Hello
Sponsored Ads
Categories: TOP STORIESदेश

जो दवाएँ रोग से हमें बचाती हैं क्या हम उन्हें बचा पायेंगे? Will we be able to save the medicines which save us from diseases?

Sponsored Ads

Sponsored Ads
Sponsored Ads
Sponsored Ads
Sponsored Ads

नईदिल्ली.शोभा शुक्ला.(सीएनएस)/ @www.rubarunews.com>>कोविड-19 महामारी के दौरान यह हम सबको स्पष्ट हो गया है कि ऐसा रोग, जिसका इलाज संभव न हो, उसका स्वास्थ्य, अर्थ-व्यवस्था और विकास पर कितना वीभत्स प्रभाव पड़ सकता है। दवाएँ हमें रोग या पीड़ा से बचाती हैं और अक्सर जीवनरक्षक होती हैं परंतु उनके अनावश्यक और अनुचित दुरुपयोग से, रोग उत्पन्न करने वाला कीटाणु, प्रतिरोधकता विकसित कर लेता है और दवाओं को बेअसर कर देता है। दवा प्रतिरोधकता की स्थिति उत्पन्न होने पर रोग का इलाज अधिक जटिल या असंभव तक हो सकता है। साधारण से रोग जिनका पक्का इलाज मुमकिन है वह तक लाइलाज हो सकते हैं।

जो दवाएँ रोग से हमें बचाती हैं क्या हम उन्हें बचा पायेंगे? Will we be able to save the medicines which save us from diseases?

दवाओं का अनुचित और अनावश्यक दुरुपयोग सिर्फ़ मानव स्वास्थ्य में ही नहीं हो रहा है, बल्कि पशु स्वास्थ्य और पशु पालन, कृषि और खाद्य वर्ग, और पर्यावरण में भी ज़ोरों से दवाओं का दुरुपयोग हो रहा है। पशु और मानव के मध्य अनेक ऐसे रोग हैं जो एक दूसरे से होते रहते हैं (जिन्हें ‘जूनोटिक’ रोग कहते हैं)। यदि रोग उत्पन्न करने वाले कीटाणु दवाओं के प्रति प्रतिरोधकता उत्पन्न कर लेते हैं तो यह पशु या मानव दोनों के लिए ख़तरे की घंटी है – क्योंकि जो भी ऐसे दवा-प्रतिरोधक कीटाणु से रोग ग्रस्त होगा उसका इलाज मुश्किल होगा या शायद इलाज हो ही न सके।

