राजस्थान

रामगढ़ विषधारी अभयारण्य को बनाएंगे प्रमुख पर्यटन स्थल

बूंदीKrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- युवा मामले एवं खेल, कौशल, नियोजन एवं उद्यमिता, परिवहन एवं सैनिक कल्याण विभाग राज्यमंत्री श्री अशोक चांदना ने शुक्रवार को जिले के रामगढ़ विषयधारी वन्य जीव अभयारण्य का दौरा कर पर्यटन की दृष्टि से इसे विकसित करने की संभावनाएं तलाशी। वन विभाग (वन्य जीव) अधिकारियों के साथ खेल राज्यमंत्री ने अभयारण्य क्षेत्र में जाने वाले रास्तों, क्षेत्र में बसे गांवों तथा वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए किए गए प्रबंधों का अवलोकन किया।

कच्चे रास्तों से गुजरते हुए श्री चांदना अभयारण्य क्षेत्र में स्थित रामगढ़ महल पहुंचे। यहां उन्होंने महल के झरोखे से क्षेत्र के प्राकृतिक सौंदर्य को अद्भुत बताया। इस संबंध में वहां मौजूद वन विभाग के अधिकारियों से वन्य जीवों के बारे में विस्तार से जानकारी ली। अभ्यारण्य में वन्य जीवों के ठहराव को सुगम बनाने , खाने पीने और सुरक्षा संबंधी कार्यों के प्रस्ताव बनाकर भिजवाने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में शिकार की गतिविधियां किसी भी सूरत में नहीं हों, इसके पुख्ता इंतजाम रहें। खेल राज्यमंत्री ने कहा कि अभयारण्य क्षेत्र के विकास में धन की कोई कमी नहंी आने दी जाएगी।

खेल राज्यमंत्री ने कहा कि अभयारण्य क्षेत्र में जूलीफ्लोरा(विलायती बंबूल) हटाने के साथ ही यहां टाईगर के लिए एक वातावरण विकसित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अभयारण्य क्षेत्र का विकास सभी तरह के वन्य जीव के पनपने से होगा। इसके लिए जो जो कदम उठाए जाने है,उनके लिए चर्चा कर प्रस्ताव बनाकर भिजवाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि बूंदी में टाईगर के लिए बहुत जल्द अच्छा वातवारण बनाकर यहां टाईगर लाया जाएगा। टाईगर के साथ साथ बूंदी में टूरिज्म आएगा।यह बूंदी शहर एवं आस पास के गांवों के लोगों के लिए जीवनदान की तरह होगा। जिस तरह सवाईमाधोपुर का विकास हुआ है उसी तरह बूंदी का भी विकास होगा। उन्होंने कहा कि टाईगर संचुरी के अलावा बूंदी में आर्ट, हैरीटेज, कल्चर और खूबसूरती की प्रचुरता है। उन्होनें कहा कि क्षेत्र के एक बार विकसित होने पर बूंदी टूरिज्म के क्षेत्र में नम्बर वन स्पाॅट बनेगा।

इस दौरान जिला कलेक्टर आशीष गुप्ता, उपखण्ड अधिकारी मुकेश चौधरी, रामगढ़ अभयारण्य के वाईल्ड लाइफ एसीफ अनुराग गुप्ता, रामगढ़ अभयारण्य रेंजर धनराज गुर्जर, पूर्व वन्य जीव प्रतिपालक विठ्ठल सनाढ्य आदि मौजूद रहे।