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फिलहाल यह हेल्पलाइन महिला वैज्ञानिकों को मदद उपलब्ध कराएगी और कार्य दिवसों के दौरान ऑफिस के समय (सुबह 09:30 बजे से शाम 05:30 बजे तक) में उपलब्ध रहेगी।
डॉ. हर्षवर्धन ने हेल्पलाइन के बारे में विस्तार से जानकारी दी कि कैसे एमओएसटी की महिलाओं के लिए योजनाएं विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में महिलाओं को अपना करियर जारी रखने में मदद कर सकती हैं और योग्यताएं या योजनाओं के लिए दूसरी आवश्यकताओं के बारे में।
नई दिल्ली में एक अन्य कार्यक्रम में डीएसटी ने अपने स्वायत्त संगठन प्रौद्योगिकी सूचना पूर्वानुमान और मूल्यांकन परिषद (टीआईएफएसी) के साथ टीआईएफएसी में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया, जहां जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने महिला वैज्ञानिक योजना सी (केआईआरएएन आईपीआर) की सराहना की, जो भारत में आईपीआर पारिस्थितिकी तंत्र पर असर डाल रहा है। उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका बढ़ाने और विज्ञान तकनीकी और इंजीनियरिंग से जुड़े रोजगार बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया।
टीआईएफएसी में अपने संबोधन में डीएसटी के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने विज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए हाल में लॉन्च की गई विज्ञान ज्योति योजना पर बात की। उन्होंने कहा कि जिले स्तर पर संभावित उम्मीदवारों की पहचान के लिए एक अभियान चलेगा। उन्होंने कहा, ‘500 से ज्यादा जिलों से चयनित महिलाओं को आईआईटी, एनआईटी और दूसरे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी शिक्षा के प्रमुख संस्थानों में विज्ञान शिविरों में भाग लेने के मौके दिए जाएंगे, जहां महिलाओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।’ उन्होंने नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में आईपी की भूमिका पर जोर दिया और महिला वैज्ञानिकों को बधाई दी जिन्होंने किरन कार्यक्रम के तहत आईपीआर पर एक साल का प्रशिक्षण पूरा कर लिया है।
महिला वैज्ञानिक योजना डब्लूओएस-सी, जिसे किरन आईपीआर के नाम से भी जाना जाता है, के 10वें बैच को आईपीआर पर एक साल का अपना व्यावहारिक प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा करने पर प्रमाणपत्र मिले। इस बैच में कुल 96 प्रशिक्षुओं ने प्रशिक्षण पूरा किया।
इस मौके पर दो प्रमुख युवा वैज्ञानिकों ने अपनी बात रखी। पुणे से आई एस्ट्रोप्रेनर श्वेता कुलकर्णी ने विज्ञान में खासतौर से खगोल विज्ञान में उद्यमिता की अपनी यात्रा का जिक्र किया। उन्होंने एक एस्ट्रोप्रेनर बनने की अपनी यात्रा साझा की और कैसे खगोल विज्ञान ने जीवन को लेकर नया दृष्टकोण दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि खगोल विज्ञान संस्कृति अब भारत में शुरू होनी चाहिए। एक और पुरस्कार विजेता डीआरडीओ की लैब डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एंड अलाइड साइंसेज की महिला वैज्ञानिक डॉ. श्वेता रावत ने सरकारी लैब में विज्ञान के क्षेत्र में काम करने की अपनी कहानी साझा करते हुए महिला वैज्ञानिकों को प्रेरित किया। उन्होंने सशस्त्र बलों के लिए सुरक्षात्मक गियर, बुलेट प्रूफ सूट के विकास की अपनी यात्रा के बार में भी चर्चा की।
सरकार की खासतौर से महिला वैज्ञानिकों के लिए तमाम योजनाओं पर एक पैनल चर्चा भी हुई। प्रतिभागियों ने इसमें काफी रुचि दिखाई और पैनलिस्टों से काफी सवाल पूछे। पैनल का नेतृत्व इनोवेशन एंड एंटरप्रेनरशिप की एसोसिएट हेड और साइंटिस्ट जी डॉ. अनीता गुप्ता, संयुक्त सचिव अंजू भल्ला और डीएसटी की वैज्ञानिक जी नामिता गुप्ता ने किया।
एक और पैनल चर्चा में इस बात पर चर्चा की गई कि कैसे डीएसटी योजना किरन आईपीआर महिला वैज्ञानिकों को विज्ञान की तरफ वापसी करने और खुद को एक आईपी उद्यमी के रूप में स्थापित करने में सक्षम बनाने में भूमिका निभाती है। कार्यक्रम में जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डॉ. रेणु स्वरूप और 100 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम के दौरान फिल्म ‘हिडन फीगर’ दिखाई गई। प्रतिभागियों को अपूर्व पुरोहित की किताब ‘लेडी यू आर द बॉस!’ भेंट की गई।
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