इसीलिए यह अत्यंत आवश्यक है कि न सिर्फ़ मानव स्वास्थ्य में बल्कि सभी वर्गों में दवाओं के अनुचित, अनावश्यक या दुरुपयोग पर पूर्ण रोक लगे जिससे कि दवा प्रतिरोधकता पर अंकुश लग सके। मुख्यत: मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ, पशु स्वास्थ्य और पशु पालन, कृषि और खाद्य, और पर्यावरण से जुड़े वर्गों को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी स्तर पर और किसी भी रूप में, दवाओं का अनुचित, अनावयश्यक या दुरुपयोग नहीं हो रहा है। इस व्यापक अन्तर-वर्गीय प्रयास को ‘वन हेल्थ’ भी कहते हैं।
दवा प्रतिरोधकता बना मृत्यु का एक बड़ा कारण
विश्व स्वास्थ्य संगठन के दवा-प्रतिरोधकता विभाग के निदेशक डॉ हेलिसस गेटाहुन ने कहा कि दवा प्रतिरोधकता के कारण दुनिया में सबसे अधिक मृत्यु हर साल हो रही हैं। 60 लाख से अधिक लोग एक साल में इससे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मृत होते हैं।
असामयिक मृत्यु के साथ-साथ अर्थ-व्यवस्था और सभी 17 सतत विकास लक्ष्यों पर दवा प्रतिरोधकता का कुप्रभाव पड़ता है। विश्व बैंक की 2017 रिपोर्ट के अनुसार, यदि दवा प्रतिरोधकता पर अंकुश नहीं लगाया गया तो 2050 तक इससे हर साल रुपये 1200 खरब तक का आर्थिक नुक़सान होगा। विश्व बैंक का आँकलन है कि 2030 तक दवा प्रतिरोधकता के करण लगभग 3 करोड़ अधिक लोग ग़रीबी में धँसेंगे।
एंटी-माइक्रोबायल रेजिस्टेंस या दवा प्रतिरोधकता क्या है?
बेक्टीरिया, वाइरस, फ़ंगस, या पैरासाइट – में जब आनुवंशिक परिवर्तन हो जाता है तब वह सामान्य दवाओं को बे-असर कर देता है। एंटीबाइओटिक हो या एंटी-फ़ंगल, एंटी-वायरल हो या एंटी-पैरासाइट, वे बे-असर हो जाती हैं और रोग के उपचार के लिए या तो नयी दवा चाहिए, और यदि नई दवा नहीं है तो रोग लाइलाज तक हो सकता है। इसीलिए दवा प्रतिरोधकता के कारणवश न केवल संक्रामक रोग का फैलाव ज़्यादा हो रहा है बल्कि रोगी अत्यंत तीव्र रोग झेलता है और मृत्यु का ख़तरा भी अत्याधिक बढ़ जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के थॉमस जोसेफ ने बताया कि कोविड-19 वैक्सीन की भाँति दवा प्रतिरोधकता भी समान ढंग से सबको प्रभावित नहीं करती बल्कि इसका सबसे भीषण कुप्रभाव अफ़्रीका और दक्षिण एशिया के देशों को झेलना पड़ रहा है।थॉमस जोसेफ ने बहुत सटीक उदाहरण दिया: यदि किसी समुदाय में बच्चों या लोगों को दस्त की समस्या जड़ पकड़ रही है तो स्वास्थ्य व्यवस्था के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करना होगा कि स्वच्छता, पीने और घरेलू उपयोग के लिए साफ़ पानी, और अन्य संक्रमण नियंत्रण व्यवस्था भी समुदाय और घरों में दुरुस्त रहे।
संयुक्त राष्ट्र की कृषि और खाद्य संस्था के स्कॉट न्यूमन ने कहा कि कृषि और खाद्य उत्पाद बरकरार रहे और ज़रूरत के अनुसार बढ़ोतरी पर रहे – यह सुनिश्चित करना उतना ही ज़रूरी है जितना दवा प्रतिरोधकता पर अंकुश लगाना। इसीलिए कृषि और खाद्य प्रणाली में हर स्तर पर, दवाओं के अनुचित, अनावश्यक या दुरुपयोग पर रोक लगाना सर्व हितकारी है। खाद्य उत्पादन बढ़ाने के लिए दवाओं का अनावश्यक, अनुचित या दुरुपयोग को जायज़ नहीं ठहराया जा सकता है।
स्कॉट न्यूमन का मानना है कि कृषि संबंधित जैव विविधिता और पारिस्थितिक तंत्र को नाश होने के कारण भी दवाओं का अनावश्यक, अनुचित या दुरुपयोग बढ़ा है। इसके कारण रोग उत्पन्न करने वाले कीटाणु दवा प्रतिरोधक हो रहे हैं। पशु पालन हो या कृषि से जुड़ा क्षेत्र, हर जगह दवाओं का उचित और आवश्यक उपयोग ही हो और किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरती जाये।
संक्रमण नियंत्रण में नाकामी को दवाओं के अनावश्यक दुरुपयोग से ढाँका नहीं जा सकता

वर्ल्ड ऑर्गेनाइज़ेशन फॉर एनिमल हेल्थ (पशु स्वास्थ्य के लिए वैश्विक संस्था) की डेल्फ़ी गोचेज़का कहना है कि पशुपालन में संक्रमण नियंत्रण असंतोषजनक होने पर, दवाओं का अत्यधिक अनावश्यक, अनुचित दुरुपयोग होता आया है जो पूर्णत: ग़लत है। सर्वप्रथम तो पशुपालन में संक्रमण नियंत्रण संतोषजनक होना चाहिए। यदि किसी विशेष स्थिति में पशुओं पर संक्रमण का ख़तरा मंडरा रहा है और दवाओं के इस्तेमाल से पशुओं को संक्रमण से बचाया जा सकता है, सिर्फ़ ऐसी स्थिति में ही दवाओं के उपयोग पर विचार करना चाहिए। परंतु असफल संक्रमण नियंत्रण को, दवाओं के अनावश्यक दुरुपयोग से ढाँका नहीं जा सकता है।

पशु स्वास्थ्य पर कार्यरत वैश्विक संस्था की जेन लवॉयरो ने बताया कि अफ़्रीका के अनेक देशों में, गाय भैंस आदि में होने वाले जिन रोगों से टीके के ज़रिए बचाव मुमकिन है, वहाँ टीकाकरण उपलब्ध करवा के दवाओं के अनावश्यक या अनुचित दुरुपयोग पर अंकुश लगाया जा रहा है। इन रोगों में थीलेरियोसिस शामिल है और इंसानों में टाइफाइड।

