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सचिव कृष्णकांत राठौर ने बताया बून्दी राज्य की स्थापना की क्रांतिकारी घटना के गवाह स्थल उमरथूना के प्रति जनजागृति व ऐतिहासिक धरोहर के सरंक्षण हेतु समन्वयक सर्वेश तिवारी सांस्कृतिक प्रभारी महेश श्रृंगी के नेतृत्व में हेरिटेज वॉक का आयोजन किया गया जिसमें प्रमोद श्रृंगी तथा नागरिक सुरक्षा दल के दीपक खत्री व विकेश साल्वी आदि सदस्यों ने प्रातःकालीन बेला में शहर से दस किलोमीटर दूर उमरथूना पहाड़ी पर स्थित हिंगलाज माता व हाड़ा शासकों की आराध्या शक्ति चामुंडा माता के मंदिर में सोशल डिस्टेंसिंग व मास्क के साथ पूजा अर्चना कर बून्दी की कुशलता व कल्याण की कामना की व स्वच्छ,स्वस्थ, हरित सरंक्षित विकसित बून्दी के निर्माण की दैवीय शक्तियों से प्रार्थना की।
स्थापना दिवस पर ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी का हुआ आयोजन
पूर्व वित्त राज्य मंत्री शर्मा ने संस्थान द्वारा बूंदी स्थापना दिवस के विशेष अवसर पर आयोजित ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी का बटन दबाकर व सफल प्रतिभागियों को ऑनलाइन प्रमाण पत्र जारी कर शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि बूंदी की कला साहित्य संस्कृति व विरासत अपने आप में विश्व स्तर पर अपनी अनूठी पहचान रखती है। आज सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की महती आवश्यकता है और यह साझा जिम्मेदारी है। हमें स्थापना दिवस मनाने के साथ ही संकल्प लेना चाहिए कि हम बूंदी की विरासत के संरक्षण में सहभागी बने। प्रश्नोत्तरी के संयोजक सर्वेश तिवारी ने प्रश्नोत्तरी की जानकारी देतें हुए बताया कि नवाचार के रूप में स्थापना दिवस पर प्रश्नोत्तरी को लॉन्च किया गया है। प्रथम दिवस ही दो सौ पचास से अधिक प्रतियोगियों ने सफलता पूर्वक प्रश्नोत्तरी से ई प्रमाण पत्र प्राप्त किये। प्रश्नोत्तरी के माध्यम से प्रत्येक व्यक्ति भाग लेकर बूंदी से संबंधित 25 प्रश्नों का सफलतापूर्वक उत्तर देकर व साथ ही बूंदी की कला संस्कृति विरासत के संरक्षण का संकल्प लेकर आकर्षक ई प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकता है । यह प्रश्नोत्तरी सोशल मीडिया पर आगामी 7 दिन तक जारी रहेगी जिसमें कोई भी आम व्यक्ति भाग लेकर अपना आकर्षक प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकेगा। संस्थान की अध्यक्ष सविता लॉरी ने आभार किया।
बूंदी स्थापना का क्रांति केंद्र रहा है उमरथूना
इतिहासकारों के अनुसार ऐतिहासिक प्राचीन प्राकृतिक छटा के बीच उमरथूना ग्राम बूंदी से पश्चिम में 10 किलोमीटर दूर चित्तौड़ रोड़ पर प्रकृति की गोद में शक्ति केंद्र आराध्या मां हिंगलाज तथा मां चामुंडा मंदिर के साथ उस प्रारंभिक ऐतिहासिक घटना का गवाह रहा है जब, जैता मीणा के अधीन तीन सौ घरों की एक बस्ती थी। एक बार अभिमानी जैता ने अपने दो पुत्रों का विवाह अधीनस्थ चौहान राजपूत जसराज गोलवाल की दो पुत्रियों से करने का प्रस्ताव किया और जन्म हुआ विवशता में उस षड्यंत्र का जब राजपूत जसराज गोलवाल की प्रार्थना पर बम्बावदा के हाड़ा वंशी राजकुमार देवसिंह ने विवाह के नाम पर उमरथूना ग्राम में बुलाए मीणा शासक की बारात को भस्मिभूत व तलवार से मौत के घाट उतारकर बून्दी को अधिकार में लिया और बून्दी की राज्य के रूप स्थापना हुई।
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