राजस्थान

मानवीय संवेदनाओं का वाहक है मोनू शर्मा Monu Sharma is the bearer of human sensibilities

बून्दी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- सड़क किनारे झाड़ियों में बिलखती मासूम नवजात बालिका और मानवता को शर्मसार कर तमाशबीन बने एकत्रित लोग वीडियो और फोटो खींचकर वायरल करने में लगे थे,…. यह दृश्य अभी कुछ दिन पहले बून्दी की एक सड़क का था। नियमित दिनचर्या के तहत घर से निकला एक युवक मोनू शर्मा यह देखता है उससे रहा नही जाता वह तुरंत निकट के विद्यालय से दरी पट्टी लेकर उस मासूम को लपेटकर एक साथी मोतीलाल को मोटर साइकिल पर लेकर अविलम्ब अस्पताल के लिए चल पड़ता है। इसी बीच वह शिशु रोग विशेषज्ञ व बाल कल्याण समिति अध्यक्ष को भी सूचित करता है।
ऐसा मोनू ने पहली बार नहीं किया जब वह मददगार बना हो। यह उसकी आदत हो गयी है जब भी कोई सेवा अवसर हो वह चुपचाप अपनी भूमिका निभाता है। मानवीय संवेदनाओं का यह वाहक 14 वर्ष पहले रक्त की कमी के कारण त्रस्त एक गर्भवती महिला को देखकर प्रथम बार स्वेच्छिक रक्तदान कर मानव सेवा से जुड़ा था तब से अब तक अनेक बार सड़क एक्सीडेंट या दुर्घटनाओं में बिना ड़रें मददगार व प्राणरक्षक बना है और कभी किसी कवरेज में नही आता।
उसका यह पुनीत कार्य एक अनुकरणीय सन्देश बरबस ही दे देता है कि तमाशबीन नही मददगार बनो। स्वर्गीय महावीर प्रसाद शर्मा का पुत्र मोनू शर्मा स्वयं दो पुत्रों का पिता है व बून्दी में ठेकेदारी का कार्य करता है उसका कहना है कि मै इन्सान हूँ और दूसरे इंसान की पीड़ा देख नही पाता, मुझे किसी की मदद कर मन को असीम खुशी होती है बस इसीलिए मैं कभी भी कानूनी पेचीदगी के डर से अपने आप को किसी की मदद से नहीं रोकता। मैंने ऐसा कभी अपने प्रचार के लिए नही किया यह मेरा मानव धर्म है । हाँ इतना जरूर है कि यदि आमजन भी ऐसा करें तो सच्ची मानव सेवा होगी । इनकी मानव हित सेवा की भावना में इनकी पत्नी भी सदैव इनकी प्रोत्साहक भूमिका में रहती है।

सामाजिक जागरूकता की दिशा में युवक का व उसके साथी का यह साहसिक कार्य बेशक प्रशंसनीय है, आज आमजन में यह सोच जागृत हो कि बिना डरे हम ऐसी परिस्थितियों में दूसरे के मददगार बने।
सीमा पोद्दार, अध्यक्ष, बाल कल्याण समिती बूंदी

मोनू ने जिम्मेदारी पूर्वक नैतिक दायित्व निर्वहन किया, न केवल समय पर बालिका को स्वयं अस्पताल पहुंचाया बल्कि मुझे भी सूचित किया, ऐसी परिस्थितियों में निश्चित समय में अस्पताल पहुंचाना महत्वपूर्ण होता है। यह एक अनुकरणीय उदाहरण है।
डॉ. गोविंद गुप्ता, शिशु रोग विशेषज्ञ