बिहारबॉलीवुड

इस देश की व्यवस्था ही अव्यवस्था पर टिकी है -राजेश राजा The system of this country rests on chaos – Rajesh Raja

पटना.Desk/ @www.rubarunews.com- 32 सालों से पटना में पटना रंगमंच के लिए समर्पित राजेश राजा पटना रंगमंच के लिए गुरु द्रोण से कम नही हैं। अपने पारिवारिक बाध्यता और ज़िम्मेदारियों की वजह से राजेश कभी पटना नही छोड़ पाए, लेकिन निरंतर पटना में रह कर बिहार के नवयुवकों को रंगमंच, tv और बड़े पर्दे के लिए तैयार कर रहे हैं। राजेश जी ने जब मछली की कहानी सुनी तो उनकी आँखे भर आई, ये कहानी चार ऐसे नव युवकों की है जो किसी न किसी कारण से अपनी मिट्टी नही छोड़ पाते और अपने जीवन के अभावों और नाउम्मीदीयों को अपने जीवन का हिस्सा मान कर उन्हें भी उत्साह के साथ मुस्कुराते हुए स्वीकार कर लेते हैं ,किंतु आर्थिक तंगी और मजबूरियों से कैसे निपटना है ये उन्हें नही आता। ऐसे में वो कुछ ऐसा करने की सोचते हैं जो उन्हें नही करना चाहिए था ।

इस देश की व्यवस्था ही अव्यवस्था पर टिकी है -राजेश राजा The system of this country rests on chaos – Rajesh Raja

अनिमेष वर्मा बिहार के लिए समर्पित निर्देशक हैं और मुंबई फ़िल्म उद्योग में सक्रिय हैं, कई बार यहाँ बिहार में कुछ न कुछ करने की कोशिश करते रहे हैं मगर इस बार मछली के रूप में कुछ बड़ा करना चाहते थें। मुंबई से ही उन्होंने मछली की स्क्रिप्ट पर राजेश जी से बात की। मछली की कहानी सुनते ही राजेश ने ठान लिया था कि वो ये सिरीज़ ज़रूर करेंगे, और न केवल करेंगे बल्कि इसमें पटना रंगमंच के कलाकारों की पूरी फ़ौज झोंक देंगे जिन्होंने व्यावसायिक रूप से इतना गम्भीर काम पहले कभी नही किया था।वो कहते हैं “हम सब भी तो मछलियाँ ही हैं जो इस तालाब के साफ़ हो जाने के इंतज़ार में हैं।” ऐसी कहानियाँ बार बार नही बनती और जब बनती हैं तो उसमें पूरी ताक़त से बनाने में जुट जाना चाहिए। और राजेश जी जुट गए अनिमेष वर्मा की कहानी को आकार देने में। वो कहते हैं “ मुझे गर्व है अपने रंगमंच के बच्चों पर जिन्होंने पहली बार में ही इतना शानदार काम कर दिखाया। ये प्रेरित करेंगे बाक़ियों को अच्छे काम के प्रति। राजेश ने इस सिरीज़ में क़रीम ख़ान का किरदार किया है जिसे लिखते समय अनिमेष कभी स्वर्गीय इरफ़ान साहेब की कल्पना करते थें।ख़ान एक पुलिसवाले के उस पक्ष का प्रतिनिधित्व करता है जिसमें अच्छाई और सच्चाई ज़िंदा तो रहती है किंतु भ्रष्टाचार और अव्यवस्था की धूल उसकी आत्मा पर बीतते हुए समय के साथ चढ़ती चली जाती है। और एक दिन उसकी आत्मा इस धूल को हटा उसे वापस सच का साथ देने को कहती है जो उसे हमेशा से करना चाहिए था।