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जब कोई भी रिश्ता हमसे दूर होता है , तो हम उसके लिए बेचैन हो जाते हैं ।अगर हमारे सभी रिश्ते अच्छे और स्वस्थ रहते हैं तो हम स्वयं में एक सकारात्मक ऊर्जा के साथ प्रसन्नता का अनुभव करते हैं । रिश्ते हमारे जीवन के सबसेअहम एवं भावनात्मक हिस्सा होते है ,यह बात कही ।
धृति तोमर एवं सुजाता तोमर ने रिश्तों पर अपने अनुभव साझा करते हुऐ बताया कि कैसे वह अल्पविराम के जरिये अपने बिगड़े रिश्तों को मधुर बनाने में सफल रहीं । आनंदक मणीन्द्र कौशिक , श्याम सिंह सिकरवार और बिन्दु सोलंकी द्वारा रिश्तों के जुड़ने और टूटने के कारणों पर अपने विचार व्यक्त किये । दीपक भोला ने भी रिश्तों पर कहा कि “करीब रहो इतना ,कि रिश्तो में प्यार रहे । दूर भी रहो इतना ,कि आने का इंतजार रहे । रखो उम्मीद इतनी , रिश्तो के दरमियां कि टूट जाए उम्मीद , मगर रिश्ते बरकरार रहे ।
तृतीय दिवस में सत्र की शुरुआत बिन्दु सोलंकी द्वारा प्रस्तुत मधुर प्रार्थना से हुई। आनन्दम सहयोगी सुजाता तोमर ने आत्मपोषण के प्रश्नों पर प्रतिभागी रिया तोमर , जितेंद्र शर्मा , मणीन्द्र कौशिक , अधिवक्ता रीता पाठक, रीना जादौन आदि से शेयरिंग ली । कार्यक्रम संचालन मे दीपक भोला ने साथ दिया।
जिला मुरैना के नोडल अधिकारी राम कुमार तोमर जिला कोषालय अधिकारी ने मुरैना जिले का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया औऱ आनंद विभाग की गतिविधियों को अन्य ब्लॉक जौरा कैलारस ,सबलगढ़ सहित सातो ब्लॉक में विस्तारित करने हेतु अपने विचार व्यक्त किये । ग्वालियर -चम्बल संभाग की समन्वित कार्य योजना ई. ए के शर्मा द्वारा प्रस्तुत की गई ।
आनन्दम सहयोगी विजय कुमार उपमन्यु द्वारा आनंदक प्रतिभागियों की सक्रिय सहभागिता और सहयोग प्राप्ति के सन्दर्भ मे रीता पाठक ,अरविन्द मावई , बीरेन्द्र धाकड़ आदि अन्य आनन्दको से परस्पर विचार साझा करते हुए कार्य योजना हेतु सुझाव संकलित किये गये । बालकृष्ण शर्मा ने अल्पविराम एवं आनन्द कार्यक्रमों की भावी कार्य योजना प्रस्तुत की । मास्टर ट्रेनर डॉ. सुधीर आचार्य द्वारा समेकन किया गया ।
अन्त में कृति तोमर ने प्रेरणा गीत गाया औऱ विजय उपमन्यु द्वारा “इक दिन बिक जाएगा माटी के मोल ” समापन गीत गाया । मनोज शर्मा ने सभी के प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष सहयोग एवं सहभागिता हेतु आभार प्रदर्शन किया गया ।
इस आयोजन के द्वितीय दिवस का आगाज मुस्कान तोमर द्वारा प्रस्तुत ” मन का दीप जलाओ” प्रार्थना से हुआ।तत्पश्चात् आत्मपोषण के लिए दिए गए प्रश्नों पर कृति तोमर एवं धृति तोमर ने प्रतिभागियों से उनके विचारों पर शेयरिंग ली , जिसमें बीरेन्द्र शर्मा ,बी .एस. तोमर ,मणीन्द्र कौशिक ,नीतू भारद्वाज, प्रशांत भदोरिया ,कृष्णवीर तोमर ने अपने चिन्तन को अभिव्यक्त किया ।कार्यक्रम संचालन विश्वनाथ एवं बिन्दु ने किया ।
मास्टर ट्रेनर बलवीर बुन्देला ने “चिंता एवं प्रभाव के दायरा ” आनन्द टूल्स पर सत्र लिया और आनंदक दुष्यंत ने अपनी चिंताओं के दायरे को घटा कर प्रभाव के दायरे को केसे बढ़ाया पर अनुभव साझा किया । डॉ. सुधीर आचार्य ने चिंता-चिन्तन से जुड़ा एक प्रयोग किया । तदोपरांत मास्टर ट्रेनर राजा खान ने जीवन के लेखा – जोखा आनन्द टूल्स को प्रतिभागियों के समकक्ष प्रस्तुत किया और अपने जीवन में घटित घटनाओं को साझा किया। द्वितीय दिवस का समापन आनन्दम सहयोगी विजय उपमन्यु द्वारा गाये गये ” जीना इसी का नाम है” समापन गीत से हुआ।
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