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डेल्टा और डेल्टा प्लस वेरिएंट: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

नईदिल्ली.Desk/ @www.rubarunews.com>> टीके और कोविड उपयुक्त व्यवहार हमें महामारी से लड़ने में मदद कर सकते हैं। सचिव, बायोटेक्नोलॉजी विभाग; महानिदेशक, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद; और निदेशक, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र ने सार्स-सीओवी-2 वायरस के डेल्टा और डेल्टा प्लस वेरिएंट के बारे में कई सवालों के जवाब दिए हैं। 25 जून, 2021 को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आयोजित एक कोविड मीडिया ब्रीफिंग में दिए गए उत्तरों को पीआईबी ने प्रश्नोत्तर के रूप में तैयार कर पेश किया है।

 

प्रश्न: एक वायरस म्यूटेट क्यों होता है?

वायरस अपने स्वभाव की वजह से म्यूटेट हो जाता है। यह इसके विकास का हिस्सा है। सार्स-सीओवी-2 वायरस सिंगल-स्ट्रैन्डिड आरएनए वायरस है। तो, आरएनए के अनुवांशिक अनुक्रम में परिवर्तन ही म्यूटेशन हैं। जिस क्षण कोई वायरस अपने मेजबान कोशिका या अतिसंवेदनशील शरीर में प्रवेश करता है, वह अपनी प्रतिकृति बनाना शुरू कर देता है। जब संक्रमण का फैलाव बढ़ता है तो प्रतिकृति की दर भी बढ़ जाती है। एक वायरस जिसमें म्यूटेशन आ जाता है वो उसके वेरिएंट के रूप में जाना जाता है।

प्रश्न: म्यूटेशन का क्या असर होता है?

म्यूटेशन की सामान्य प्रक्रिया का हम पर तब असर पड़ता है जब इससे संक्रमण फैलने के स्तरों या उपचार में बदलाव देखने को मिलते हैं। म्यूटेशन इंसानों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक, नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है या प्रभावहीन रह सकता है।

नकारात्मक प्रभावों में किसी खास क्षेत्र में संक्रमण, प्रसार में तेजी, प्रतिरक्षा से बचने और किसी ऐसे व्यक्ति को संक्रमित करने की क्षमता , जिसके पास पहले से प्रतिरक्षा है, मोनोक्लोनल एंटीबॉडी से बेअसर होना, फेफड़ों की कोशिकाओं पर ज्यादा असर और संक्रमण की गंभीरता में वृद्धि आदि शामिल है।

सकारात्मक प्रभाव यह हो सकता है कि वायरस निष्क्रिय हो जाए।

 

प्रश्न:  सार्स-सीओवी-2वायरस में बार-बार म्यूटेशन क्यों देखा जाता है? म्यूटेशन कब रुकेंगे?

सार्स-सीओवी-2 निम्नलिखित कारणों से म्यूटेट हो सकता है:

  • वायरस की प्रतिकृति के दौरान आई कोई गड़बड़ी
  • ठीक हो चुके लोगों के प्लाज्मा के जरिये इलाज, टीकाकरण या मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (समान एंटीबॉडी अणुओं के साथ कोशिकाओं के एक क्लोन द्वारा निर्मित एंटीबॉडी) जैसे उपचार के बाद वायरस पर पड़ने वाला प्रतिरक्षा दबाव
  • कोविड-उपयुक्त व्यवहार की कमी के कारण बिना प्रतिरोध के वायरस का फैलाव। यहां वायरस खुद को बढ़ने के लिए सबसे अच्छे मेजबान ढूंढता है और अधिक मजबूत और अधिक संक्रमणीय हो जाता है।

जब तक महामारी बनी रहेगी तब तक वायरस म्यूटेट होता रहेगा। इससे यह और आवश्यक हो जाता है कि कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन किया जाये।

 

प्रश्न:  वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट (वीओआई) और वैरिएंट ऑफ कंसर्न (वीओसी) क्या हैं?

जब म्यूटेशन होता है- यदि इसका किसी अन्य समान प्रकार वेरिएंट के साथ कोई पिछला संबंध है जिसके बारे में लगता है कि उसका सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ा है- तो यह वेरिएंट अंडर इन्वेस्टिगेशन बन जाता है।

एक बार आनुवंशिक चिन्हों की पहचान हो जाने के बाद, जिनका रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन के साथ संबंध हो सकता है या जिनका एंटीबॉडी या वायरस को निष्क्रिय करने वाली प्रक्रियाओं पर प्रभाव मिलता है, हम उन्हें वेरिएंट ऑफ़ इंटरेस्ट कहना शुरू करते हैं।

और जिस वक्त हमें क्षेत्रों से और नैदानिक ​​सहसंबंधों के माध्यम से बढ़े हुए संचरण के प्रमाण मिलते हैं, यह वेरिएंट ऑफ कंसर्न बन जाता है। वेरिएंट ऑफ कंसर्न वह हैं जिनमें निम्नलिखित में से एक या अधिक विशेषताएं हैं:

  • प्रसार में बढ़त
  • तीव्रता/रोग लक्षणों में परिवर्तन
  • निदान, दवाओं और टीकों से बचाव

पहला वेरिएंट ऑफ कंसर्न यूके द्वारा घोषित किया गया था जहां यह पाया गया था। वर्तमान में वैज्ञानिकों द्वारा पहचाने गए वेरिएंट ऑफ कंसर्न के चार प्रकार हैं- अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा।

प्रश्न:  डेल्टा और डेल्टा प्लस वेरिएंट क्या हैं?

