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ईश्वर के लिए अंडर ट्रायल कैदियों पर रहम करें, जल्द वर्चुअल कोर्ट अपनाएं– शैलेश गांधी

कोर्ट के जज और सूचना आयुक्तों ने वर्चुअल कोर्ट को बताया बेहद आवश्यक

56 वें राष्ट्रीय आरटीआई वेबिनार का हुआ आयोजन

250 से अधिक प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा

वर्चुअल कोर्ट वर्तमान युग की माग, इस व्यवस्था को तत्काल लागू किया जाय– पैनल

देश के सूचना आयुक्त कुछ हमारे जैसे करके देखें बड़ा बदलाव आयेगा– राहुल सिंह

कर्नाटक के आरटीआई एक्टिविस्ट की हत्या को लेकर रहा काफी रोष

एक्टिविस्ट शिवानन्द द्विवेदी अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा ने कार्यक्रम का किया प्रबंधन एवं संयोजन

गोगोई जैसे जजों ने न्यायपालिका की छवि ख़राब करने का काम किया है- प्रवीण भाई पटेल</strong>

दतिया @rubarunews.com>>>>>>>>>>>>>>>>> आरटीआई कानून को जन जन तक पहुचाने के लिए किये जाने वाले भागीरथ प्रयासों में राष्ट्रीय ऑनलाइन वेबिनार के माध्यम से आयोजित होने वाले ऑनलाइन वर्चुअल मीटिंग में दिनांक 18 जुलाई 2021 को वर्चुअल कोर्ट इसकी आवश्यकता और चुनौतियों विषय पर 56 वें राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन हुआ. इस बीच लगभग 250 से अधिक पार्टिसिपेंट्स ने भाग लिया. इस बार कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर हाई कोर्ट इलाहाबाद के पूर्व जज राजीव लोचन मेहरोत्रा, पूर्व जज एवं उपाध्यक्ष केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल दिनेश चन्द्र वर्मा, पूर्व केन्द्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गाँधी, पूर्व राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप, आरटीआई एक्टिविस्ट भास्कर प्रभु एवं वीरेश बेल्लुर, एवं फोरम फॉर फ़ास्ट जस्टिस के राष्ट्रीय संयोजक प्रवीण भाई पटेल सम्मिलित रहे. कार्यक्रम की अध्यक्षता मप्र राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने किया जबकि कार्यक्रम का संयोजन प्रबंधन एवं व्यवस्था का कार्य एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी, अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा, छत्तीसगढ़ से देवेन्द्र अग्रवाल और पत्रिका के वरिष्ठ संपादक मृगेंद्र सिंह ने किया।

⚫ *वर्चुअल कोर्ट वर्तमान युग की माग, इस व्यवस्था को तत्काल लागू किया जाय – पैनल*

इस बीच मीटिंग में वर्चुअल कोर्ट से जुड़े हुए मुद्दों और पेचीदगियों पर विस्तार से चर्चाएँ हुईं. चर्चा की शुरुआत में इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज राजीव लोचन मेहरोत्रा ने कहा की आज कोविड के दौर में वकीलों की रोजी रोटी को लेकर संकट उत्पन्न हो गया है क्योंकि कोर्ट बंद होने के कारण काम धंधा नहीं हो पा रहा है. आज वकालत के पेशे में संकट उत्पन्न हो गया है. जहाँ तक सवाल पेंडिंग केसों को लेकर है वह चिंता का विषय है. आने वाले वर्षों में यदि यही स्थिति रही तो केस 5 करोड़ से अधिक हो जायेंगे. इसलिए वर्चुअल कोर्ट ही समस्या का एकमात्र समाधान है. कार्यक्रम में अगले वक्ता के तौर पर पूर्व उपाध्यक्ष केन्द्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल नई दिल्ली एवं सोसाइटी फॉर फ़ास्ट जस्टिस लखनऊ के अध्यक्ष जज दिनेश चन्द्र वर्मा ने बताया की सुनवाई में विडियो कांफ्रेंसिंग का काम काफी पहले प्रारंभ हुआ था लेकिन वर्तमान समय में इसे और बेहतर किये जाने की जरुरत है. कोविड – 19 के दौर में पेंडिंग केस काफी बढ़ रहे हैं. अब मल्टीनेशनल कम्पनी भी कॉर्पोरेट के कार्य घर बैठे वर्क फ्रॉम होम के द्वारा प्रारंभ हुआ है. आज त्वरित न्याय के लिए वर्चुअल सुनवाई की जरूरत बढ़ी है. उन्होंने बताया की वर्चुअल कोर्ट के काफी फायदे हैं वहीँ दूसरी तरफ कुछ कमियाँ भी हैं. वर्चुअल कोर्ट में समय-पैसा और काफी भागादौड़ी से छुटकारा मिलता है. वहीँ दूसरी तरफ काफी वकीलों का कहना है की लो-बैंड-विड्थ और नेटवर्किंग समस्या के चलते भी वर्चुअल कोर्ट में समस्या होती हैं. बताया गया की सीनियर और जूनियर अधिवक्ता के कारण भी पक्षपात होता है. कई बार सीनियर एडवोकेट्स को तो फायदा हो जाता है और उनके केस जल्दी लग जाते हैं जबकि जूनियर वकीलों को लाभ प्राप्त नहीं होता. ऑनलाइन पेटीसन के लिए फाइल लिमिट 5 एमबी से बढ़ाना पडेगा क्योंकि दिक्कत होती है और फाइल साइज़ अपलोड नहीं होती. कई बार लिंक मिस हो जाती है और वेबसाइट डाउन हो जाती है यह सब प्रैक्टिकल समस्या हैं जिनको देखना पडेगा।

