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जनहित में जल का दुरूपयोग प्रतिबंधित
सक्षम अधिकारी की अनुमति के बगैर पेयजल का दुरूपयोग न करें- संदीप माकिन कलेक्टर
दतिया @Rubarunews.com/ Peeyush Rai >>>>>>>>>>>>>>>>> विगत वर्षो में औसत से कम वर्षा होने के कारण आगामी ग्रीष्म ऋतु में पेयजल स्त्रोतों की आवक क्षमता घटने की संभावना है जिसके कारण जिले में आगामी ग्रीष्म काल में पेयजल संकट संभावित है। पेयजल एवं निस्तार हेतु आम जनता का पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु उपाए किया जाना अति आवश्यक हो गया है।
इस आशय की सूचना कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा कलेक्टर को प्रेषित की है जिसके तहत् कलेक्टर श्री संदीप माकिन ने आदेश जारी करते हुए निर्देश दिए है कि मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 03 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए आम जनता के लिए जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के मद्देनजर, जनहित में जल का दुरूपयोग रोकने के उद्देश्य से प्रतिबंधात्मक कार्यवाही की जाना आवश्यक जाता है।
अतएव आगामी वर्षाकाल प्रारंभ होने की कालावधि 15 जुलाई 2024 अथवा पर्याप्त वर्षा होने तक के लिए कलेक्टर ने जिले के सम्पूर्ण क्षेत्र व परिसीमा को मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 की धारा (3) के तहत् जल अभाव ग्रस्त क्षेत्र घोषित किया है तथा धारा 3 (6) के तहत् आदेशित किया है कि कोई भी व्यक्ति दतिया जिले की भौगोलिक सीमा के अंदर सक्षम अधिकारी की अनुज्ञा के बगैर किसी भी प्रयोजन के लिए नवीन नलकूप खनन नहीं करेगा।
अधिनियम के प्रावधान लागू होने की तिथि से कोई भी व्यक्ति पेयजल स्त्रोत तथा समस्त नदी, नालों, तालाबों, बावड़ियों आदि स्त्रोतों का उपयोग सिंचाई अथवा औद्योगिक व्यावसायिक प्रयोजन हेतु (जिसमें जिलांतर्गत संचालित समस्त निजी वाहन धुलाई सेंटर भी शामिल है) सक्षम अधिकारी की अनुमति के बगैर पेयजल का दुरूपयोग नहीं करेगा व उपलब्ध शासकीय पेयजल स्त्रोत हैण्डपंप, नलकूप आदि के 150 मी. की परिधि में निजी उद्देश्य के लिए हैण्डपंप अथवा ट्यूबबेल खनन नहीं करेगा।
इस दौरान शासकीय विभागों द्वारा लोक हित में पेयजल हेतु नलकूलों का खनन छोड़कर सभी प्रकार के नलकूपों के खनन प्रतिबंधित रहेंगे। कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की लिखित अनुशंसा पर विशेष परिस्थतियों में व आपातिक स्थिति की दशा में क्षेत्रांतर्गत अनुविभागीय अधिकारी एवं दण्ड़ाधिकारी पेयजल हेतु निजी नलकूप खनन की अनुमति दे सकेंगे। इसके लिए क्षेत्रांतर्गत अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को अधिकृत किया जाता है।
मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 के अधीन पारित आदेश का उल्लंघन पाये जाने पर अधिनियम की धारा 9 के तहत् दण्ड़नीय होगा, जो दो वर्ष तक के कारावास से या 2000 रूपये तक के जुर्माने से अथवा दोनों से दण्ड़नीय होगा। यह आदेश तत्काल प्रभाव से 15 जुलाई 2024 अथवा पर्याप्त वर्षा होने तक सम्पूर्ण जिले में प्रभावशील होगा।
जिले भर में शासकीय विभागों व सामाजिक संगठनों के माध्यम से पेयजल के दुरुपयोग को रोकने व जल की एक एक बूँद के संरक्षित करने हेतु आमजन को जागरूक करने हेतु जागरूकता अभियान संचालित किया जावेगा।
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