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अनेक सवालों के जबाब अनसुलझे रह गए, बच गए पनाह देने वाले खाकी औऱ खादी वाले

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उत्तर प्रदेश का 5 लाख रुपये का ईनामी मोस्ट वांटेड बदमाश विकास दुबे शुक्रवार की सुबह पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। गुरुवार सुबह वह नाटकीय ढंग से उज्जैन के महाकाल मंदिर के बाहर टहलते और फोटो खिंचाते पकड़ा गया। उसकी गिरफ्तारी के बाद मध्य प्रदेश पुलिस अपनी पीठ थपथपा रही थी, तो यूपी पुलिस भी बेहद सतर्क थी, लेकिन सवालों के घेरे में दोनों हैं। 60 मुकदमों में वांछित हिस्ट्रीशीटर बदमाश विकास दुबे, 8 पुलिसकर्मियों की हत्या से पहले जैसे यूपी पुलिस नचाता रहा, ठीक वैसे ही उसने इस सनसनीखेज मुठभेड़ के बाद भी यूपी पुलिस को नचाया। आइये जानते हैं, कैसे चला शह-मात का पूरा खेल।

कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत बिकरू गांव में 2-3 जुलाई की रात पुलिस वांटेंड हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की गिरफ्तारी के लिए दबिश डालने पहुंची थी। टीम की कमान बिठूर के डीएसपी देवेंद्र मिश्रा संभाल रहे थे। उनके साथ तीन थानों की फोर्स मौजूद थी। इससे पहले कि पुलिस विकास को दबोचती, उसके गैंग ने पुलिस पर धावा बोल दिया। काफी देर तक चली मुठभेड़ में डीएसपी देवेंद्र मिश्रा, एसओ शिवराजपुर महेंद्र सिंह यादव, चौकी प्रभारी मंधना अनूप कुमार सिंह समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। सभी की गोलियों से छलनी कर और निर्ममता से पीट-पीटकर तथा धारदार हथियारों से हमला कर हत्या की गई थी। मुठभेड़ के बाद विकास दुबे और उसका पूरा गैंग गांव से फरार हो गया।

5 दिन में 25 हजार से 5 लाख का हुआ इनाम

इस हत्याकांड के बाद स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) समेत यूपी पुलिस की 60 से टीमें उसकी तलाश में जुट गईं। पांच दिन में यूपी सरकार ने 25 हजार के इनामी अपराधी पर 5 लाख रुपये का इनाम बढ़ाया तो देश भर की पुलिस विकास दुबे की तलाश में जुट गई। इस एक सप्ताह में यूपी पुलिस ने विकास के 5 साथियों को ढेर किया, जबकि दो मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार हुए। गुरुवार को विकास भी नाटकीय ढंग से उज्जैन स्थिति हाई सिक्योरिटी एरिया महाकाल मंदिर के बाहर पुलिस को मिल गया।

दो दिन से यूपी पुलिस को दे रहा था चकमा

विकास की तलाश में जुटी यूपी पुलिस का पूरा ध्यान पिछले दो दिन से दिल्ली-एनसीआर और नेपाल सीमा पर था। पिछले दो दिन में विकास दुबे के नेपाल भागने, दिल्ली में सरेंडर करने, फरीदाबाद के होटल में छिपे होने, ग्रेटर नोएडा कोर्ट में समर्पण करने की चर्चाएं चलती रहीं। बुधवार (8 जुलाई) रात तक ऐसी खबरें सामने आती रहीं कि विकास दुबे नोएडा के कई इलाकों में देखा गया है और पुलिस के पहुंचने से ठीक पहले वहां से भाग निकला। एक चर्चा ये भी चली कि विकास दुबे नोएडा के फिल्म सिटी स्थिति किसी न्यूज चैनल में समर्पण कर सकता है। दो दिन से चल रही इन चर्चाओं ने यूपी पुलिस को खूब छकाया। इन चर्चाओं पर भरोसा कर पुलिस कभी दिल्ली की खाक छानती तो कभी फरीदाबाद से विकास के प्यादों को पकड़ने तो कभी नोएडा-ग्रेटर नोएडा की सड़कों पर चेकिंग में उलझकर रह गई। उधर विकास दुबे पुलिस को चकमा दे मध्य प्रदेश भाग निकला। ऐसा माना जा रहा है कि पिछले दो दिनों से जो चर्चाएं चल रही थीं, वो विकास दुबे के इशारे पर ही जानबूझकर पुलिस को गुमराह करने के लिए फैलाई गईं। मतलब इस हत्याकांड के बाद भी विकास दुबे ने जैसे चाहा यूपी पुलिस को नचाता रहा।

रातों रात उज्जैन पहुंचना आसान नहीं

नोएडा या फरीदाबाद से महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन के बीच की दूरी तकरीबन 800 किलोमीटर है, जिसे सड़क मार्ग से तय करने में लगभग 15 घंटे का वक्त लगेगा। इससे ये तो साफ है कि बुधवार रात विकास दुबे दिल्ली एनसीआर में नहीं था। विकास दुबे कम से कम मंगलवार रात या बुधवार सुबह ही उज्जैन के लिए निकल चुका था। रात 10 बजे से सुबह 5 बजे के बीच कोरोना वायरस की वजह से देशभर में कर्फ्यू लागू है। ऐसे में देर रात सड़कों पर ट्रैफिक काफी कम होता है। लिहाजा रात में सड़क मार्ग से उज्जैन जाना विकास दुबे के लिए बहुत खतरनाक होता था। ऐसे में इस बात की संभावना ज्यादा है कि वह दिन ही दिन उज्जैन पहुंचा हो।