⚫ *ईश्वर के लिए अंडर ट्रायल कैदियों पर रहम करें, जल्द वर्चुअल कोर्ट अपनाएं – शैलेश गाँधी*

पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गाँधी ने बताया की आज वर्चुअल कोर्ट की जरुरत बढ़ गई है क्योंकि जेलखानों में अंडर ट्रायल कैदी हैं जिनमे से लाखों इनोसेंट हैं लेकिन उनकी सुनवाई समय पर न होने से दिक्कतें बढ़ रही हैं. पेंडिंग केसों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है और कोर्ट हाँथ पर हाँथ धरे बैठी हुई हैं. शैलेश गाँधी ने कहा की हमेशा सरकार को दोष देना भी ठीक नहीं है इसके लिए स्वयं कोर्ट की कार्यप्रणाली और निष्क्रियता भी जिम्मेदार है. उन्होंने पूर्व वक्ता की बात का जबाब देते हुए कहा की फाइल साइज़ कोई इशू नहीं है और लोग बड़ी-बड़ी मूवी भी अपलोड कर देते हैं तो यदि प्रशासन चाहे तो फाइल साइज़ बढ़ा सकता है जिससे केस की बड़ी फाइल भी अपलोड हो जाएँगी।

शैलेश गाँधी ने ट्रेनिंग के विषय में कहा की इसमें कोई विशेष ट्रेनिंग लेने की जरुरत नहीं है. जैसे की हमारी यह ज़ूम मीटिंग लगभग एक साल से चल रही है वैसे ही कोर्ट की प्रोसेडिंग भी चल सकती है इसमें मात्र इच्छाशक्ति की बात है. यदि न्यायाधिकारी अपनी इच्छाशक्ति को बढायें तो देश में लगभग 5 करोड़ की तरफ बढ़ते हुए पेंडिंग केसों को काफी कम किया जा सकता है और लोगों को न्याय उपलब्ध कराया जा सकता है. शैलेश गाँधी ने कहा की वर्चुअल कोर्ट से न केवल पेंडिंग केस कम होंगे और पीड़ितों को त्वरित न्याय मिलेगा बल्कि पारदर्शिता और जबाबदेही भी बढ़ेगी.

🔹🔸 देश के सूचना आयुक्त कुछ हमारे जैसे करके देखें बड़ा बदलाव आयेगा – राहुल सिंह

मप्र राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा की उन्होंने मप्र सूचना आयोग में पहला ऐसा प्रयास किया है और फेसबुक लाइव के माध्यम से सूचना आयोग की सुनवाइयों का सीधा प्रसारण कर रहे हैं जिन्हें पूरे देश-विदेश में बैठे लोग देख सकते हैं. यह उनका स्वयं का प्रयास है और इसमें उन्होंने किसी प्रकार के एक रूपये के सरकारी फण्ड का इस्तेमाल नहीं किया है. उन्होंने कहा की यदि सभी सूचना आयोग यही व्यवस्था लागू कर दें तो कम से कम सूचना आयोग में ऑनलाइन सुनवाई प्रारंभ की जा सकती है. वर्चुअल कोर्ट के विषय में उनका कहना था की यह मात्र इच्छाशक्ति की कमी के चलते नहीं हो पा रहा है. यदि थोड़ी सी ट्रेनिंग और इच्छाशक्ति आ जाये तो व्यवस्था सुचारू ढंग से प्रारंभ की जा सकती है. यह अच्छी व्यवस्था कहलाएगी जिसमे समय पैसे और टेंशन से छुटकारा मिलेगा।

