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ग्रामीण क्षेत्र में हेल्थकेयर सिस्टम को मजबूत बनाया जाना आवश्यक – राहुल सिंह सूचना आयुक्त

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सूचना का अधिकार अधिनियम और हेल्थकेयर सेवाएं पर 22 वें वेबीनार का हुआ आयोजन

सूचना आयुक्त राहुल सिंह की अध्यक्षता में हुआ आयोजन

पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी एवं पूर्व मप्र सूचना आयूक्त

आत्मदीप, आरटीआई एक्टिविस्ट भास्कर प्रभु, देवेन्द्र अग्रवाल, डॉ धीरेंद्र मिश्रा रहे प्रमुख वक्ता

 

दतिया/ रीवा @rubarunews.com>>>>>>> दिनांक 22 नवंबर 2020 को आरटीआई एवं हेल्थ केयर सेवाएं विषय पर 22 वें ज़ूम मीटिंग वेबीनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह के द्वारा की गई जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी, पूर्व राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप, माहिती अधिकार मंच मुंबई के संयोजक भास्कर प्रभु, छत्तीसगढ़ से आरटीआई एक्टिविस्ट देवेंद्र अग्रवाल, रीवा से मनोचिकित्सक डॉक्टर धीरेंद्र मिश्रा सम्मिलित हुए। कार्यक्रम का संयोजन, प्रबंधन एवं समन्वयन अधिवक्ता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट नित्यानंद मिश्रा, अंबुज पांडे एवं सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी के द्वारा किया गया।

 

*हेल्थ केयर सिस्टम में पारदर्शिता आज समय की सबसे बड़ी माग – सूचना आयुक्त राहुल सिंह*

इस बीच ज़ूम मीटिंग को संबोधित करते हुए मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने बताया कि हेल्थ केयर सिस्टम में ब्यूरोक्रेसी नहीं होनी चाहिए। कोरोना लॉकडाउन का उदाहरण देते हुए राहुल सिंह ने कहा कि कोरोनावायरस लॉक डाउन कब तक चले और इसका निर्धारण कौन करें यह ब्यूरोक्रेट्स का काम नहीं होना चाहिए बल्कि इसमें उच्चस्तर पर हेल्थकेयर से जुड़े हुए डॉक्टर से बैठने चाहिए जो निर्धारित करें की लॉकडाउन कब तक चलेगा। टेंडर प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की बात बताते हुए राहुल सिंह ने अपने अनुभव शेयर किए। उन्होंने बताया कि पूर्व में लेप्रोस्कोपी के विषय में जानकारी चाही थी और आरटीआई लगाकर जानकारी में पता चला था कि घटिया और सस्ता सामान उपलब्ध करवा दिया गया था लेकिन उसकी प्राइस बहुत हाई बताई गई थी और समान भीबकाफी खराब थे।

 

सिस्टम को पारदर्शी होना चाहिए तभी व्यवस्थाएं सुधरेगी और इस विषय पर सभी को मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। सूचना आयुक्त ने कहा कि जब समाज के सभी लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो जाएंगे तो देश में क्रांति आ जाएगी। और आज यह समय की मांग है कि व्यक्ति अपने अधिकारों के लिए मुस्तैद रहें और अपनी आवाज़ उठाएं।

 

*ग्रामीण क्षेत्र में हेल्थ केयर सिस्टम को मजबूत बनाया जाना आवश्यक – राहुल सिंह*

सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि आज ग्रामीण क्षेत्रों सबअर्बन एरिया एवं कस्बाई इलाकों में हेल्थ केयर सिस्टम पूरी तरह से चरमरा गया है और इस बात का खुलासा कोरोनावायरस के समय पर सबसे ज्यादा हुआ है। उन्होंने बताया कि आज हर कोई बीमार होता है सर्दी जुकाम होता है और कोरोनावायरस या की अन्य गंभीर समस्या हो जाती है तो वह भोपाल के चिरायु अस्पताल की तरफ भागता है इसका कारण यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों, छोटे नगरीय क्षेत्रों, कस्बाई क्षेत्रों में हेल्थ केयर सिस्टम पूरी तरह से डगमगा चुका है जिसे मजबूत बनाए जाने की आवश्यकता है। राइट टू नॉनडिस्क्रिमिनेशन के विषय में बात करते हुए सूचना आयुक्त ने कहा कोई भी चिकित्सक किसी बीमार व्यक्ति को सिर्फ इस आधार पर इलाज करने से मना नहीं कर सकता कि वह किसी जाति वर्ग का है अथवा छुआछूत का कोई कारण है। आज नॉन डिस्क्रिमिनेशन के आधार पर हर व्यक्ति का समान अधिकार बनता है। सूचना आयुक्त ने बताया कि हर व्यक्ति को अपनी डायग्नोस्टिक्स चुनाव करने का पूरा अधिकार होता है इसलिए वह किस डॉक्टर के पास जाकर कहां इलाज करवाएगा यह अधिकार उसे प्राप्त है। आप सभी को जागरूक होने की जरूरत है और विशेषतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में हेल्थ केयर सिस्टम को मजबूत बनाए जाने की सबसे ज्यादा आवश्यकता है और इसके लिए आरटीआई कार्यकर्ताओं के साथ-साथ सामान्य व्यक्तियों को भी अपने अधिकार के लिए मुस्तैद होना पड़ेगा। दवाओं के सैंपल आदि की जानकारी के लिए सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि धारा 2 (जे) के तहत यह जानकारी मांगी जा सकती है।

