मध्य प्रदेशदेश

भूतकाल की अनुभूति वर्तमान का अनुभव और भविष्य की आशा है कविता -विपिन बिहारी वाजपेई

भोपाल.Desk/ @www.rubarunews.com- प्यार की गहन अनुभूतियों से संपृक्त ‘गुनगुनाते बोल’ काव्य संग्रह की कविताएं सहज ही पाठक के ह्रदय में उतर जाती हैं | ‘प्रतीक्षालय’ काव्य संग्रह की कविताओं से गुजरना जीवन जे दर्शन से गुजरना है ,यह उदगार हैं वरिष्ठ साहित्यकार और निदेशक दुष्यंत कुमार स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय के निदेशक राजुरकर राज के जो लघुकथा शोध केंद्र भोपाल और अपना प्रकाशन द्वारा आयोजित पुस्तक पखवाड़े के अंतर्गत वरिष्ठ रचनाकार जया आर्य आर्य की कृति ‘गुनगुनाते बोल ‘ काव्य संग्रह एवम वरिष्ठ साहित्यकार कर्नल डॉ गिरजेश सक्सेना गिरीश के ‘प्रतीक्षालय’ काव्य संग्रह पर आयोजित विमर्श में अध्यक्ष के रूप में अपने उदगार व्यक्त कर रहे थे | कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए वरिष्ठ साहित्यकार श्री विपिन बिहारी वाजपेई ने कहा कि ‘ विचारों की गहराई और चिंतन की अनुभूति से गुजरी हुई कविताएं हैं जिनमें वर्तमान का अनुभव भूतकाल की अनुभूति और भविष्य की आशा निहित है | ‘गुनगुनाते बोल ‘ की समीक्षा करते हुए मृदुल त्यागी ने कहा कि लेखिका ने अपने सम्वेदनशील ह्रदय की भावनाओं को कविताओं के माध्यम से पिरोया है ,इन कविताओं का मूल स्वर प्रेम है | काव्य संग्रह ‘प्रतीक्षालय” पर चर्चा करते हुए समीक्षक घनश्याम मैथिल “अमृत” ने कहा कि ‘प्यार में मिलन के मधुमास और विरह के सन्त्रास की सघन अनुभूतियों से उपजी कविताएं हैं इनका स्वागत किया जाना चाहिए | आयोजन में लेखक द्वय ने उपस्थित मंचस्थ अतिथियों एवम अन्य उपस्थित गुणीजनों का आभार प्रकट करते हुए अपने अनुभवों सृजन प्रक्रिया सहित अपनी बात साझा की ,कार्यक्रम का सफल संचालन वरिष्ठ साहित्यकार गौकुल सोनी ने किया | आयोजन में लघुकथा शोध केंद्र की निदेशक कांता राय ने दोनों रचनाकारों को बधाई देते हुए सभी साहित्य सृजकों पाठकों से आगे भी सहयोग की कामना की इस आयोजन में श्री मुकेश वर्मा ,बिहारीलाल सोनी अनुज, प्रो.गोपेश वाजपेयी , डॉ राजेश श्रीवास्तव , डॉ वर्षा चौबे, शशि बंसल, डॉ कुमकुम गुप्ता , डॉ प्रीति प्रवीण खरे, मधुलिका सक्सेना , अरुण अर्णव खरे, डॉ चितरंजन मित्तल, उषा जायसवाल, सरिता बघेला, विमल शुक्ल, आरती सक्सेना , विभा रश्मि, शेख शहज़ाद उस्मानी, पवन जैन ,शेफालिका सक्सेना, सत्यजीत रॉय , अंतरा करवड़े , मुज़फ्फर इकबाल सिद्दीकी, सहित अनेक साहित्य प्रेमी पाठक और रचनाकार उपस्थित थे |

Umesh Saxena

I am the chief editor of rubarunews.com