राजस्थान

बेजुबान पशु पक्षियों का सरंक्षण हमारा नैतिक दायित्व…..

बून्दीKrishnaKantRathore/ @www.rubarunews.com>> “सेव बर्ड्स अभियान के तहत उमंग संस्थान द्वारा मूक पक्षियों के लिए परिंडे लगाने का क्रम लगातार जारी हैं। इस श्रृंखला में आज कोटखेडा और चेंता स्कूल में ग्रीष्मकाल में पक्षियों को दाना-पानी उपलब्ध करवाने के प्रति जनजागृति हेतु परिंडे बांधे गये।

राउमावि कोटखेडा में आज पक्षियों के लिए परिडें बांधते हुए संस्थाप्रधान शिल्पी अग्रवाल ने कहा कि प्रकृतिवादी चिंतन से अनन्य रूप से जुड़े होने से बेजुबान पशु पक्षियों का सरंक्षण हमारा नैतिक दायित्व है। अग्रवाल ने उमंग संस्थान के “सेव बर्ड्स अभियान की प्रशंसा करते हुए पर्यावरण दायित्वों के प्रति नई पीढ़ी के दायित्वबोध को आवश्यक बताया। परिण्डा कार्यक्रम की जानकारी देते हुए सहप्रभारी महावीर सोनी ने बताया कि हर वर्ष गर्मियों में संस्थान द्वारा व्यक्तिगत उतरदायित्व बोध के आधार पर मूक पक्षियों की जल सेवार्थ परिण्ड़ा अभियान चलाया जाकर परिण्ड़े बांधे और वितरित किये जाते है।




इस क्रम में महावीर सोनी ने परिण्डे वितरित करते हुए ग्रीष्मकाल बेजुबान पशु पक्षियों के सेवार्थ दाना-पानी की नियमित व्यवस्था करने का संकल्प भी दिलवाया। यहाँ पर सीताराम जी जांगीड, रमेश चन्द दुबे, प्रेम शंकर मालव, नंदकिशोर बेरागी, रवि गौतम, कुंज बिहारी दाधीच आदि उपस्थित रहे।

वहीं राउमा विद्यालय चेंता में पीईईओ रमाशंकर भंडारी ने पक्षियों के लिए परिण्डा लगा कर दाने पानी की व्यवस्था करने का संकल्प दिलवाया। यहाँ जम्बू कुमार जैन, अनिता तोगड़ा सहित सभी कार्मिक मौजूद रहे।




संस्थान के सचिव कृष्ण कान्त राठौर तथा समन्वयक सर्वेश तिवारी ने सोशल डिस्टेंस की पालना करते हुए घर में रहकर बेजुबान पक्षियों के लिए पेयजल और दाना पानी की व्यवस्था की अपील करते हुए बताया कि निरंतर जिले में ही नहीं जिले के बाहर भी यह अभियान चलाया जाकर नियमित रूप से परिण्डें बाँधे और बंधवाये जा रहे हैं। यह अभियान जून माह तक चलाया जाएगा।
सेव बर्ड्स कार्यक्रम के संयोजक अनुराधा जैन ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान अपने हुनर और अपने अंदर की प्रतिभा को निखारते हुए परिण्ड़े घर पर बनाऐ जा सकते हैं। घर में बेकार पड़ी पुरानी मटकियों, तेल आदी की पुरानी और खाली पीपीयों का सदुपयोग कर यह परिण्ड़े घर पर बना कर उपयोग कर सकते है।