उनसे अअतिरिक्त डॉज बनाये। वैसे तो जब भी कोई वैक्सीन की शीशी खुलती है तो उसे चार घंटे के अंदर-अंदर 10 से 12 लोगों को देना चाहिए और अगर शीशी चार घंटे तक खुली रह गई तो वह बेकार हो जाती, इसके लिए केरल सरकार ने लोगो को विशेष तय समय पर बुलाकर टीकाकरण किया ताकि सीमित समय मे डॉज का सही प्रयोग किया जा सके। जिसका फल यह हुआ कि केरल में काम डॉज में ही 87,358 लोगो का टीकाकरण सम्भव हो पाया।
केरल स्वास्थ्य सेवाओं के पूर्व निदेशक डॉक्टर एन श्रीधर कहते हैं की , केरल में 200 वैक्सीन की शीशियों को पहली और दूसरी ख़ुराक में भी बाँटा गया था जैसे 120 को पहली ख़ुराक बना दिया गया और बाक़ी के लोगों के लिए बची डॉज से दूसरी ख़ुराक के तौर पर इस्तेमाल किया गया।
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