आम मुद्देदतियामध्य प्रदेश

तहसीलदार को समझ आया आरटीआई और राजस्व कानून में अंतर

👉 *तहसीलदार को समझ आया आरटीआई और राजस्व कानून में अंतर//*

👉 *सरकारी जमीन के खुर्द बुर्द मामले में तत्कालीन नायब तहसीलदार पारस नाथ मिश्रा और तहसीलदार दीपिका पाव को 25 हज़ार प्रत्येक को जुर्माने का कारण बताओ नोटिस//*

👉 *जानकारी छुपाना और आवेदक को राजस्व न्यायालय की तरह पेशी करना पड़ गया मंहगा, समझ आ गया आरटीआई कानून और राजस्व में अंतर //*

👉 *राजस्व को अपनी बपौती समझ बैठे अधिकारियों को आरटीआइ को हल्के में लेना पड़ा भारी*

दतिया/ भोपाल @rubarunews.com>>>>>>>>>> सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने एक बार फिर धमाकेदार कार्यवाही करते हुए एक लंबे अरसे के बाद पुनः जुर्माने की कार्यवाही की है। अभी हाल ही में कुछ दिनों से सूचना आयोग के निर्णय बंद थे जिसमें कम सुनवाई हो रही थी। वहीं 28 जनवरी 2021 को एक सुनवाई में कृष्ण कुमार पटेल तहसील कार्यालय मनगवां के एक मामले में तत्कालीन नायब तहसीलदार सर्किल गढ़ पारसनाथ मिश्रा एवं तत्कालीन प्रभारी तहसीलदार सुश्री दीपिका पाव पर बड़ी कार्यवाही करते हुए 25 हज़ार प्रत्येक के हिसाब से दोनों अधिकारियों को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया है और 8 फरवरी 2021 तक जवाब देने के लिए कहा है।

 

*सरकारी जमीन को खुर्द बुर्द करने संबंधी है मामला*

बता दें कि मामला एक सरकारी जमीन से संबंधित है जो आम रास्ता के लिए चिन्ह अंकित किया गया था परंतु कुछ गांव के ही दबंग भू माफिया ने उस जमीन को अपने नाम करवा लिया। आवेदक कृष्ण कुमार पटेल निवासी अमिलिया ने जानकारी चाही की जमीन कब तक सरकारी थी और कब प्राइवेट कब्जे में चली गई और उससे संबंधित नक्शा खसरा आदि दस्तावेज और उस आदेश की प्रमाणित प्रति चाही थी। लेकिन क्योंकि तहसील स्तर के अधिकारियों द्वारा मामले में घोटाला किया गया था इसलिए जानकारी समय पर उपलब्ध नहीं करवाई गई और आवेदक को इधर से उधर राजस्व न्यायालय की तरह घुमाते रहे।

 

*ऐसी लगी आरटीआई और इस प्रकार आवेदक को घुमाया*

मामले की आरटीआई आवेदक कृष्ण कुमार पटेल द्वारा दिनांक 5 सितंबर 2020 को नायब तहसीलदार सर्किल गढ़ पारसनाथ मिश्रा के समक्ष प्रस्तुत की गई जिसे दिनांक 23 सितंबर 2020 को नायब तहसीलदार पारसनाथ मिश्रा ने तत्कालीन प्रभारी तहसीलदार सुश्री दीपिका पाव को अंतरित किया। इसके बाद पुनः उसी आरटीआई आवेदन को जानकारी देने के लिए तत्कालीन तहसीलदार दीपिका पाव ने नायब तहसीलदार सर्किल गढ़ पारसनाथ मिश्रा को दिनांक 24 सितंबर 2020 को वापस कर दिया। इस प्रकार आरटीआई आवेदन एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय पोस्ट ऑफिस की तरह घूमता रहा और आवेदक को कोई जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई। इसके उपरांत आवेदक ने एक माह की समय सीमा व्यतीत होने के बाद प्रथम अपील प्रस्तुत कर दी तब जाकर दिनांक 11 नवंबर 2020 को अपीलार्थी कृष्ण कुमार पटेल को कुछ अधूरी जानकारी उपलब्ध करवाई गई जो कि पर्याप्त नहीं थी और मामले से संबंधित भी नहीं थी। इससे व्यथित होकर आवेदक कृष्ण कुमार पटेल ने मामले की द्वितीय और अंतिम अपील मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त के समक्ष प्रस्तुत कर दी।

 

*सुनवाई में नायब तहसीलदार और तहसीलदार कोई ठोस जवाब नहीं दे पाए*

दिनांक 28 जनवरी 2021 को मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह के समक्ष की गई सुनवाई में न तो तत्कालीन नायब तहसीलदार सर्किल गढ़ पारसनाथ मिश्रा और न ही तत्कालीन प्रभारी तहसीलदार सुश्री दीपिका पाव जानकारी उपलब्ध न करवाए जाने के पीछे कोई ठोस कारण दे पाए। जिसके चलते आयोग ने दोनों के ऊपर 25 हज़ार प्रत्येक के हिसाब से जुर्माने का कारण बताओ सूचना पत्र दोनो को जारी कर दिया है और 8 फरवरी 2021 को मामले की अंतिम तिथि निर्धारित कर दी है।