🔸🔹 *कर्नाटक के आरटीआई एक्टिविस्ट की हत्या को लेकर रहा काफी रोष*

कार्यक्रम में कर्नाटक से आरटीआई एक्टिविस्ट वीरेश बेल्लूर और महाराष्ट्र से भास्कर प्रभु ने भी अपने उद्बोधन रखे. दोनों कार्यकर्ताओं सहित राहुल सिंह, आत्मदीप, शिवानन्द द्विवेदी और शैलेश गाँधी ने जहां कर्नाटक में एक्टिविस्ट श्रीधर की घिनौनी हत्या पर आक्रोश जाहिर किया और आरटीआई कानून के लिए कार्य करने वाले लोगों के लिए सुरक्षा के इन्तेजाम कर कानून बनाने के लिए कहा वहीँ वर्चुअल कोर्ट पर कहा की यह समय की आवश्यकता है और यदि कास्ट इफेक्टिव और समय बचाने वाले न्याय व्यवस्था लागू करना है तो वर्चुअल सुनवाई ही एकमात्र विकल्प है. वीरेश बेल्लुर ने बताया की कर्णाटक में स्थिति काफी दुर्भाग्यपूर्ण है और अधिकारी डिजिटल प्लेटफोर्म की व्यवस्थाओं का कोई लाभ नहीं उठा पा रहे हैं इसके लिए उनकी कमजोर इच्छाशक्ति और ढीलाढाला रवैया जिम्मेदार है।

फोरम फॉर फ़ास्ट जस्टिस इंडिया के राष्ट्रीय संयोजक गुजरात से प्रवीण भाई पटेल ने कहा की वर्चुअल कोर्ट से ही व्यवस्था में सुधार हो सकता है. उन्होंने पेंडिंग केसों पर घोर चिंता जाहिर करते हुए कहा की देश की न्याय प्रक्रिया पूरी तरह से चरमरा गयी है और देश न्यायिक आपातकाल की तरफ बढ़ रहा है. यदि कोविड की तीसरी लहर आती है तो पेंडिंग केसों की संख्या आस्मां छू लेंगी और फिर स्थिति और भी बदतर हो जाएगी इसलिए सरकार और कोर्ट को इस विषय पर तत्काल कदम उठाने की जरुरत है. उन्होंने बताया की उनकी संस्था फोरम फॉर फ़ास्ट जस्टिस के द्वारा सरकार को निरंतर अभ्यावेदन दिया जाता रहा है लेकिन सब अजगरी निद्रा में हैं और जब जागेंगे तब तक काफी देरी हो चुकी होगी. शैलेश गाँधी ने लोगों के न्याय के छीने जाने वाले हक पर चिंता जाहिर की और कहा की यह संविधान के आर्टिकल 14 और 21 का सीधा सीधा उल्लंघन है।

कार्यक्रम में मप्र के पूर्व राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने भी संबोधित किया और कहा की यदि सूचना आयोग की बात करें तो उन्होंने सबसे पहले फ़ोन के माध्यम से सुनवाई प्रारंभ की थी. वर्चुअल कोर्ट के विषय में आत्मदीप ने कहा की समय, पैसा, मानशिक क्षति सभी की दृष्टि से वर्चुअल सुनवाई एक बेहतर विकल्प है. घर बैठे मोबाइल फ़ोन में सुनवाई से काफी फायदे हैं और सभी को इस व्यवस्था को अपनाना चाहिए। कार्यक्रम में 250 से अधिक वर्चुअल प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया और कार्यक्रम के अंत में विभिन्न प्रश्न रखे जिसका की उपस्थित विशेषज्ञों ने समाधान भी किया। कार्यक्रम में देश भर से 255 RTI एक्टिविस्ट साथियों ने सहभागिता की। उक्त जानकारी अभियान साथी रामजीशरण राय दतिया ने दतिया।