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आओ बनायें मध्यप्रदेश को प्लास्टिक मुक्त राज्य-एण्डटीवी के कलाकारों ने कहा

मुम्बई.Desk/ @www.rubarunews.com- इंटरनेशनल प्लास्टिक बैग फ्री डे‘ के मौके पर मध्यप्रदेश निवासी और एण्डटीवी के कलाकारों ने सिंगल-यूज प्लास्टिक के पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्परिणामों के बारे में बात की। साथ ही उन्होंने बताया कि प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने के लिये उन्होंने किस तरह के ईको-फ्रेंडली तरीके अपनाये हैं। शुभांगी अत्रे ऊर्फ एण्डटीवी के ‘भाबीजी घर पर हैं‘ की अंगूरी भाबी, कामना पाठक ऊर्फ एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की दबंग राजेश और सारा खान यानी एण्डटीवी के ‘संतोषी मां सुनाएं व्रत कथाएं‘ की देवी पाॅलोमी ने बताया कि धरती को बेहतर बनाने के लिये ये आसान-सी कोशिशें और छोटी-छोटी चीजें कैसे योगदान दे सकती हैं। मध्यप्रदेश पर्यावरण से संबंधित मुद्दों को लेकर कई सारे काम कर रहा है, जिसमें प्लास्टिक से होने वाला प्रदूषण भी शामिल है। सात करोड़ से ज्यादा आबादी के साथ, उनके प्रयासों से काफी महत्वपूर्ण बदलाव आये हैं।

 

शुभंागी अत्रे, एण्डटीवी के ‘भाबीजी घर पर हैं‘ की अंगूरी भाबी कहती हैं, ‘‘यह देखकर मुझे बेहद खुशी महसूस होती है कि किस तरह भारत के छोटे-छोटे शहरों ने प्लास्टिक के इस्तेमाल के खिलाफ अभियान का नेतृत्व किया और उसमें सफल हुये। इंदौर और उज्जैन ने बाकी शहरों के सामने एक बेहतरीन मिसाल पेश की है, जिसका वे अनुसरण कर सकते हैं। भारत को एक स्वच्छ देश बनाने के लिये हममें से हरेक व्यक्ति को प्रयास करना होगा। मैं प्लास्टिक को हटाने के आइडिया का पालन कर रही हूं, इसके लिये प्लास्टिक बोतलों की जगह काॅपर का इस्तेमाल और शाॅपिंग के दौरान कपड़े का बैग साथ रखने जैसे ईको-फ्रेंडली विकल्प चुन रही हूं। इसके साथ ही, सोशल मीडिया सीखने के लिये काफी बेहतरीन माध्यम है। मैंने भी कई ईको-फ्रेंडली तरीके वहां से सीखे हैं। उनमें से एक दिलचस्प फैक्ट है कि एक प्लास्टिक पैकेट को खोलने के लिये बस एक छोटा-सा हिस्सा काफी है। बड़ा पैकेट आसानी से नजर आ जाता है जब उसे डिस्पोज करने के लिये अलग किया जाता है लेकिन छोटा हिस्सा कचरे के ढेर में कहीं खो जाता है। इससे कचरे को अलग करने के दौरान दिक्कतें पेश आती हैं। अगली बार जब आप दूध या चिप्स का पैकेट खोलें तो इस बात को याद रखें।‘‘ कामना पाठक, एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की दबंग राजेश कहती हैं, ‘‘एक इंदौरी होने के नाते मुझे इस बात पर गर्व महसूस होता है कि मेरे शहर इंदौर ने प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट की दिशा में क्या उपलब्धि हासिल की है। ‘स्वच्छ भारत अभियान योजना‘ के अंतर्गत इंदौर ने चार बार पहला स्थान हासिल किया है। उनकी इच्छाशक्ति का परिणाम स्पष्ट रूप से नजर आता है, पूरे शहर का कायापलट हो गया है और दूसरों के सामने उस पर चलने के लिये एक सटीक उदाहरण पेश किया गया है। हर कोई यदि सिर्फ एक दिन ग्राॅसरी और दूसरी जरूरतों के लिये, प्लास्टिक की जगह पेपर या कपड़े से बने बैग का इस्तेमाल करे, उससे काफी बड़ा बदलाव आ सकता है। सिर्फ इसी तरह के एकजुट प्रयासों से बदलाव लाया जा सकता है।‘‘ सारा खान, एण्डटीवी के ‘संतोषी मां सुनाएं व्रत कथाएं‘ की देवी पाॅलोमी का कहना है, ‘‘प्लास्टिक वेस्ट कई सारे पर्यावरणविदों के लिये बेहद चिंता का कारण है। इसकी शुरूआत घर के छोटे-छोटे कचरों से लेकर बड़े इंडस्ट्रियल अपशिष्टों तक पहुंच जाती है। इसलिये अपनी धरती को स्वस्थ और सुरक्षित बनाये रखने के लिये हर किसी को आवाज उठानी होगी और इसके लिये जरूरी कदम उठाने होंगे। प्लास्टिक का ज्यादा और लापरवाही से इस्तेमाल करने से ना केवल धरती पर जीवन प्रभावित हो रहा है, बल्कि पानी के अंदर रहने वाले जीव-जंतुओं का भी बुरा हाल है। जलीय जीवन इंसानों द्वारा पैदा की गयी तबाही से झुलस रहा है और हमें इस खतरे के बारे में पता होना चाहिये और अपनी ऊर्जा को प्रकृति को बचाने में खर्च करना चाहिये। भोपाल को झीलों की धरती भी कहा जाता है। स्थानीय लोगों के सहयोग से प्रशासन ने जलीय जीवन को सुरक्षित रखने के लिये कड़े कदम उठाये हैं। भोपाल खूबसूरत हरियाली का भी एक अद्भुत उदाहरण है। शहर को स्वच्छ और हरा-भरा रखने की दिशा में उनके कदम काफी अच्छे परिणाम दे रहे हैं। मैं सभी लोगों से विनती करती हूं कि प्लास्टिक-मुक्त भारत बनाने की दिशा में आगे बढ़ें।