 

*मानसिक रोगियों से संबंधित काफी जानकारी आरटीआई दायरे में नहीं आती – डॉक्टर धीरेंद्र मिश्रा*

इस बीच पूरे हेल्थ केयर सिस्टम पर प्रकाश डालते हुए और अपने मनोचिकित्सक के तौर पर अनुभव को साझा करते हुए रीवा से डॉक्टर धीरेंद्र मिश्रा ने बताया की मेडिकल फील्ड में मानसिक रोगियों से संबंधित काफी जानकारी आसानी से साझा नहीं की जाती है इसका कारण यह होता है कि व्यक्ति अपने मानसिक रोगी होने का कारण सार्वजनिक नहीं करना चाहता है और यह जानकारी थर्ड पार्टी से संबंधित होती है। किसी विशेष परिस्थिति अथवा कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ही यह जानकारी साझा की जा सकती है।

 

इस बीच सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने बताया कि हमारे पास भी कई बार ऐसे मामले आते हैं जब किसी की मेडिकल लीव से संबंधित बीमारी की और दवाओं की जानकारी मांगी जाती है उस स्थिति में हम बीमारी और उपयोग की गई दवाओं की जानकारी धारा 8(1)(जे ) के तहत देने से मना करते हैं। हर मरीज को अपनी प्राइवेसी का अधिकार है और उसकी प्राइवेसी भंग नहीं होनी चाहिए। कोर्ट का आदेश है अथवा कोई अन्य न्यायालयीन आदेश को छोड़ कर यह जानकारी सार्वजनिक नहीं होती है।

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यद्यपि मेडिकल क्षेत्र में पारदर्शिता के विषय में चर्चा करते हुए डॉ मिश्रा ने कहा कि आज ज्यादातर जानकारी वेब पोर्टल पर साझा रहती है जहां से या जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सकती है।

 

*हेल्थ फॉर ऑल योजना के माध्यम से भारत के चिकित्सा क्षेत्र में क्रांति आएगी – धीरेंद्र मिश्रा*

इस बीच डॉक्टर धीरेंद्र मिश्रा ने फार्मास्युटिकल्स दवाई कंपनी, प्राइवेट हॉस्पिटल, आयुष्मान योजना, आशा कार्यकर्ता, ग्रामीण क्षेत्रों में मेडिकल सुविधा, शहरी क्षेत्रों में सुविधा, जेनेरिक दवाइयां, कोरोना से संबंधित इलाज आदि पर प्रकाश डालते हुए अपनी विस्तृत चर्चा रखी और बताया कि भारत सरकार के द्वारा हेल्थ फ़ॉर आल योजना के तहत काफी अच्छा काम किया जा रहा है जिसमें सरकार की मंशा के अनुरूप आगे आने वाले समय में हर व्यक्ति के लिए अच्छी मेडिकल सुविधा उपलब्ध होगी। आयुष्मान योजना का उदाहरण देते हुए मनोचिकित्सक डॉक्टर धीरेंद्र मिश्रा ने बताया कि आज काफी लोग आयुष्मान योजना से जुड़ चुके हैं और इसका लाभ ले रहे हैं मात्र जनता को जागरूक होने की आवश्यकता है कि वह किन हॉस्पिटल में इलाज करवा कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

 

*प्राइवेट अस्पताल मात्र प्रॉफिट के लिए बने होते हैं इसलिए नैतिकता की कमी है – डॉक्टर धीरेंद्र मिश्रा*

