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शब्दों को गिन कर लघुकथा नहीं लिखी जा सकती – डॉ बलराम अग्रवाल

भोपालDesk/ @www.rubarunews.com- शब्दों को गिन कर लघुकथा नहीं लिखी जा सकती ,लेखन में गुणवत्ता निरन्तर अध्ययन और अभ्यास से ही सम्भव है ,पुस्तकों को पूजने की नहीं पढ़ने की आवश्यकता है लघुकथा से जुड़े सभी समसामयिक प्रश्न हैं वह ‘परिंदे पूछते हैं ‘ कृति में समाविष्ट हैं | यह उदगार हैं वरिष्ठ लघुकथाकार डॉ बलराम अग्रवाल (नई दिल्ली ) के जो लघुकथा शोध केंद्र भोपाल और अपना प्रकाशन द्वारा आयोजित ‘पुस्तक पखवाड़े ‘ के अंतर्गत तृतीय दिवस को आयोजित ‘परिंदे पूछते हैं ‘ लेखक डॉ अशोक भाटिया पर केंद्रित विमर्श में आयोजित मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे | इस आयोजन में वरिष्ठ लघुकथाकार डॉ सतीशराज पुष्करणा (पटना ) ने कहा कि-‘ लघुकथा लेखन में नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी का अंतर नहीं होता यह अंतर समय का होता है ,नई पीढ़ी को पुरानी पीढ़ी के रचनाकारों के अनुभव का लाभ उनकी रचनाओं उनके सानिध्य और साक्षात्कार के माध्यम से लेना चाहिए | विशिष्ठ वक्ता के रूप में बोलते हुए डॉ राधेश्याम भारतीय (करनाल हरियाणा) ने कहा कि -‘ इस पुस्तक का दूसरा संस्करण आना पाठकों के बीच इसकी लोकप्रियता का प्रमाण है ,यह पुस्तक जटिल प्रश्नों के सहज उत्तर देती है | वरिष्ठ साहित्यकार विशिष्ट वक्ता डॉ हरभगवान चावला ने कहा कि ‘जो बात कविता कहानी अथवा उपन्यास में नहीं कि जा सकती वह बात लघुकथा में कही जा सकती है ‘फेंटासी’ लघुकथा की सबसे बड़ी ताकत है बशर्ते यह जबरिया थोपी न गई हो | अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ लघुकथाकार डॉ भगीरथ परिहार (कोटा राजस्थान ) ने कहा कि -‘ लघुकथा सृजन से पूर्व पढ़ना आवश्यक है ,हमें सभी विधाओं की पुस्तकें पढ़ना चाहिए तथा अन्य विषयों की पुस्तकें भी इससे लेखन दृष्टि विकसित होती है | कार्यक्रम में लेखक डॉ अशोक भाटिया ने कहा कि-‘लेखन सम्वेदना से शुरू होता है ,सम्वेदना से पैदा हुई तड़प व बेचैनी को शब्दों के माध्यम से सृजन में ढालने के लिए शांत मन व धैर्य भी होना आवश्यक है ,लघुकथा में कर्मकांड रचनात्मकता को क्षति पहुंचाते हैं ,सम्मान कभी सृजन से बड़ा नहीं हो सकता ,लघुकथाओं में रोचकता ,गुणवत्ता और सौंदर्य पढ़ने लिखने से आती है |’ कार्यक्रम के प्रारम्भ में लघुकथा शोध केंद्र की निदेशक कांता रॉय ने स्वागत वक्तव्य देते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डाला | इस आयोजन का सफल संचालन युवा रचनाकार चित्रा राणा राघव ने किया | इस आयोजन में मुकेश वर्मा ,अरुण अर्णव खरे, चरनजीत सिंह कुकरेजा,डॉ मालती वसन्त, शेख शहज़ाद उस्मानी,अन्तरा करवड़े, सुनीता प्रकाश जया आर्य ,मधुलिका सक्सेना , डॉ रंजना शर्मा ,डॉ गिरजेश सक्सेना ,गौकुल सोनी,मृणाल आशुतोष,अशोक धमेनिया ,अरविंद टिवरिअंजु निगम डॉ सुषमा सिंह ,उषा चौहान ,मेघा मैथिल ,मुज़फ्फर इकबाल सिद्दीकी सहित अनेक प्रबुद्ध नागरिक और साहित्य प्रेमी उपस्थित थे |

Umesh Saxena

I am the chief editor of rubarunews.com