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सँस्था के एडवाइजर जयसिंह जादोंन ने बताया कि इन प्रोजेक्टों को शुरू करने से पहले सँस्था द्बारा अपने अनुुदेशकों को मोबाइल फोन के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाता है। उसके बाद शिक्षक, शिक्षिकाओं द्बारा बालिकाओं के माता-पिता, भाई-बहन या अन्य घर के सदस्यों जिनके पास मोबाइल है को उन प्रोजेक्टों के कार्यो को समझाकर बालिकाओं की शैक्षिक गतिविधियों को नियमित संचालित किया जा रहा है। इन प्रोजेक्टों में बालिकाओं को आपने आस-पास उपलब्ध पेडों की सूची बनाना, गांव में उपलब्ध काम-धंधे, मिट्टी के खिलौने बनाना, घर में उपलब्ध बस्तूओं या अन्य सामग्रियों से गिनती करना, मिस्डकाॅल देकर आनॅलाईन कहानियां सुनना जैसी रोचक गतिविधियों द्वारा बालिकाओं को शिक्षा देने का कार्य नियमित किया जा रहा है। इन गतिविधियों के माध्यम से बालिकाओं को मानसिक तनाव से भी दूर रखने का यह एक प्रयास है।
लॉकडाउन लगने की वजह कोई शिक्षक गांव मे नही जा सकता तो सभी कार्यकर्त्ता ने मिलकर योजना बनाई की क्यों ना हम बालिकाओं को प्रोजेक्ट वर्क करवाये जिससे बालिकाए जिसका नाम रखा गया
,,छोटा वैज्ञानिक,, -इसका उद्देश्य था कि –
1.आम दिनचर्या मे विद्यालय से बाहर हम बालिकाओं कि जिज्ञासा, खोजी और लगातार प्रश्न पूछने कि प्रवर्ती का आनंद लेते हे.
बालिकाये अपने आस -पास कि दुनिया से बहुत ही सक्रिय रूप से जुड़े रहते हे. वह खोज बिन करते हे, प्रतिकिर्या करते हे, चीजों के साथ कार्य करते हे, चीजे बनाते हे और अर्थ गढ़ते हे.
2. सिखने के विषय मे आधुनिक शोध बताते हे कि अगर बच्चों को सवाल पूछने, उनके उतर खोजने और सिखने के पर्याप्त मौके दिए जाये तो बच्चों मे सिखने के प्रति रुची जाग्रत होती हे।
3. बच्चा अपने परिवार व अपने परिवेश मे अन्त :क्रिया करते हुए बहुत सारी चीजे सीख लेता हे वर्तमान शिक्षण पद्धति मे इस तरह के शिक्षण अधिगम के लिए बहुत कम स्थान हे बच्चों कि शोध कि प्रक्रिया मे समुदाय को शिक्षण हेतु महत्वपूर्ण श्रोत मानता हे।
4. उतर देने कि तुलना मे प्रश्न बनाने कि दक्षता ज्यादा महत्वपूर्ण हे। इस प्रक्रिया मे बच्चे स्वयं प्रश्न बनाते हे तथा प्रश्नों के जो उतर आते हे उनका विश्लेषण करते हुए आगे कि खोजबिन के लिए और प्रश्न बनाते हे।इस पूरी प्रक्रिया मे बच्चे गहन अवलोकनो और स्वनुभवो से सिखने कि और बढ़ते हे, सीखना उनके लिए बोझिल नही होता हे।
छोटा वैज्ञानिक पर कार्य –
1. शिक्षक बच्चों से मोबाइल के द्वारा बातचीत करेगा और तीन से चार बालिकाओं का समूह बनाएगा, जो आस पास रहती हों..
