संपादकीय

गैर अधिमान्यता प्राप्त पत्रकार को भी मिले समान अधिकार

सन  2020 से ही कोरोना का संकट बढ़ रहा है, और आंकड़ो के अनुसार संक्रमितों की कमी नही बढ़ोतरी ही होरही है । मरने वालों की संख्या में भी लगातार इजाफा ही होरहा हैं। इस प्रकार के माहौल में अपनी जान की परवाह न करते हुए पत्रकारों ने भी अपना कर्तव्य पूरा किया और देश मे फैली इस महामारी की खबर सब तक पहुचाने का कार्य किया।

पिछले वर्ष से ही मध्यप्रदेश के पत्रकारों ने उनके फ्रंट लाइन वोररिर्स माने जाने की आवाज उठाई है। इस बात का असर यह हुआ कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने 3 मई को पत्रकारों को कोरोना वॉरियर्स का दर्जा दे ही दिया, परन्तु इसमे भी उन्होंने भेदभाव कर ही दिया , मुख्यमंत्री ने केवल  अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों को ही कोरोना वॉरियर्स का दर्जा दिया।
जबकि देखा जाए तो प्रसार संस्था के आधार पर अधिमान्यता मिलती है। वेज बोर्ड लागू होने के कारण समाचार पत्र मालिक स्वयं और उनके चेहतों और पारिवारिक सदस्यों में ही अधिमान्यता के लिए अनुशंसा करके अधिमान्यता दिलाते है।और जिलो व ग्रामीण इलाकों के क्षेत्रों में फील्ड में घूम घूम कर खबरे लाने वाले और विज्ञापन के कमीशन व टारगेट के आधार पर रख लेते है।

जिले या ग्रामीण क्षेत्रों के पत्रकार ही सही पत्रकार होता है क्योकि वही धूप में, ठंड में ,बारिश में घूम घूम कर समाचार लेकर आता है वही सच्चा पत्रकार है और मुख्यमंत्री ने जो लाइन खींची वह विसंगति पूर्ण है

जब पूरे देश में पत्रकारों के संगठनो ने पत्रकारों को कोरोना वॉरियर्स मानने की मांग की तो कई राज्यो जैसे ओडिशा के मुख्यमंत्री ने ओडिशा प्रदेश में कार्यरत 6944 कामकाजी पत्रकरो को स्वास्थ बीमा योजना के तहत यह लाभ देने का  फैसला किया। उन्हें 2 लाख रुपय का स्वास्थ्य बीमा का कवर मिल रहा है। इसके अलावा नॉकरी के दौरान covid के कारण जिन पत्रकारों की मृत्यु होती है उनके परिवार वालो को 15 लाख रुपय की अनुग्रह राशि भी दने का निर्णय लिया है।
3 मई को ही पंजाब सरकार ने भी अपने प्रदेश क्व सभी मान्यता प्राप्त पत्रकारों को फ्रंट लाइन  वॉरियर्स की सूची में शामिल किया। पंजाब1के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के घोषणा की , कि पंजाब के सभी मान्यता प्राप्त और जिले वार्ड के पत्रकारों अब कोरोना फ्रंट लाइन वोररिर्स की सूची में शामिल किया जाएगा। प्रेस दिवस के दिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के पत्रकारों को कोविड योद्धा घोषित किया।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सूचना एवँ जनसंपर्क विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त सभी पत्रकारों के साथ साथ जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी द्वारा सत्यापित प्रिंट एवँ इलेक्ट्रॉनिक व वेब मीडिया के गैर मान्यता प्राप्त पत्रकारों को प्राथमिकता के आधार पर उन्हें फ्रंट लाइन वोररिर्स की श्रेणी में रखते हुए उन्हें वैक्सीन लगवाने के आदेश दिया ।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज  सिंह चौहान हमेशा से ही पत्रकारों के पक्ष पर ही रहे है, परन्तु सिर्फ अधिमान्यता पत्रकारो को कोरोना  वॉरियर्स की सूची में शामिल  करने से अन्य गैर अधिमान्यता प्राप्त पत्रकार उन्हें कोरोना  वॉरियर्स का दर्जा  नही दिए जाने से रुष्ट है ।
वहीँ पत्रकरो के हित मे काम कर रही एमपी  वर्किंग जर्नलिस्ट  यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष   श्री राधा वल्लभ शारदा जी ने यूनियन के संरक्षक श्री शिव चौबे जी के साथ मिलकर कोविड से मृत्यु होने वे पत्रकारो के परिवार को 50 लाख रुपय की अनुग्रह राशि देने और जिन पत्रकारों की खबरे प्रिंट और चैनल में  चल रहे है उनको पत्रकार मानकर कोरोना  वॉरियर्स माना जाय ।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों के साथ ही गैर अधिमान्यता प्राप्त पत्रकरो को भी कोरोना वॉरियर्स की सूची में शामिल करने का आदेश देना चाहिए।

उमेश सक्सेना