ये सार्स-सीओवी-2 वायरस के वेरिएंट को दिए गए नाम हैं, जो उनमें पाए गए म्यूटेशन के आधार पर हैं। लोगों को आसानी से समझ में आने के लिये डब्ल्यूएचओ ने ग्रीक वर्णमाला के अक्षरों, यानी अल्फा (बी.1.1.7), बीटा (बी.1.351), गामा (पी.1), डेल्टा (बी.1.617), आदि का उपयोग करने की सिफारिश की है।

डेल्टा संस्करण, जिसे सार्स-सीओवी-2 बी.1.617 के रूप में भी जाना जाता है, में लगभग 15-17 म्यूटेशन होते हैं। यह पहली बार अक्टूबर 2020 में रिपोर्ट किया गया था। फरवरी 2021 में महाराष्ट्र में 60% से अधिक मामले डेल्टा वेरिएंट से संबंधित थे।

 

भारतीय वैज्ञानिकों ने ही डेल्टा वेरिएंट की पहचान की और इसे वैश्विक डेटाबेस में दर्ज कराया। डब्ल्यूएचओ के अनुसार डेल्टा संस्करण को वेरिएंट ऑफ कंसर्न में वर्गीकृत किया गया है और अब यह 80 देशों में फैल गया है।

डेल्टा संस्करण (बी.1.617) के तीन उपप्रकार बी.1.617.1, बी.1.617.2 और बी.1.617.3 हैं, जिनमें से बी.1.617.1 और बी.1.617.3 को वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जबकि बी. 1.617.2 (डेल्टा प्लस) को वेरिएंट ऑफ कंसर्न के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

डेल्टा प्लस वेरिएंट में डेल्टा वेरिएंट की तुलना में एक अतिरिक्त म्यूटेशन है; इस म्यूटेशन को के417एन म्यूटेशन नाम दिया गया है। ‘प्लस’ का अर्थ है कि डेल्टा संस्करण में एक अतिरिक्त म्यूटेशन हुआ है। इसका मतलब यह नहीं है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट की तुलना में अधिक गंभीर या अत्यधिक संचरण योग्य है।

 

प्रश्न:  डेल्टा प्लस वेरिएंट (B.1.617.2) को वेरिएंट ऑफ़ कंसर्न के रूप में क्यों वर्गीकृत किया गया है?

डेल्टा प्लस संस्करण को निम्नलिखित विशेषताओं के कारण वेरिएंट ऑफ़ कंसर्न के रूप में वर्गीकृत किया गया है:

  • प्रसार की बढ़ी हुई क्षमता
  • फेफड़ों की कोशिकाओं के रिसेप्टर्स के लिए मजबूत बंधन
  • मोनोक्लोनल एंटीबॉडी प्रतिक्रिया में संभावित कमी
  • टीकाकरण के बाद प्रतिरक्षा से बचाव का अनुमान

प्रश्न:  भारत में इन म्यूटेशन का कितनी बार अध्ययन किया जाता है?

भारतीय सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी), बायोटेक्नोलॉजी विभाग (डीबीटी) के समन्वय में और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, आईसीएमआर और सीएसआईआर के साथ पूरे देश में फैली प्रयोगशालाओं के नेटवर्क के जरिये सार्स-सीओवी-2 में जीनोमिक विविधताओं की नियमित आधार पर निगरानी करता है।इसे दिसंबर 2020 में 10 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं के साथ स्थापित किया गया था और अब इसका विस्तार 28 प्रयोगशालाओं और 300 निगरानी केंद्रों तक किया गया है जहाँ से जीनोमिक नमूने एकत्र किए जाते हैं। आईएनएसएसीओजी अस्पताल नेटवर्क नमूनों को देखता है और आईएनएसएसीओजी को गंभीरता, नैदानिक ​​​​सहसंबंध, संक्रमण पर अहम खोज और पुन: संक्रमण के बारे में सूचित करता है।

राज्यों से 65000 से अधिक नमूने लिए गए और संसाधित किए गए, जबकि लगभग 50000 नमूनों का विश्लेषण किया गया है, जिनमें से 50% वेरिएंट ऑफ कंसर्न बताए गए हैं।

 

प्रश्न:  किस आधार पर नमूनों का चयन जीनोम अनुक्रमण के लिये किया जाता है?

