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ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स के लिए बनाया जाय एक्ट और उन्हें मिले सुरक्षा सहित अन्य ह्यूमन राइट्स उल्लंघन पर हुई विस्तृत चर्चा

राष्ट्रीय स्तर पर ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स के राष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ आयोजन

पूर्व हाई कोर्ट जज, एनएचआरसी के सेक्रेटरी जनरल, सूचना आयुक्तों सहित जाने माने हस्तियों ने रखे अपने विचार

दातिया @rubarunews.com>>>>>>>>>>>>> भारत के जाने माने ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स देश और विश्व में हो रहे ह्यूमन राइट्स उल्लंघन की चर्चा की। यदि मानवीय समाज की अवधारणा की बात की जाय तो मानवाधिकार का संरक्षण बेहद आवश्यक है. हर मानव को समानता पूर्वक सम्मान से जीने के अधिकार हैं. मानवाधिकार का कानून भी यही कहता है. सबसे पहले यूनाइटेड नेशन में पास किये गए इस कानून को भारत में केंद्र और कई राज्यों में आयोग गठित कर लागू किया गया है लेकिन भारत में अभी भी आमजन के मानवाधिकार का संरक्षण नहीं हो पा रहा है. हालाँकि भारतीय संस्कृति तो प्रत्येक जीव में ईश्वर के अस्तित्व होने और इस प्रकार समस्त जीव जगत के लिए अहिंसा और जीयो और जीने दो की बात कहती है लेकिन वास्तविक धरातल पर देखा जाय तो यह बातें मात्र आदर्श स्तर पर ही हैं और कागजों पर देखने को मिलती हैं.

सर्वसम्मति से ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन के लिए कार्य करने का लिया वचन, कहा ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स के लिए सरकार बनाए कानून

इस बीच कार्यक्रम की सुरुआत में राज्यसभा सांसद एवं जानी मानी सामाजिक कार्यकर्ता अमीबेन याज्ञनिक ने कहा की भारत में ह्यूमन राइट्स उल्लंघन हमारे आसपास से ही प्रारंभ होता है. आज हम बच्चों को क्या शिक्षा दे रहे हैं हमारे आसपास लोगों से कैसा व्यवहार कर रहे हैं यह सब हमारे ह्यूमन राइट्स में कंट्रीब्यूट करता है. सेक्रेटरी जनरल एनएचआरसी बिम्बाधर प्रधान ने कहा की कमीसन जल्द ही ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स के लिए व्यवस्था बनाएगा और देश के हर प्रदेश से चुने हुए ऐसे डिफेंडर्स जो अपनी जान को जोखिम में डालकर कार्य कर रहे हैं उनके लिए पुलिश महानिदेशक सहित प्रदेश की सरकारों को लिखकर स्पेशल सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराने के लिए कहेगा.

अब सरकारें और कोर्ट शूट द मैसेंजर वाले रास्ते पर चल निकली हैं – सूचना आयुक्त राहुल सिंह

मप्र के राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अपने कार्यों के विषय में अवगत कराते हुए बताया की कैसे चाहे वह पुलिस विभाग से मागी गयी जानकारी हो अथवा मनरेगा और अन्य सभी में उन्होंने आदेश देकर जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कहा और जहां आर टी आई कानून का उल्लंघन दिखा है वहां पर जुर्माने भी अधिरोपित किये हैं. उन्होंने हाई कोर्ट और अन्य कोर्ट के नकारात्मक रवैये का भी उल्लेख करते हुए कहा की किस प्रकार नियम के विरुद्ध जाकर हाई कोर्ट ने उन्हें हलफनामा प्रस्तुत कर उनका नामजद पार्टी बनाकर पक्ष रखने के लिए कहा है. इससे कहीं न कहीं सूचना के अधिकार कानून पर गहरा आघात लगता है. जबकि सूचना का अधिकार कानून तो स्पष्ट तौर पर यह कहता है की ज्यादा से ज्यादा जानकारी पब्लिक फोरम पर रखीं जानी चाहिए. श्री सिंह ने कहा की आर टी आई कानून मानवाधिकार से सीधे जुड़ा हुआ है. जब व्यक्ति अपने मानवाधिकार की शिकायत करके परेशान होता है और उसे कोई जवाबी कार्यवाही नहीं होती है तब वह थकहार कर आर टी आई आवेदन लगाकर जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करता है.