Related Post

भारतीय चिकित्सकीय आयुर्विज्ञान परिषद की डॉ कामिनी वालिया ने कहा कि वैज्ञानिक रूप से आँकड़ों को एकत्रित करना और प्रमाण के आधार पर दवा प्रतिरोधकता पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावकारी कार्यक्रम को संचालित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस बात में कोई संशय नहीं है कि भारत में हर जगह जाँच की उपलब्धता पर्याप्त होनी ज़रूरी है, और इसी के साथ-साथ, अस्पताल और समुदाय में संतोषजनक संक्रमण नियंत्रण भी उतना ही ज़रूरी है। जन स्वास्थ्य में पर्याप्त निवेश न होने के कारण, न सभी जाँच व्यवस्था हर जगह उपलब्ध हैं और न ही संक्रमण नियंत्रण। स्वच्छता की कमी को दूर करना भी उतना ज़रूरी है।
मुंबई की सुप्रसिद्ध माइक्रोबायलॉजिस्ट और यूनीलैब्स की अध्यक्ष डॉ प्राप्ति गिलाडा-तोष्णिवाल ने बताया कि भारत में हुए शोध के अनुसार, 55% एंटीबायोटिक के पर्चे साधारण से श्वास संबंधी रोगों के लिए पाये गये थे। इनमें से 1% से किमी की माइक्रोबायोलॉजी द्वारा जाँच हुई थी। स्पष्ट है कि भारत में दवाओं के अनावश्यक, अनुचित दुरुपयोग का स्तर कितना अधिक होगा। इन दवाओं में से दो-तिहाई तो दुकानों से बिना चिकित्सक के पर्चे के मिल जाती हैं। हमें दवाओं के अनावश्यक या अनुचित दुरुपयोग पर रोक लगाना है तो दवाओं की खुली अनियंत्रित बिक्री पर भी अंकुश लगाना होगा।

डॉ प्राप्ति गिलाडा ने कहा कि जाँच व्यवस्था को सशक्त करना बहुत ज़रूरी है जिससे हर रोगी को बिना-विलंब सही जाँच मिले, जिससे कि न केवल पक्की जाँच के आधार पर उसका इलाज बिना-विलंब शुरू हो बल्कि उन दवाओं से हो जिससे वह व्यक्ति प्रतिरोधक न हो। ऐसा होने पर ही यह संभावना बढ़ेगी कि दवाओं का अनावश्यक, अनुचित या दुरुपयोग स्वास्थ्य व्यवस्था में तो न हो।

 

Sponsored Ads
Share
Rubarunews Desk

Published by
Rubarunews Desk

Recent Posts

कॉमरेड अतुल कुमार अनजान के निधन पर गहन शोक – श्रद्धांजलि

भोपाल.Desk/ @rubarunews.com- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय… Read More

1 day ago

स्वीप के तहत अपर कलेक्टर ने बैलगाड़ी पर सवार होकर मतदान का आव्हान किया

अपर कलेक्टर श्री भार्गव ने कुसौली में बैलगाड़ी पर सवार होकर ग्रामीणों से घर-घर जाकर… Read More

1 day ago

मज़दूर दिवस पर जुलूस – फासीवाद का प्रतिरोध कर मज़दूर विरोधी सरकार को पराजित करने का आव्हान

भोपाल.Desk/ @www.rubarunews.com- मज़दूर दिवस के अवसर पर 1 मई 2024 को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, एटक… Read More

2 days ago

निर्माणाधीन पुल पर डायनामाइट के धमाके से दो मजदूरों की मौत

दतिया @Rubarunews.com/ Peeyush Rai >>>>>>>>>>>>>>>> दतिया में निर्माणाधीन पुल के पास ब्लास्टिंग में दो युवकों… Read More

3 days ago

समय की जरूरत है मध्यस्थता – बंसल

  श्योपुर.Desk/ @www.rubarunews.com-प्रधान जिला न्यायाधीश अध्यक्ष एवं अपर न्यायाधीश सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्योपुर… Read More

4 days ago

मज़दूर दिवस पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का जुलूस 1 मई को

भोपाल.Desk/ @www.rubarunews.com- मज़दूर दिवस के अवसर पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और सम्बद्ध श्रमिक संगठनों द्वारा… Read More

4 days ago
Sponsored Ads

This website uses cookies.