एंव उनके अनुभव कि कोई थीम का चुनाव बालिकाओं के साथ मिलकर करेंगे जिसमे बालिकाओं के घर के सदस्य जानकारी के स्तर पर बालिकाओं कि मदद कर पाए।
2. दूसरे दिन शिक्षक और बालिकाएं बातचीत करके थीम के संदर्भ मे कुछ सवाल बनाएंगे। ( लगभग 10 सवाल )
3. ये प्रश्न पत्र सुपरवाइजर और प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर वेरीफाई करेंगे।
4. इसके पश्यात बालिकाएं अपने घर के प्रत्येक सदस्य के साथ उन प्रश्नों पर बातचीत करनी होंगी एंव उतरो को नोट करना होगा।
5.बालिकाएं अगले 5 से 6 दिनों तक घर एंव घर के अगल बगल के घर के सदस्यों के साथ सर्वे का काम करेंगे। जिन बालिकाओं को लिखना नही आता और अभिभावक या समूह के अन्य बालिकाओं को लिखना आता हे तो वे अपने स्तर से बालिकाओं कि लिखने मे मदद करेंगे।
थीम के प्रकार –
1बीज कि यात्रा
2मेरे गांव का परिचय
3त्यौहार तब और अब
4मेरे गांव मे जल के श्रोत
5मेरे गांव मे रोजगार आदि
अपेक्षित कौशल या दक्षिताओ का विकास
1. अनुमान लगाना, अवलोकन. वर्गीकरण, तर्क करना, प्रश्न निर्माण, तुलना करना आंकड़ों का संग्रहण व विश्लेषण, सामूहिक सहभागिता, आदि
इस तरह का कार्य अभी वर्तमान मे बालिका शिक्षा कार्यक्रम के दौरान सभी केन्द्रो पर कक्षा -3,4 & 5 कि बालिकाओं के साथ किया जा रहा हे…. और कक्षा 1 और 2 कि बालिकाओं के लिए उनके ही परिवार मे से एक वोलिंटेअर बनाया गया हे और शिक्षक के द्वारा मोबाइल के माध्यम से वोलिंटियर को 2 थीम दी जाती हे और और वोलिंटियर वंहा बालिकाओं के साथ दी गई थीम पर कार्य करवाता हे। साथ साथ मे शिक्षक और सुपरवाइजर काम का अवलोकन बालिकाओं से चर्चा करके पता लगते रहते हे और जंहा जंहा से फोटो उपलब्ध हों रहे हे वंहा से फोटो भी मंगवा लिया जाता हे। जब थीम का काम पूरा हों जाता हे तो बालिकाओं को अगली थीम दे दी जाती हे।
कुछ थीम
वंश वृक्ष
घर के बर्तन
मिट्टी के खिलोने
रिश्ते नाते
घर मे पालतू पशु
आदि
इस दौरान बालिकाओं एंव उनके अभिभावकों को कोरोना संबंधित जानकारी हाथ धुलाई, मास्क लगाना,शरीर से शरीर की दूरी आदि की भी फोन के माध्यम से उपलब्ध करवाई जाती है।
इन सब प्रयासों के माध्यम से परिवार के सदस्यों को भी अपनी बालिका की शिक्षा में सहभागिता देने का एक अवसर प्राप्त हुआ है। और जो दूरस्थ गावो में शिक्षा से दूर होती जारही अनगढ़ बालिकाओ को शिक्षित कर घड़ा जारहा है ताकि बे पूर्ण आकार लेकर समाज मे अपना स्थान बना पाये ब कोरोना के इस भयावह समय मे भी ईम्पेक्ट सँस्था के सहयोग से महात्मा गांधी सेवा आश्रम द्वारा शिक्षा को निरंतर जारी रखने की यह पहल अत्यन्त सराहनीय है।
शिक्षको के साथ के साथ सुपरवाइजर दैनिक काम का हर दिन अवलोकन करता हे एंव गूगल मीट के माध्यम से कार्य का अवलोकन सुपरवाइजर, कार्यक्रम समन्वयक, एंव इम्पैक्ट से रामचन्द्र जी मुख्य प्रशिक्षक मौसमदीन जी तथा सुनील तिवारी जी ब सँस्था के संचालक जयसिंह जादौन जी निरन्तर कार्य पर निगरानी रखते हुये मार्गदर्शन देते रहते है
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