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आरटीआई हेल्पलाइन नंबर पर 94250 14008 नंबर पर पहले ही दिन 82 व्हाट्सएप संदेश प्राप्त हुए

सूचना आयोग के RTI हेल्पलाइन में पहले दिन आये 82 प्रकरण// सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने वॉलिंटियर्स की टीम के सहयोग से प्रारंभ किया ऐतिहासिक पहल// जारी किया आरटीआई हेल्पलाइन, सूचना के क्षेत्र में क्रांति लाने में एक अभूतपूर्व पहल

 

दतिया @rubarunews.com>>>>>>>>> मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंगर के द्वारा की गई ऐतिहासिक पहल के रुझान भी मिलने प्रारंभ हो गए हैं। 26 नवंबर 2020 संविधान दिवस के अवसर पर सूचना आयोग भोपाल द्वारा जारी किए गए आरटीआई हेल्पलाइन नंबर पर 94250 14008 नंबर पर पहले ही दिन 82 व्हाट्सएप संदेश प्राप्त हुए।

*वॉलिंटियर्स अंचित जैन ने बताया कैसे कैसे प्रश्न पूछे जा रहे*

इस बीच एक पूरे वॉलिंटियर्स की टीम सूचना आयोग भोपाल में आरटीआई हेल्पलाइन नंबर से जुड़े हुए प्रश्नों का जवाब देने एवं चाही गई जानकारी को कैटिगराइज करने में लगाई गई है। इस पूरे मामले में शिवपुरी के वकील और नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट रहे अभय जैन का योगदान काफी सराहनीय और महत्वपूर्ण रहा है। वॉलिंटियर्स की टीम में सम्मिलित अंचित जैन ने आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी से बात करते हुए बताया कि पहले ही दिन व्हाट्सएप के माध्यम से मध्य प्रदेश के अपीलकर्ताओं ने 82 संदेश भेजें और अपनी अपील के विषय में जानकारी चाही जिसे अगले दिन उन्हें जिसे अगले दिन उन्हें कार्यालयीन समय में उपलब्ध करवा दिया गया।

 

*क्या यह आरटीआई हेल्पलाइन का आईडिया सरकारी तौर पर अडॉप्ट की जा सकती है?*

अब जाहिर है इस प्रयोग से एक सामान्य सा प्रश्न सभी आरटीआई एक्टिविस्ट एवं सामान्य जनमानस के दिमाग में चलता है कि क्या वॉलिंटियर्स की टीम के द्वारा किया जा रहा यह कार्य एक सरकारी रूपरेखा ले सकता है जिसमें सरकारी तौर पर आधिकारिक आरटीआई हेल्पलाइन प्रारंभ कर मध्यप्रदेश सहित भारत के समस्त सूचना आयोगों में यह व्यवस्था सुनिश्चित की जाए कि उस प्रदेश से संबंधित सभी आवेदकों और आरटीआई से जुड़े हुए अपीलकर्ताओं को उनकी अपील के संदर्भ में एवं सामान्य तौर पर आरटीआई से जुड़े प्रश्नों की जानकारी व्हाट्सएप एसएमएस एवं फोन कॉल के माध्यम से उपलब्ध हो पाए। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि यह व्यवस्था भारत के सभी सूचना आयोगों में आधिकारिक तौर पर प्रारंभ कर दी गई तो निश्चित तौर पर सूचना के क्षेत्र में क्रांति आ सकती है।

*45 दिन में आरटीआई की द्वितीय अपील का सूचना आयोगों को करना चाहिए निस्तारण*

सवाल जहां तक सूचना आयोगों की कार्यप्रणाली का है तो आज सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि भारत के लगभग सभी सूचना आयोग द्वितीय अपील का अंबार लगाए बैठे हुए हैं। समय-समय पर इस बात को लेकर आरटीआई से जुड़े हुए एक्सपर्ट सामाजिक कार्यकर्ता एवं सिविल राइट्स एक्सपर्ट इस मामले को उठाते रहे हैं। जिसमें पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी, माहिती अधिकार मंच मुंबई के संयोजक भास्कर प्रभु एवं कई अन्य पूर्व सूचना आयुक्त आरटीआई एक्सपर्ट अपने प्रदेश के सूचना आयोगों को लीगल नोटिस भी भेज चुके हैं जिसमें कर्नाटक एवं कोलकाता हाईकोर्ट के 45 दिन के भीतर द्वितीय अपील का निस्तारण करने संबंधी आदेश का हवाला देकर इन सभी सूचना आयोगों से द्वितीय अपीलीय मामले का निस्तारण 45 दिन के भीतर करने के लिए आवाज उठाया है।

*जो आयोग द्वितीय अपीलों का वर्षों निराकरण नही करते तो क्या हेल्पलाइन पर विचार करेंगे?*

स्वाभाविक बात है कि जहां सूचना आयोग अपीलों का निस्तारण ही सही समय पर नहीं कर पा रहे हैं तो यह प्रश्न उठना लाजिमी है कि क्या ऐसे प्रयोग जिसमें मध्य प्रदेश सूचना आयोग में आयुक्त राहुल सिंह के द्वारा वॉलिंटियर्स की टीम के माध्यम से आरटीआई हेल्पलाइन प्रारंभ कर आरटीआई कानून को मजबूत करने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं तो क्या यही प्रयास अन्य सूचना आयोगों के द्वारा किया जाएगा। क्या सरकारें वास्तव में आरटीआई कानून को इतना अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित बनाने में अपनी रुचि दिखाएंगे? अब यह सब काफी हद तक एक्टिविस्ट और सिविल राइट्स के लिए कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं पर भी निर्भर करता है। यदि पूरे देश से अपने अपने राज्य सूचना आयोग के प्रति सभी एक्टिविस्ट यह करना प्रारंभ कर दें तो निश्चित तौर पर यह कोई असंभव कार्य नहीं है लेकिन इसके लिए सुनियोजित ढंग से प्रयास करने पड़ेंगे। इसमें निरंतर सूचना आयोगों को लिखना पड़ेगा उन्हें लीगल नोटिस भेजनी पड़ेगी, सरकार पर दबाव बनाना पड़ेगा और आवश्यकता पड़े तो हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के भी दरवाजे खटखटाने पड़ेंगे।

 

अब देखना यह है कि मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह के द्वारा वॉलिंटियर्स की टीम के सहयोग से आरटीआई हेल्पलाइन को खोलकर मध्यप्रदेश में किए गए इस ऐतिहासिक और पाथ-ब्रेकिंग नवाचार का और अधिक कितना व्यापक प्रभाव पड़ता है और इससे व्यवस्थाओं में कितना अधिक सुधार आगे हो पाता है। उक्त जानकारी शिवानंद द्विवेदी सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता जिला रीवा मध्य प्रदेश ने दी।