 

*जानकारी उपलब्ध करवाए जाने के लिए नृपेंद्र तिवारी ने आवेदक से लिए एक हज़ार रुपये*

सुनवाई के दौरान मामला तब और रुचिकर हो गया जब आवेदक ने ऑनलाइन ट्रांजैक्शन की एक रिसिप्ट प्रस्तुत की जिसमें आवेदक के द्वारा तहसील मनगवां के एक क्लर्क नृपेंद्र तिवारी के अकाउंट में 1000 रुपये अंतरित किया गया था। यद्यपि मामला पूरी तरह से लेनदेन का था जिसमें आवेदक को जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए नृपेंद्र तिवारी ने पैसे की मांग की थी। लेकिन मामला कुछ उधार संबंधी पैसे की लेनदेन पर आ गया परंतु इसके बावजूद भी नृपेंद्र तिवारी सुनवाई में उपस्थित नहीं हुए और उन्होंने इसका कोई कारण नहीं बताया कि आखिर एक अनजान व्यक्ति से उन्होंने 1000 रुपये उधार क्यों लिए थे? यद्यपि इस विषय में दीपिका पाव द्वारा बताया गया कि नृपेंद्र तिवारी ने 13 जनवरी 2021 को उधार लिया गया एक हजार रुपए वापस कर दिया था।

 

*आयुक्त राहुल सिंह की 8 फरवरी की सुनवाई पर टिकी रहेगी सबकी नजर*

जिस प्रकार से महत्वपूर्ण सूचना छिपाने और सरकारी जमीन का भूमाफिया द्वारा कब्जा करने संबंधी मामला सामने आया है और उसमे तत्कालीन नायब तहसीलदार और तहसीलदार की मिलीभगत भी उजागर हुई है तत्पश्चात महत्वपूर्ण जानकारी आवेदक को इसलिए उपलब्ध नहीं करवाई गई की मामला सबके समक्ष आ जाएगा इससे एक बात तो तय है कि आज जिस प्रकार भूमाफिया पूरी सरकारी जमीन पर कब्जा कर रहा है उसमें इन सरकारी उच्चाधिकारियों की अच्छी खासी मिलीभगत रहती है।

अब जब आयोग के द्वारा नायब तहसीलदार और तहसीलदार दोनों को 25 हजार रुपए प्रत्येक को जुर्माने की कारण बताओ नोटिस जारी की गई है। अब देखना यह होगा कि अगले 8 फरवरी की सुनवाई में क्या कुछ नया मोड़ लेता है।

 

*राहुल सिंह के आदेशों ने पूरे भारत मे हलचल मचा दी है*

निश्चित तौर पर एक लंबे अरसे के बाद हुई सुनवाई में सभी की नजर आयोग के इस निर्णय पर टिकी रहेगी। बता दें कि मध्य प्रदेश सूचना आयोग में चाहे जीआरडी डेस्क हो जिसमें 24 घंटे के अंदर सूचना आयोग के द्वारा समस्याओं का निराकरण किया जा रहा हो अथवा वेबीनार के माध्यम से आमजन से सीधे संपर्क साधने का प्रयास हो अथवा फिर व्हाट्सएप वीडियो कॉलिंग ऑडियो कॉलिंग टि्वटर फेसबुक लाइव आदि के माध्यम से की जा रही सुनवाई। इन सभी माध्यमों से मध्य प्रदेश सूचना आयोग इस समय भारत के अग्रणी सूचना आयोगों की पंक्ति में सबसे आगे खड़ा होता है। और इस सब का श्रेय मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग के वर्तमान सूचना आयुक्त राहुल सिंह को जाता है जिनके हर एक निर्णय ने एक नया इतिहास रचा है।

आज सूचना आयोग पर लोगों का विश्वास बढ़ रहा है वरना वह समय था जब कोई व्यक्ति आरटीआई लगाने के लिए सोचता ही नहीं था क्योंकि आरटीआई के आवेदन वर्षों धूल फाकते थे और लोक सूचना अधिकारियों के द्वारा कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई जाती थी। लोक सूचना अधिकारियों को तो छोड़िए यहां तक कि सूचना आयोग में भी वर्षों से अपीलीय प्रकरण धूल फांक रहे थे लेकिन सूचना आयुक्त राहुल सिंह के आने के बाद भारत के सूचना आयोगों के इतिहास में एक नई ऊर्जा आ गई है और अब जबरदस्त तरीके से सुनवाई हो रही है और लोगों को एक नई आस जगी है।