मध्य प्रदेशराजनीति

मप्र में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली के खिलाफ सीपीआई का राज्य व्यापी प्रदर्शन 10 को

भोपाल Desk/ @www.rubarunews.com>> मप्र में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से बदहाल हैं। लोग अस्पतालों में जगह, बिस्तर, ऑक्सीजन, आईसीयू और वेंटीलेटर न मिलने के कारण दम तोड़ रहे हैं। इनको कोरोना से हुई मौते बताया जा रहा है परंतु ये राज्य सरकार की अक्षमता के कारण हो रही हैं। जो तैयारी का समय था वह चुनाव प्रचार में निकाल दिया गया और मुख्यमंत्री झूठे दावे करते रहे। आज हालात यह है कि शमशानों में अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं बची है और आंकड़ों में मौतों को छिपाया जा रहा है। इसलिये स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी आगामी 10 मई को पूरे राज्य में प्रतिरोध दिवस मनाएगी।

सीपीआई के राज्य सचिव कॉमरेड अरविंद श्रीवास्तव और शैलेन्द्र कुमार शैली ने एक प्रेस नोट में कहा कि राज्य सरकार ने जन विरोध को दबाने के लिये राज्य में कोरोना कार्फ़ लगा कर रखा है लेकिन सत्ताधारी पार्टी ही इसे तोड़ रही है। इससे उनका पाखंड उजागर होता है। उन्होंने लॉक डाउन और कर्फ्यू के बावजूद विगत 5 मई को मध्य प्रदेश में भोपाल ,इंदौर ,जबलपुर सहित विभिन्न स्थानों में प्रदर्शन ,धरना और पुतला दहन करने वाले भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है ।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के मध्य प्रदेश राज्य सचिव कामरेड अरविंद श्रीवास्तव और राज्य सचिव मंडल सदस्य कामरेड शैलेन्द्र शैली ने यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि सीपीआई विरोध प्रदर्शन के खिलाफ नही है और जनता के सवालों पर प्रतिरोध का अधिकार संवैधानिक अधिकार है। लेकिन इस संक्रमण के समय जब किसी भी तरह का राजनीतिक प्रदर्शन , धरना , आंदोलन खुद भाजपा सरकार द्वारा प्रतिबंधित है तब भी भाजपा ने सारे प्रदेश में आंदोलन करके कानून तोड़ा है। उन्होंने बंगाल के मुद्दे का साम्प्रदायिकरण करने की भी कोशिश की है।

सीपीआई संकट के इस समय राज्य की जनता के साथ खड़ी है और प्रदेश में हर आदमी को इलाज की गारंटी, कोरोना का इलाज सभी अस्पतालों में निशुल्क किये जाने, सभी प्राइवेट असप्तालो के अधिग्रहण की और सभी जरूरतमंदों को 6 महीने का राशन निःशुल्क प्रदान करने की मांग को लेकर 10 मई को राज्य व्यापी प्रतिरोध दिवस का आव्हान किया है। इस दिन पूरे राज्य में पार्टी के साथी कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए अपना प्रतिरोध दर्ज कराएंगे और मांगें उठाएंगे। सीपीआई ने सभी राजनीतिक दलों और जन संगठनों को भी अनुमति देने की मांग की है ।