एसईईपीजेड में पूर्ण बदलाव की आवश्यकता- पीयूष गोयल
श्री गोयल ने कहा कि शुरुआती तौर पर भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 1973 में स्थापित एसईईपीजेड में पूर्ण बदलाव की आवश्यकता है। निर्यातकों और व्यापार भागीदारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘आइए, हम इस परिवर्तनकारी बदलाव का लक्ष्य रखें न कि वृद्धिशील परिवर्तन का। आइए, एसईईपीजेड में पूर्व वर्षों की तरह जीवंतता को वापस लाएं।’
मंत्री ने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि सभी के सहयोग से एसईईपीजेड को आधुनिक और विश्वस्तरीय बनाया जा सकता है। हम एक सार्वजनिक निजी भागीदारी योजना के बारे में सोच सकते हैं जिसके तहत अपनी संपत्तियों में सुधार करने वाली औद्योगिक इकाइयों को 10 साल के लिए किराए में बढ़ोतरी से छूट दी जा सकती है।’
ऐसा कहते हुए उन्होंने एसईईपीजेड में स्थित निर्यातकों से सामूहिक तौर पर एक कॉमन सर्विस सेंटर को चालू करने और एसईईपीजेड के परिसर को नया रूप देने के अलावा यहां के कुछ केंद्रों को अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों की सेवा के लिए नए अत्याधुनिक केंद्र में बदलने के बारे में विचार करने का आग्रह किया। मंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि खरीदारों और विक्रेताओं की सुविधा के लिए एसईईपीजेड में इंडिया ट्रेड प्रमोशन आर्गनाइजेशन (आईटीपीओ) का 30,000 से 40,000 वर्ग फुट का प्रदर्शनी परिसर हो सकता है।
श्री गोयल ने सूरत डायमंड बोर्स का उदाहरण देते हुए एसईईपीजेड से इस काम में सुगमता के लिए मदद लेने का आग्रह किया। मंत्री ने दिल्ली के प्रगति मैदान के 4,000 करोड़ रुपये के मेकओवर का भी उदाहरण दिया। श्री गोयल ने कहा कि यह भारत का एक सबसे पुराना निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र है और इसके आंतरिक विस्तार एवं नवीनीकरण के लिए केंद्र 200 करोड़ रुपये की सहायता की घोषणा पहले ही कर चुका है।