मध्य प्रदेश

सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता महिला सशक्तीकरण

भोपाल.Desk/ @www.rubarunews.com>> मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता महिलाओं का सशक्तीकरण है। इसके लिए सरकार उन्हें विभिन्न गतिविधियों के लिए 4 प्रतिशत ब्याज पर बैंकों से ऋण दिला रही है तथा शेष ब्याज की राशि मध्यप्रदेश सरकार भर रही है। इस वर्ष महिलाओं को उनकी आर्थिक गतिविधियों के लिए 1400 करोड़ की राशि दिलाई जा रही है। इसी के साथ यह भी निर्णय लिया गया है कि सरकारी खरीद का एक हिस्सा महिला स्व-सहायता समूहों के उत्पादों का होगा। उनकी बनाई सामग्रियों को बाजार प्रदान करने तथा प्रोत्साहित करने के लिए शहरों में ‘मॉल्स’ में भी रखा जाएगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आज मंत्रालय से वीडियो कान्फ्रेंस द्वारा स्व-सहायता समूहों की महिलाओं के वर्चुअल क्रेडिट कैम्प में उन्हें 150 करोड़ रूपए की ऋण राशि सिंगल क्लिक के माध्यम से अंतरित की। इस अवसर पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री  महेन्द्र सिंह सिसोदिया, स्कूल शिक्षा मंत्री  इन्दर सिंह परमार, अपर मुख्य सचिव  मनोज श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे।

इस साल 30 लाख बहनों को स्व-सहायता समूह से जोड़ना है

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में वर्तमान में 35 लाख बहनें स्व-सहायता समूहों से जुड़ी हैं तथा विभिन्न प्रकार की आर्थिक गतिविधियां सफलतापूर्वक संचालित कर रही हैं। इस बार बहनों को स्कूल गणवेश का कार्य दिया गया है। इसी के साथ कई स्थानों पर वे ‘रेडी टू ईट’ पोषण आहार का निर्माण भी कर रही हैं। हमें इस वर्ष 30 लाख और महिलाओं का आवश्यक प्रशिक्षण देकर स्व-सहायता समूहों से जोड़ना है। ये महिलाएं ‘लोकल को वोकल बनाएंगी’ तथा आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का निर्माण करेंगी।

मसूरी गईं IAS लोगों को पढ़ाने

पंडोला, श्योपुर के बिस्मिल्ला स्व-सहायता समूह की मोबिना बहन ने बताया कि उनके समूह की महिलाएं अलग-अलग आर्थिक गतिविधियां कर रही हैं तथा हर सदस्य प्रतिमाह 15 से 20 हजार रूपए की मासिक आय कर रही है। पहले उन्हें बैंक से 50 हजार मिले, फिर 2 लाख जो कि उन्होंने वापस कर दिए। अब 3 लाख का लोन पास हो गया है। मोबिना स्व-सहायता समूहों के संबंध में IAS अधिकारियों को पढ़ाने मसूरी भी जा चुकी हैं।

बहनो इसी तरह आगे बढ़ती रहो

बैतूल जिले के ग्राम राठीपुर के पलक आजीविका स्व-सहायता समूह की बहन दुर्गा पंवार ने मुख्यमंत्री श्री चौहान को बताया कि पहले उन्हें 50 हजार रूपए का लोन लिया था अब 5 लाख का लोन लिया है। समूह दूध, सब्जी, मास्क निर्माण व सिलाई का कार्य करता है। अब पशु आहार बनाने की योजना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बहनो इसी तरह आगे बढ़ती रहो और प्रदेश का नाम रोशन करो।

‘पहले चैक देखा ही नहीं था, अब चैक काट रही हूँ’

मुख्यमंत्री श्री चौहान को लक्ष्मी स्व-सहायता समूह ग्राम आमेठ जिला सागर की बहन द्रोपदी कुर्मी ने बताया कि उन्होंने 20 हजार रूपए की एक भैंस लेकर अपना काम चालू किया था अब 50-50 हजार की 04 भैंस बैंक लोन लेकर खरीदी है। आज उन्हें 1500 रूपए प्रतिदिन की आय होती है। उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया कि ‘पहले मैंने देखा नहीं था चैक कैसा होता है, आज चैक काट रही हूँ।’

सीता चलाती है ‘मामा ब्यूटी पार्लर’

आमेठ जिला सागर की स्व-सहायता समूह की बहन सीता कुर्मी ने मुख्यमंत्री श्री चौहान को बताया कि वे गांव में ब्यूटी पार्लर चलाती हैं जिसका नाम उसने ‘मामा ब्यूटी पार्लर’ रखा है, क्योंकि उन्हें ब्यूटी पार्लर की ट्रेनिंग मुख्यमंत्री श्री चौहान के पूर्व कार्यकाल वर्ष 2018 में मिली। ‘आप ही मेरे प्रेरणा’ स्त्रोत हैं। लक्ष्मी स्व-सहायता समूह ग्राम आमेठ जिला सागर की बहनों ने मुख्यमंत्री श्री चौहान को अपना लिखा हुआ गीत सुनाया। ‘देश संभालन आए हो, मेरे शिवराज भैया’।

बहनें करें ग्राम का विकास

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अनूपपुर जिले के अनुराधा स्व-सहायता समूह की बहन ऊषा राठौर से बातचीत के दौरान कहा कि बहनें न केवल आर्थिक गतिविधियों के माध्यम से गांव को स्वावलंबी एवं मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर बनाएं बल्कि ग्रामीण नेतृत्व में हिस्सा लेकर गांवों का विकास भी करें। बहन ऊषा ने मुख्यमंत्री श्री चौहान को बताया कि पहले उन्होंने बैंक से एक लाख का ऋण लिया था, फिर दो लाख का और अब तीन लाख का ऋण लिया है। उनका समूह होटल, कृषि, अण्डे की दुकान, किराना दुकान, सब्जी उत्पादन, ट्रेक्टर संचालन आदि गतिविधियां करता है तथा प्रतिमाह 20 से 25 हजार रूपए कमाता है। इस पर मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बहनों को बधाई देते हुआ कहा कि ‘यह है आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का उदाहरण।’

न्यूनतम 10 हजार रूपए की मासिक आय लक्ष्य

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री  महेन्द्र सिंह सिसोदिया ने कहा कि प्रदेश में स्व-सहायता समूहों को सशक्त बनाने के लिए सरकार अधिक से अधिक सहायता कर रही है। हमारा लक्ष्य है कि स्व-सहायता समूहों की प्रत्येक महिला को कम से कम 10 हजार रूपए की मासिक आमदनी हो सके।