प्राइवेट हॉस्पिटल का उदाहरण देते हुए डॉक्टर धीरेंद्र मिश्रा ने बताया कि प्राइवेट हॉस्पिटल प्रॉफिट के लिए होते हैं इसलिए उस पर ध्यान देना भी आवश्यक है और साथ में आयुष्मान योजना का उपयोग करने वाले पीड़ितों के लिए यह भी ध्यान देना चाहिए कि वह ज्यादा से ज्यादा सरकारी अस्पताल में ही इलाज करवाएं मात्र विशेष परिस्थिति में ही प्राइवेट हॉस्पिटल पर जाएं जब अन्य विकल्प मौजूद न हो क्योंकि कई बार प्राइवेट हॉस्पिटल अलग से पैसा ले लेते हैं जो नैतिक नहीं कहा जा सकता।

*हमने इकोनॉमिकल वीकर सेक्शन के लिए जानकारी साझा करने के निर्देश दिए थे – शैलेश गांधी*

हेल्थ केयर सिस्टम में सूचना के अधिकार के अपने अनुभव को साझा करते हुए केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने बताया कि वह जब सूचना आयुक्त के पद पर थे तो दिल्ली के कई अस्पतालों को इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन के लिए कितने बेड उपलब्ध हैं उसकी उपलब्धता की सूची अलग से प्रकाशित करने के सख्त निर्देश दिए थे जिससे ऐसे लोगों को आसानी से पता चल जाता था कि उनके लिए हॉस्पिटल में क्या व्यवस्था है। इसके पहले यह जानकारी प्राप्त करना काफी मुश्किल होता था कि गरीबों के लिए हॉस्पिटल में कितने बिस्तर खाली हैं और क्या व्यवस्थाएं हैं। इससे हॉस्पिटल के क्षेत्र में काफी सुधार आया था।

 

*अस्पताल, सरकार और डॉक्टर क्या सुविधा मुहैया कराते हैं इस पर ध्यान देना ज्यादा आवश्यक – देवेंद्र अग्रवाल*

हेल्थ केयर सिस्टम में पारदर्शिता को लेकर अपने अनुभव साझा करते हुए छत्तीसगढ़ से आरटीआई एक्टिविस्ट देवेंद्र अग्रवाल ने बताया कि वह फार्मास्यूटिकल कंपनियों, डॉक्टर्स, मेडिकल स्टोर्स, नर्सिंग होम आदि के विषय में दर्जनों आरटीआई लगाया करते थे जिस पर काफी खुलासे किए थे। लेकिन कोरोनावायरस लॉक डाउन की वजह से अभी यह काम बंद कर दिया है और उनके कई प्रकरण हाई कोर्ट और अन्य न्यायालय में चल रहे हैं। देवेंद्र अग्रवाल ने बताया कि मेडिकल और हेल्थ केयर सिस्टम में काफी अनियमितता प्रकाश में आती है लेकिन इस भ्रष्टाचार से लड़ना काफी मुश्किल कार्य होता है जिसके लिए काफी प्रयास करने की आवश्यकता है। देवेंद्र अग्रवाल ने कहा कि इससे ज्यादा आवश्यक है कि अस्पताल हेल्थ केयर सिस्टम में हमें क्या फैसिलिटी उपलब्ध है और हम कैसे उसका ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर पाए इस पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है और हर व्यक्ति को अपने राइट टू हेल्थ के विषय में जानने का अधिकार है।

 

*मौलिक अधिकारों में राइट टू हेल्थ सम्मिलित नहीं है – राहुल सिंह*

सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने हेल्थ केयर सिस्टम पर प्रकाश डालते हुए और वर्तमान स्थिति पर चर्चा करते हुए अपना मत रखा और कहा कि भारत के संविधान में जो मौलिक अधिकार हमें दिए गए हैं उनमें राइट टू लाइफ, राइट टू फूड यह सब अधिकार तो हैं लेकिन राइट टू हेल्थ नाम का कोई भी अधिकार हमारे पास नहीं है। और राइट टू हेल्थ एक अत्यंत आवश्यक अधिकार है जो हमें प्राप्त होना चाहिए। हम कई बार राइट टू लाइफ से ही इसका निर्धारण करते हैं और इंटरप्रिटेशन करते हैं लेकिन राइट टू हेल्थ का मौलिक अधिकार आ जाने से काफी सिस्टम में बदलाव आ सकता है। जन जागरण पर जोर देते हुए सूचना आयुक्त ने कहा कि हर व्यक्ति को अपने अधिकारों को जानने की आवश्यकता है और कार्य करने की जरूरत है। सभी को मिलकर पारदर्शिता के लिए प्रयास करना चाहिए तभी बदलाव संभव है। उक्त जान कारी शिवानंद द्विवेदी सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता जिला रीवा मध्य प्रदेश ने दी।

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Pratyaksha Saxena

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