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अच्छा लेखक बनने के लिए पहले अच्छा पाठक बनें –सुरेश पटवा

भोपाल.Desk/ @www.rubarunews.com-अच्छा लेखक बनने के लिए सबसे पहले अच्छा पाठक  से पाठकों को जोड़ने के लिए पाठक मंच स्थापित करने की आवश्यकता है ,आज विचार करने की आवश्यकता है कि पाठक पुस्तक क्यों पढ़े ? आज साहित्य की कम साहित्य से इतर योग ,ज्योतिष , स्वास्थ्य ,पाक-कला , की पुस्तकें अधिक बिकती हैं ,आप शास्वत मूल्य देखना चाहते हैं या सामयिक लेखक और पाठक का रिश्ता क्या है यह भी विचारणीय है यह उदगार हैं वरिष्ठ साहित्यकार सुरेश पटवा के जो लघुकथा शोध केंद्र भोपाल द्वारा आयोजित ‘पुस्तक पखवाड़े ‘के समापन अवसर पर अपना अध्यक्षीय वक्तव्य दे रहे थे | इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए वरिष्ठ कथाकार राज बोहरे ने कहा कि -‘पुस्तक सँस्कृति को समृद्ध और विकसित करने के लिए पाठक मंचों का गठन किया जाए , सायबर क्रांति के दौर में हाथों में मोबाइल की जगह किताबें कैसे थमाई जाएं यह एक विचारणीय प्रश्न है,हमें युवा लोगों को खास तौर से विद्यार्थियों को पाठक मंच के माध्यम से साहित्य से जोड़ा जाए |’ इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ आशीष कंधवे ने इस आयोजन को वैश्विक महत्व का आयोजन बताते हुए अन्य संस्थाओं को भी ऐंसा आयोजन करने की सलाह दी,साथ ही उन्होंने ‘राम-अयन ‘ कृति पर भी विस्तार से चर्चा करते हुए राम को सृष्टि सृष्टा दृष्टि और दृष्टा बताया और इस महत्वपूर्ण पुस्तक हेतु बहुत बहुत बधाई डॉ राजेश श्रीवास्तव को दी | विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ व्यंग्यकार ग़ज़लकार अनिल मीत ने कहा कि -‘ यह आयोजन निश्चित सराहनीय और अनुकरणीय है और पुस्तक लेखन और प्रकाशन के साथ ही पुस्तक चर्चा और विमर्श का आयोजन भी बहुत आवश्यक है इस आयोजन ने विश्व पुस्तक मेले की कमी को बहुत हद तक पूरा किया है | इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार और निदेशक हिंदी भवन मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति डॉ जवाहर कर्नावट ने कहा कि ‘ यह आयोजन ऐतिहासिक हुआ है और लंबे समय तक हिंदी साहित्य में इसकी चर्चा होगी ,पुस्तक विमर्श पाठकों और पुस्तकों के मध्य सेतु का कार्य करते हैं ,|

आज पुस्तक पखवाड़े के समापन अवसर पर डॉ राजेश श्रीवास्तव की कृति “राम अयन ” पर विमर्श में भाग लेते हुए मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार गौकुल सोनी ने इस कृति को हमारी संस्कृति और संस्कार से जुड़ी महत्वपूर्ण पुस्तक बताया जिसमें श्रीराम और उनसे जुड़ी कथाएं के विविध नव आयाम दृष्टिगोचर हुए हैं उन्होंने सम्पूर्ण पुस्तक पर गम्भीर विवेचना प्रस्तुत की कार्यक्रम में लघुकथाशोध केंद्र की निदेशक कांता राय ने आयोजन की पृष्ठभूमि और उसकी आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए भविष्य में भी ऐंसे आयोजन किये जाने की बात कही | और केंद्र के सभी सहयोगियों एवं अतिथियों तथा पत्रकार बन्धुओं का बहुत बहुत आभार प्रकट किया कार्यक्रम के अंत में ‘राम अयन ‘ कृति के लेखक डॉ राजेश श्रीवास्तव ने सभी लोगों का आभार प्रकट किया एवम पुस्तक सृजन के अपने अनुभवों को पाठकों से साझा किया |

कार्यक्रम के संयोजक लघुकथाकार मुज़फ्फर इकबाल सिद्दीकी ने पन्द्रह दिन की इस सुखद यात्रा को यादगार सफर बताते हुए इसे कभी न भूलने वाला अनुभव बताया जिससे न सिर्फ पुस्तकों पर सार्थक चर्चा हुई वहीं आपस में एक दूसरे को निकट से जानने समझने का अवसर मिला | कार्यक्रम का संचालन घनश्याम मैथिल ‘अमृत ‘ ने किया उन्होंने सफदर हाशमी की यह पंक्तियां उद्धरत करते हुए कार्यक्रम प्रारम्भ किया -‘ किताबें बातें करती हैं बीते जमाने की /दुनियां की इंसानोँ की/आज की कल की /एक एक पल की /खुशियों की गमों की/फूलों की बमों की/जीत की हार की /क्या तुम नहीं सुनोगे इन किताबों की बातें /किताबें कुछ कहना चाहती हैं तुम्हारे पास रहना चाहती हैं | इस आयोजन में अरुण अर्णव खरे, शशि बंसल , गोविंद शर्मा, विपिन बिहारी वाजपेयी, डॉ कुमकुम गुप्ता, डॉ ओ पी बिल्लोरे, अशोक नायक ,अशोक धमेनिया, अंजू खरे, बिहारी लाल सोनी , पवन जैन ,डॉ गिरजेश सक्सेना ,मुज्ज़फ्फर इकबाल सिद्दीकी,अंजू खरबंदा शेख शहज़ाद उस्मानी ,जया आर्य ,डॉ रंजना शर्मा ,शेफालिका श्रीवास्तव ,मधुलिका सक्सेना,सरिता बघेला सहित देश प्रदेश के अनेक साहित्यकार और पुस्तक प्रेमी उपस्थित थे |