आगे एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी ने भी अपने विचार रखे और कहा की चूँकि आर टी आई एक्टिविस्ट को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स की श्रेणी में रखता है इसलिए उनकी सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाए. इस विषय पर राजस्थान से नरेंद्र राजपुरोहित सहित अन्य आर टी आई कार्यकर्ताओं ने बाड़मेर की घटना इसमें आर टी आई कार्यकर्ता के पैर और नाखून में कील ठोंकर मारने का प्रयास किया गया मामले पर चिंता जाहिर किया और आयोग को तत्काल संज्ञान लेकर अलग से इन्क्वायरी करवाने के लिए माग किया. मानवाधिकार आयोग शिकायतों की जांच अलग एजेंसी से करवाए और उनसे जांच न करवाए जिनके विरुद्ध शिकायत हुई है इस बाबत भी ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स ने माग की. साथ ही शिकायतकर्ता की सहमती लिए बिना कोई भी शिकायत न बंद की जाए इस बाबत भी ध्यान देने की बात कही.

ह्यूमन राइट्स फ्रंट के संयोजक और अध्यक्ष वरिष्ठ ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट मनोज जेना ने कहा की भारत में ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स के लिए अलग से सुरक्षा व्यवस्था और इस सम्मेलन से प्राप्त सुझावों के आधार पर जल्द ही सरकार और नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन के साथ मीटिंग कर अवगत कराया जाएगा और व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी.

इन वरिष्ठ जनों ने भी रखे विचार कहा भारत में मानवाधिकार की स्थिति चिंताजनक

कार्यक्रम में इलाहबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस राजीव लोचन मेहरोत्रा, एडीआर के सहसंस्थापक जगदीप छोकर, कामन कॉज के संयोजन एवं वरिष्ठ पत्रकार विपुल मुद्गल, मप्र राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह, पूर्व मप्र सूचना आयुक्त आत्मदीप, पीवीसीएचआर के अध्यक्ष लेनिन रघुवंशी, राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व सदस्य एवं सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता डॉक्टर चारुवाली खन्ना, इम्फाल मणिपुर से सोशल एक्टिविस्ट डॉक्टर रोबिन हेनी, ह्यूमन राइट्स फ्रंट के अध्यक्ष मनोज जेना, फोरम फॉर फ़ास्ट जस्टिस के अध्यक्ष भगवान् जी रैयानी, नेशनल फेडरेशन फॉर सोसाइटी फॉर फ़ास्ट जस्टिस के अध्यक्ष डॉक्टर राज कचरू, फोरम फॉर फ़ास्ट के होनरेरी ट्रस्टी प्रवीण पटेल एवं वेंकटरमण, आर टी आई ग्रुप के संयोजक एवं सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी सहित अन्य ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स और सोशल एक्टिविस्ट सम्मिलित हुए और अपने विचार रखे. सभी ने कहा की की भारत में मानवाधिकार की स्थिति चिंताजनक है और इसके लिए स्वयं आयोग और सरकार प्रोएक्टिव होकर कार्य करें और ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स सहित समस्त जन को मानवाधिकार की सुरक्षा उपलब्ध कराएँ।

कार्यक्रम की होस्टिंग एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी द्वारा फेसबुक एवं यूट्यूब लाइव के माध्यम से की गयी जबकि कार्यक्रम का मॉडरेशन संयुक्त रूप से मनोज जेना, प्रवीण पटेल, वेंकटरमण एवं शिवानंद द्विवेदी द्वारा किया गया।