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RTI में 48 घण्टे में जानकारी कैसे मिले पर आयोजित हुआ वेबिनार

दतिया/ रीवा मप्र @rubarunews. com>>>>>>>>> 03 दिसंबर 2020 वृहस्पतिवार को सुबह 09 बजे से 10 तक आयोजित होने वाली परंपरागत ज़ूम मीटिंग वेबिनार में एक्टिविस्ट शिवानन्द द्विदेदी द्वारा आरटीआई की धारा 7(1) जीवन और स्वतंत्रता से जुड़े हुए प्रश्नों पर 48 घण्टे में आरटीआई पर जानकारी कैसे प्राप्त करें विषय पर चर्चा की गई और ट्यूटोरियल दिया गया।

 

इसके बाद आरटीआई की धारा18 की शिकायत किस प्रकार से की जाती है और उसमें किन-किन बिंदुओं का ख्याल रखना चाहिए इस विषय पर भी आरटीआई एक्टिविस्ट के द्वारा फेसबुक लाइव एवं यूट्यूब पर साझा किए गए वीडियो के माध्यम से संपूर्ण जानकारी प्रदान की गई।

 

*अधिवक्ता, सामाजिक कार्यकर्ता और आरिटीआई एक्टिविस्टों ने अपने विचार रखे*

कार्यक्रम में पार्टिसिपेंट्स के तौर पर जबलपुर हाईकोर्ट के अधिवक्ता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट नित्यानंद मिश्रा, अधिवक्ता शिवेंद्र मिश्रा, सामाजिक कार्यकर्ता विवेक सिंह दीपू, रवि मिश्रा, अरुणेंद्र पटेल, प्रियेश पांडे, राहुल चतुर्वेदी, मोहम्मद अंसारी, अध्यापक एवं समाजसेवी कृष्ण नारायण दुबे सहित दर्जनों लोगों ने सहभागिता निभाई और अपने अपने विचार कार्यक्रम के दौरान रखें।

*गंगेव ब्लॉक की सरई कला पंचायत में 60 वर्षीय बुजुर्ग खिलाड़ी कोल के राशन से जुड़े हुए मामले पर हुई चर्चा*

इस बीच एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी के द्वारा 6 फरवरी 2020 को जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक कार्यालय रीवा में धारा 7(1) के तहत जीवन और स्वतंत्रता 48 घंटे के भीतर जानकारी हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया था जिसमें सरई कला ग्राम पंचायत गंगेव ब्लाक के हितग्राही खिलाड़ी कोल एवं शांति देवी यादव के बंद किए गए राशन के विषय में 48 घंटे के भीतर जानकारी चाही गई थी। नियत समय में 48 घंटे के भीतर जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई गई थी इसके उपरांत धारा 19(1) के तहत प्रथम अपील एवं धारा 18 के तहत राज्य सूचना आयोग में श्री राहुल सिंह के समक्ष शिकायत प्रस्तुत की गई थी।

 

*48 घंटे के भीतर जानकारी के लिए आरटीआई पर इन इन बिंदुओं का रखें ख्याल*

आरटीआई एक्टिविस्ट के द्वारा ट्यूटोरियल डेमो में फेसबुक लाइव और युटुब में साझा किए गए वीडियो के माध्यम से बताया गया कि जीवन और स्वतंत्रता से जुड़े हुए मामले 48 घंटे के अंदर सॉल्व किए जाते हैं जिसमें यदि किसी व्यक्ति का राशन रोक दिया गया है जो गरीबी रेखा की श्रेणी में आता है और बुजुर्ग है अथवा यदि कोई व्यक्ति लाइफ सेविंग ड्रग्स के लिए आग्रह करता है या फिर किसी मेडिकल कंडीशन जैसे थैलेसीमिया एवं रक्त की आवश्यकता आदि ऐसे विषय हैं जहां पर आरटीआई लगाकर 48 घंटे के भीतर जानकारी प्राप्त किए जाने का प्रावधान है।

 

*यदि 48 घंटे में जानकारी न मिले तो फिर क्या करें?*

वही यदि आरटीआई आवेदन के 48 घंटे के भीतर लोक सूचना अधिकारी के द्वारा जीवन और स्वतंत्रता से जुड़े हुए मामलों पर कोई जवाब न दिया जाए अथवा गलत जानकारी दी जाए तो उस स्थिति में क्या किया जाए इस विषय पर चर्चा करते हुए एक्टिविस्ट द्विवेदी ने बताया कि इसके लिए धारा 19(3) के तहत द्वितीय अपील सीधे आयोग में प्रस्तुत की जा सकती है एवं साथ में धारा 18 के तहत शिकायत भी आयोग में प्रस्तुत की जानी चाहिए। जहां तक सवाल लाइफ और लिबर्टी अर्थात जीवन और स्वतंत्रता से जुड़े हुए 48 घंटे की आरटीआई से संबंधित हों वहां पर चाहे प्रथम अपील हो अथवा द्वितीय अपील दोनों ही केस पर मोबाइल दूरभाष अथवा व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर यह जानकारी लोक सूचना अधिकारी को दिया जाना आवश्यक है कि मामला गंभीर है और 48 घंटे के भीतर दी जाने वाली जानकारी की श्रेणी में आता है।

 

*यदि सूचना आयोग भी 48 घंटे में संज्ञान न ले तो फिर क्या करें?*

आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी द्वारा बताया गया की 48 घंटे के भीतर लोक सूचना अधिकारी से सूचना मांगी जा सकती है लेकिन प्रथम एवं द्वितीय अपील कब की जानी है इसके विषय में आरटीआई कानून में कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है इसलिए 48 घंटे के भीतर जानकारी न मिलने की स्थिति में तत्काल प्रथम एवं द्वितीय अपील और साथ में धारा 18 की शिकायत की जा सकती है। और यदि अपील एवं धारा 18 की शिकायत पर भी सूचना आयोग भी संज्ञान न ले और कार्यवाही न करें उस स्थिति में सीधे हाई कोर्ट में याचिका दायर की जा सकती है। शिवानंद द्विवेदी सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता जिला रीवा मध्य प्रदेश ने जानकारी दी।