मध्य प्रदेश पुलिस भी सवालों के घेरे में

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मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा नाटकीय तरीके से विकास दुबे की गिरफ्तारी ही नहीं, बल्कि मुस्तैदी भी सवालों के घेरे में है। राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के अनुसार उन्होंने विकास की गिरफ्तारी के लिए राज्य पुलिस को अलर्ट पर रखा था। बावजूद विकास दुबे राज्य की सीमा में न केवल अंदर घुसा, बल्कि उज्जैन में दाखिल हो गया। इसके बाद हाई सिक्योरिटी वाले एरिया महाकाल मंदिर के आसपास घूमता रहा। बावजूद पुलिस उसे मंदिर प्रशासन की सूचना के बाद गिरफ्तार कर सकी।

*हाथ बंधे क्यों नहीं थे? विकास दुबे के एनकाउंटर को लेकर उठ रहे हैं ये 5 सवाल*

*यूपी* -8 पुलिसकर्मियों के हत्यारे गैंगस्टर विकास दुबे शुक्रवार सुबह पुलिस एनकाउंटर में मारा गया। उज्जैन से कानपुर लाए जाने के दौरान बर्रा इलाके में एसटीएफ की वह गाड़ी पलट गई जिसमें दुबे भी मौजूद था। पुलिस का कहना है कि दुर्घटना का फायदा उठाकर विकास दुबे ने एक पुलिसकर्मी से हथियार छीनकर भागने की कोशिश की और मारा गया। हालांकि, पुलिस की इस थ्योरी पर कई सवाल भी उठ रहे हैं, जिनका अभी जवाब दिया जाना बाकी है।

सवाल 1:
पहला सवाल यह है कि क्या आखिर काफिले की वही गाड़ी अचानक कैसे पलटी जिसमें विकास मौजूद था। यदि इसे संयोग मान लिया जाए तो भी बड़ा सवाल यह है कि जब इतने बड़े अपराधी को पुलिस गाड़ी में ला रही थी तो उसके हाथ खुले क्यों थे? क्या उसे हथकड़ी नहीं लगाई गई थी?
यह भी पढ़ें: कानपुर: आठ पुलिसकर्मियों का हत्यारा विकास दुबे पुलिस एनकाउंटर में ढेर

सवाल 2:
एक दिन पहले जिस तरह विकास दुबे की गिरफ्तारी हुई उसको लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। बताया जा रहा है कि उसने खुद मंदिर परिसर में कुछ लोगों को अपनी पहचान बताई थी। यदि वह गिरफ्तारी के लिए तैयार नहीं था तो एक हाई सिक्यॉरिटी जोन में क्यों गया? यदि कल गिरफ्तारी के लिए तैयार था तो आज उसने भागने की कोशिश क्यों की?

सवाल 3:
गुरुवार को प्रभात और शुक्रवार को विकास दुबे, इन दोनों का जिस तरह दो दिन में एनकाउंटर हुआ और पूरे घटनाक्रम को देखें तो यह सवाल जरूर उठता है कि क्या यह संयोग है? प्रभात के एनकाउंटर के बाद पुलिस ने इसी तरह का घटनाक्रम बताया था कि पहले पुलिस की गाड़ी पंक्चर हुई फिर प्रभात पुलिसकर्मियों से पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश करने लगा और फिर एनकाउंटर में मारा गया। आज भी सबकुछ ठीक उसी तरह से हुआ है।
यह भी पढ़ें: विकास दुबे एनकाउंटर : अखिलेश बोले- कार पलटी नहीं, सरकार पलटने से बच गई

सवाल 4:
दो दिन में दो बार अपराधी पुलिसकर्मियों से हथियार छीन लेते हैं। जानकार सवाल उठा रहे हैं कि क्या पुलिसकर्मियों ने अपने हथियार रखने में लापरवाही बरती जो उनके गिरफ्त में मौजूद कोई बदमाश हथियार छीन लेता है।

सवाल 5:
मीडियाकर्मियों का दावा है कि वे भी उस काफिले के साथ ही उज्जैन से आ रहे थे, लेकिन दुर्घटना स्थल से कुछ पहले मीडिया और सड़क पर चल रही निजी गाड़ियों को रोक दिया गया था। न्यूज एजेंसी एएनआई ने भी इसका फुटेज जारी किया है। आखिर क्यों मीडिया को आगे बढ़ने से कुछ देर के लिए रोक दिया गया था? यदि विकास ने भागने की कोशिश की तो उसके पैर में गोली क्यों नहीं मारी गई? इस तरह के और भी कई सवाल उठ रहे हैं, जिनका अभी पुलिस को जवाब देना होगा।

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Pratyaksha Saxena

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