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भोपाल.शैलेन्द्र शैली/ @www.rubarunews.com>> कार्ल मार्क्स का महान अवदान मानव जाति की विकास यात्रा की सर्व श्रेष्ठ उपलब्धि है । कार्ल मार्क्स दुनिया के पहले ऐसे चिंतक थे जिन्होंने दुनिया को बदलने की बात कही । अन्यथा उनसे पहले के समस्त चिंतक और दार्शनिक दुनिया को समझने का ही प्रयास करते रहे । कार्ल मार्क्स द्वारा सृजित कम्युनिस्ट घोषणा पत्र और पूंजी ने दुनिया को शोषण मुक्त बनाने का मार्ग प्रशस्त किया । जन विरोधी पूंजीवाद की चालाकियों और साजिशों का पर्दाफाश किया । शोषित मेहनतकश जनता को अन्याय और शोषण से मुक्ति हेतु संघर्ष के लिए प्रेरित किया । मार्क्स की विचारधारा अर्थात मार्क्सवाद ने जीवन और समाज के लगभग सभी अंगों , राजनीति ,साहित्य ,कला , संस्कृति ,इतिहास की समझ को प्रभावित किया । इसके अध्ययन हेतु वैज्ञानिक समझ के महत्व को प्रतिपादित किया ।कार्ल मार्क्स ने विकास की प्रक्रिया में द्वंद्व के महत्व को रेखांकित कर स्थापित किया । कार्ल मार्क्स ने समाज में प्रत्येक परिवर्तन और विकास के कारणों का अध्ययन कर आर्थिक कारणों की ही केंद्रीय भूमिका को निर्धारित करते हुए कहा था कि ,समाज की आर्थिक संरचना अर्थात श्रम की पैदावार के उत्पादन और वितरण की पद्धति ही वह आधार है जिस पर बाकी सब कुछ की इमारत खड़ी है ,जनता की न्यायिक , राजनीतिक , धार्मिक और सामाजिक जीवन की इमारत , भले ही युग कोई भी हो और देश कोई भी हो ।
मार्क्सवाद के विचार ने सारी दुनिया को स्वाधीनता और सामाजिक न्याय हेतु प्रेरित किया ।भारत भी इससे अछूता नहीं रहा । मेहनतकश जनता के हितों की रक्षा हेतु आंदोलन मार्क्सवाद की प्रेरणा से ही संचालित हुए और अभूतपूर्व उपलब्धियां अर्जित की गई ।
मार्क्सवाद के महत्व को रेखांकित करने के लिए हम मानव जाति के इतिहास को दो भागों में विभाजित कर सकते हैं । मार्क्सवाद से पहले की दुनिया और मार्क्सवाद के बाद की दुनिया ।मार्क्सवाद ने दुनिया को बदला है ।कार्ल मार्क्स का अवदान कोई ऐसा कट्टरपंथी धार्मिक ग्रंथ नहीं है जिसका रोजाना पाठ करके र टा जाए और उसे ही अंतिम सत्य मान लिया जाए ,ऐसा करना मार्क्सवाद के सिद्धांतों के खिलाफ है ।हमें मार्क्सवाद का मर्म समझना चाहिए ।यह एक प्रवाह है , एक अंतर्धारा हैं जो अपने समय और परिदृश्य का वैज्ञानिक समझ और प्रगतिशील दृष्टि के साथ अध्ययन कर शोषण और अन्याय का प्रतिरोध करने हेतु प्रेरित करती है ।
मार्क्सवाद ने दुनिया को बदला और मुझे भी बदला । यदि में कार्ल मार्क्स की विचारधारा के संपर्क में नहीं आता तो मैं भी आज किसी कट्टरपंथी भक्त मंडली का सदस्य होता । मार्क्सवाद के संपर्क में आने के बाद मुझमें बुनियादी परिवर्तन हुआ । मार्क्सवाद को समझने की कोशिशों से ही मैं विकसित हुआ ।शोषण मुक्त दुनिया की स्थापना को अपने जीवन का लक्ष्य बनाकर अपने जीवन को सार्थक किया ।तब ही तो सारी दुनिया में खुशहाली के सपने देखता हूं और साहिर लुधियानवी के इस गीत को अक्सर गाता हूं , वो सुबह कभी तो आएगी ।
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