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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का 93वां स्थापना दिवस वर्चुअल रूप से मनाया

नईदिल्ली.Desk/ @www.rubarunews.com>> भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने आज वर्चुअल रूप से अपना 93वां स्थापना दिवस मनाया। समारोह में, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री  नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने संयुक्त रूप से किसानों को अपनी इच्छित भाषा में सही समय पर सही जानकारी प्राप्त करने की सुविधा के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘किसान सारथी’ लॉन्च किया।

स्थापना दिवस के अवसर पर, श्री तोमर ने विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कारों की घोषणा की और केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री  परशोत्तम रूपाला, केंद्रीय कृषि  एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री  कैलाश चौधरी और सुश्री शोभा करंदलाजे की उपस्थिति में आईसीएआर के प्रकाशनों का विमोचन किया।

 

श्री तोमर ने आईसीएआर की उपलब्धियों पर बधाई देते हुए कहा कि कृषि और संबद्ध विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में परिषद के वैज्ञानिकों के अथक प्रयास और सराहनीय कार्य देश के लिए एक वास्तविक सम्मान हैं। उन्होंने कोविड-19 के चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भी आवश्यक खाद्य फसलों के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कृषि क्षेत्र की क्षमता पर जोर दिया।

श्री तोमर ने कृषक समुदाय की विभिन्न समस्याओं और चुनौतियों को प्रभावी ढंग से हल करने के लिए प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए सामूहिक दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने देश को विभिन्न खाद्य फसलों का निर्यातक बनाने और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए परिषद की पहल की सराहना की। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में परिषद द्वारा शुरू किए गए “भारत का अमृत महोत्सव” कार्यक्रम में 400 से अधिक कृषि विज्ञान केंद्रों की सक्रिय भागीदारी को भी रेखांकित किया।

 

उन्होंने केंद्र सरकार की किसान हितैषी योजनाओं जैसे लैब-टू-लैंड, हर कृषि भूमि को पानी, प्रति बूंद अधिक फसल आदि की रूपरेखा तैयार की, जिसका उद्देश्य देश में कृषि क्षेत्र की प्रगति में तेजी लाना और कृषि क्षेत्र को बदलना है। उन्होंने जैविक और प्राकृतिक कृषि पद्धतियों के साथ एकीकृत खेती को बढ़ावा देने पर जोर दिया। श्री तोमर ने राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में बुद्धिमानी से योगदान करने के लिए अनुसंधान और शिक्षा के बीच एक नया तालमेल बनाने पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि नए कृषि विधेयक न केवल कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएंगे, बल्कि किसानों की आजीविका के विकल्पों को भी बढ़ाएंगे।

 

केंद्रीय मंत्री श्री रूपाला ने देश के किसानों के लाभ के लिए आईसीएआर द्वारा किए गए अनुसंधान और नवाचारों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि आईसीएआर ने अनुसंधान और प्रौद्योगिकी को फार्म गेट तक लाने के लिए सराहनीय काम किया है। उन्होंने आईसीएआर से मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कहा, मृदा स्वास्थ्य कार्ड की तरह, आईसीएआर एक ऐसा तंत्र विकसित कर सकता है जो मत्स्य पलकों विशेषकर महासागर ब्लॉकों में मछली पकड़ने की स्थिति के बारे में जानने में मदद कर सकता है। उन्होंने आईसीएआर को ‘किसान सारथी’ के मॉडल पर पशुपालन और मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित करने की भी सलाह दी।

अपने संबोधन में, श्री वैष्णव ने उल्लेख किया कि डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘किसान सारथी’ के साथ, किसान कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के संबंधित वैज्ञानिकों से सीधे कृषि और संबद्ध क्षेत्रों पर व्यक्तिगत सलाह ले सकते हैं और उनका लाभ उठा सकते हैं।

 

श्री वैष्णव ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों से कहा कि वे किसानों की फसलों को उनके खेत से गोदामों, बाजारों और उन स्थानों पर ले जाने के क्षेत्र में नई तकनीकों पर अनुसंधान करें जहां वे कम से कम नुकसान के साथ फसल बेच सकें। केंद्रीय आईटी मंत्री ने आश्वासन दिया कि इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय और संचार मंत्रालय किसानों के सशक्तिकरण के लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय को सभी आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए हमेशा तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि रेल मंत्रालय फसलों के परिवहन में लगने वाले समय को कम करने की योजना बना रहा है।

केंद्रीय राज्य मंत्री  कैलाश चौधरी और सुश्री शोभा करंदलाजे ने भी अनुसंधान और नवाचारों के माध्यम से भारतीय कृषि क्षेत्र को समृद्ध बनाने के लिए आईसीएआर और इसके वैज्ञानिकों को बधाई दी। श्री चौधरी ने 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए परिषद की कड़ी मेहनत की भी सराहना की। उन्होंने देश के दूर-दराज के किसानों को नई और उन्नत तकनीकों के प्रसार में कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया। सुश्री करंदलाजे ने किसानों को अर्थव्यवस्था की रीढ़ और जीवन रेखा बताया। कृषि विस्तार को एक महत्वपूर्ण कारक बताते हुए उन्होंने किसानों के लिए सूचना, प्रौद्योगिकियों और उन्नत सलाह के प्रसार में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।

डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सचिव (डीएआरई) और महानिदेशक (आईसीएआर) ने परिषद की विभिन्न गतिविधियों, कार्यशैली और उपलब्धियों को रेखांकित किया। पिछले एक वर्ष के दौरान विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों का आयोजन, शुरू की गई योजनाओं और समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर के बारे में उन्होंने जानकारी दी। डॉ. महापात्र ने कृषि क्षेत्र में उच्च शिक्षा प्रदान करने, नए शोध करने, नवीनतम घरेलू किस्मों की पहचान करने, लैब-टू-लैंड के अंतर को कम करने के लिए नई तकनीकी प्रगति की शुरुआत करने और विभिन्न समस्याओं का त्वरित समाधान प्रदान करने व किसानों से सीधा संवाद करने के लिए परिषद की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।

 

इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने 4 प्रमुख श्रेणियों में 16 विभिन्न पुरस्कार दिए, जो ‘कृषि संस्थानों के लिए उत्कृष्टता का राष्ट्रीय पुरस्कार, कृषि अनुसंधान में उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार, कृषि प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार व किसानों द्वारा नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार’ हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम हुए कार्यक्रम में 16 विभिन्न श्रेणियों में 60 पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया गया। इन पुरस्कारों में चार आईसीएआर संस्थान, एक अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना, 4 केवीके, 39 वैज्ञानिक और 11 किसान शामिल हैं। विभिन्न श्रेणियों में हिंदी राजभाषा पुरस्कार भी घोषित किए गए तथा प्रकाशनों का विमोचन किया गया।

इस अवसर पर  संजय अग्रवाल, सचिव, कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार और  अजय प्रकाश साहनी, सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के साथ शासी निकाय के सदस्य, आईसीएआर मुख्यालय और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद संस्थानों के निदेशक, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक और कर्मचारी सदस्य उपस्थित थे।