नमूना चयन तीन व्यापक श्रेणियों के तहत किया जाता है:

1) अंतर्राष्ट्रीय यात्री (महामारी की शुरुआत के दौरान)

2) सामुदायिक निगरानी (जहां आरटी-पीसीआर नमूने सीटी वैल्यू 25 से कम दर्ज होते हैं)

3) निगरानी केंद्र- नमूने प्रयोगशालाओं (प्रसार की जांच के लिए) और अस्पतालों (गंभीरता की जांच के लिए) से प्राप्त किए जाते हैं।

जब किसी जेनेटिक म्यूटेशन की वजह से सार्वजनिक स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव देखा जाता है, तो उसकी निगरानी की जाती है।

प्रश्न: भारत में फैल रहे वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न के प्रसार के क्या संकेत देखने को मिल रहे हैं?

नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, परीक्षण किए गए 90%नमूनों में डेल्टा वेरिएंट (B.1.617) पाए गए हैं। हालांकि, बी.1.1.7स्ट्रेन जो कि महामारी के शुरुआती दिनों में भारत में सबसे अधिक देखने को मिल रहा था, में कमी आई है।

 

प्रश्न: वायरस में म्यूटेशन देखने के तुरंत बाद सार्वजनिक स्वास्थ्य को लेकर कार्रवाई क्यों नहीं की जाती है?

यह कहना संभव नहीं है कि देखा गया म्यूटेशन संचरण को बढ़ाएगा या नहीं। इसके अलावा, जब तक ऐसे वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिलेंगे जो मामलों की बढ़ती संख्या और मामलों में वेरिएंट के हिस्से के बीच संबंध साबित करते हैं, हम पुष्टि नहीं कर सकते कि विशेष प्रकार के वेरिएंट में तेजी दर्ज हुई है। एक बार म्यूटेशन पाए जाने के बाद, यह पता लगाने के लिए सप्ताह दर सप्ताह विश्लेषण किया जाता है कि क्या मामलों में वृद्धि और मामलों में वेरिएंट के हिस्से के बीच ऐसा कोई संबंध है। इस तरह के सहसंबंध के वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध होने के बाद ही सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्रवाई की जा सकती है।

एक बार इस तरह के सहसंबंध स्थापित हो जाने पर, यह  इस तरह के वेरिएंट को किसी अन्य क्षेत्र/प्रांतों में देखे जाने पर पहले से तैयारी करने में बहुत मदद करेगा।

प्रश्न: क्या कोविशील्ड और कोवैक्सीन सार्स-सीओवी-2 के वेरिएंट के खिलाफ काम करते हैं?

हां, कोवीशील्ड और कोवैक्सीन दोनों अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी हैं। डेल्टा प्लस वेरिएंट पर वैक्सीन की प्रभावशीलता की जांच के लिए लैब टेस्ट जारी हैं।

डेल्टा प्लस वेरिएंट: वायरस को अलग कर दिया गया है और अब आईसीएमआर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे में संवर्धित किया जा रहा है। टीके की प्रभावशीलता की जांच के लिए प्रयोगशाला परीक्षण चल रहे हैं और परिणाम 7 से 10 दिनों में उपलब्ध होंगे। यह वेरिएंट पर दुनिया का पहला परिणाम होगा।

प्रश्न: इन वेरिएंट से निपटने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी क्या उपाय किए जा रहे हैं?

सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी कदम वहीं हैं, चाहे वेरिएंट किसी भी प्रकार के हों। निम्नलिखित उपाय किए जा रहे हैं:

  • एक जगह पर कई मामलों को लेकर जरूरी रोकथाम
  • मामलों का अलगाव और उपचार
  • संपर्क में आये लोगों को अलग रखना
  • टीकाकरण में तेजी लाना

प्रश्न: वायरस में म्यूटेशन होने और कई अन्य वेरिएंट सामने आने की वजह से क्या सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियाँ बदलती हैं?

नहीं, सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियाँ वेरिएंट्स के साथ-साथ नहीं बदलती हैं।

 

प्रश्न:  म्यूटेशन की निरंतर निगरानी क्यों महत्वपूर्ण है?

संभावित टीके से बचने की क्षमता, बढ़ी हुई प्रसार की क्षमता और रोग की गंभीरता पर नजर रखने के लिए म्यूटेशन की निरंतर निगरानी महत्वपूर्ण है।

प्रश्न: एक आम आदमी इन वेरिएंट ऑफ कंसर्न से सुरक्षित रहने के लिये क्या कर सकता है।

सभी को कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करना चाहिए, जिसमें ठीक से मास्क पहनना, बार-बार हाथ धोना और सामाजिक दूरी बनाए रखना शामिल है।

दूसरी लहर अभी खत्म नहीं हुई है। एक बड़ी तीसरी लहर को रोकना संभव है बशर्ते व्यक्ति और समाज सुरक्षात्मक व्यवहार का अभ्यास करें।

इसके अलावा, प्रत्येक जिले द्वारा परीक्षण पॉजिटिविटी रेट की बारीकी से निगरानी की जानी चाहिए। यदि पॉजिटिविटी रेट 5% से ऊपर जाती है, तो सख्त प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए।