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एक बार फिर गरमाया बाटला हाउस मुद्दा; कांग्रेस का कहना है- आतंकवादियों को शहीद का दर्जा दिया जाए

नईदिल्ली.Desk/ @www.rubarunews.com- वर्षों बाद बाटला हाउस का मुदा एक बार फिर गरमा गया है, जिस पर बीजेपी ने कांग्रेस को भारी पछाड़ लगाई है। दरअसल, बीजेपी ने हाल ही में सोशल माइक्रोब्लॉगिंग हैंडल, कू पर कांग्रेस का एक वीडियो साझा किया है, जिसमें कांग्रेस बाटला हाउस एनकाउंटर में धर-दबोचे आतंकवादियों को शहित करार करने की मांग करते नज़र आ रहे हैं।

इस पोस्ट में कहा गया है:

“कांग्रेस का हाथ, आतंकियों के साथ
न बदली है और न बदलेगी

जनता जानती है और पहचानती भी है

#आतंकी_समर्थकˍकांग्रेस”

इतना ही नहीं कांग्रेसियों ने तो बाटला हाउस कांड को फर्जी ही करार कर दिया है। पार्टी का कहना है कि बाटला हाउस के आतंकवादियों को शहीद का दर्जा दिया जाए।

वीडियो के पहले हिस्से में ततिहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खान को कहते हुए सुना जा सकता है कि यदि बलता हाउस एनकाउंटर की जाँच करा ली होती, तो दुनिया को पता चल जाता कि जो मारे गए, वो आतंकवादी नहीं थे। उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाना चाहिए।

वहीं वीडियो के दूसरे हिस्से में सलमान खुर्शीद को कहते हुए सुना जा सकता है कि हमने वजीर ए आज़म और सोनिया गाँधी से बात की, और उन्हें इस हादसे के वीडियोज़ तथा तस्वीरें दिखाई, तो सोनिया की आँखों से आँसू छलक पड़े और उन्होंने हाथ जोड़कर कहा कि ये तस्वीरें मुझे मत दिखाओ, जाओ वजीर ए आज़म से बात करो।

अन्य हिस्से में दिग्विजय सिंह के कहा, “जैसा कि मैं पहले भी कई बार कह चुका हूँ कि बाटला हाउस फर्जी एनकाउंटर था।”

क्या है बाटला हाउस एनकाउंटर

13 सितंबर, 2008 को राजधानी दिल्ली के अलग-अलग स्थानों पर बम विस्फोट हुए, जिसमें 39 लोगों की मौत हो गई। बम धमाकों में 150 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। पुलिस ने चार्जशीट में ये बात रखी थी। 19 सितंबर, 2008 को आतंकियों को गिरफ्तार करने बाटला हाउस पहुँची पुलिस के साथ मुठभेड़ में दो आतंकी ढेर हो गए थे। एक आतंकी ने आत्मसमर्पण किया था। दो आतंकी फरार हो गए थे। इस दौरान पुलिस के एक इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए थे। पुलिसकर्मी बलवंत गोली लगने से घायल हो गए थे।

एनकाउंटर को बताया गया था फर्जी

इस एनकाउंटर के बाद देश भर में काफी हंगामा हुआ। शर्मा की मौत को लेकर देश भर तमाम जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए। तमाम नेताओं ने इस एनकाउंटर को फर्जी करार भी दिया था। राजनीतिक पार्टियों और मानवाधिकार संगठनों ने इस पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच कराने की भी मांग उठाई थी।