न तख़्तों-ताज न सौगात लेने आया हूँ, अली के लाल की खैरात लेने आया हूँ
भांडेर.SurendraOjha/ @www.rubarunews.com-हज़रत देवगढ़ पिया सरकार जिन्हें ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के 14 ख़लीफ़ा का मर्तबा हासिल है, का शुक्रवार को तीन दिवसीय 10 वां उर्स कब्बाली आयोजन के साथ संपन्न हो गया। चूंकि इस बार कोरोना महामारी का दौर चल रहा है और भीड़ इकट्ठी न हो लिहाज़ा इसे देखते हुए कब्बाली कार्यक्रम भांडेर की जगह देवगढ़ स्थित मज़ार परिसर क्षेत्र में किया गया और इस बार फिर चाहे चादरपोशी कार्यक्रम हो या कब्बाली, मुरीदों (शिष्यों) तक ही सीमित रखा गया।
अब ये बिगड़ी बना दो मेरे देवगढ़ पिया
कब्बाली कार्यक्रम की शुरुआत मज़ार पर चिराग़ रोशन कर दिन में 12 बजे प्रारम्भ हुआ। “न तख़्तों-ताज न सौगात लेने आया हूँ, अली के लाल की खैरात लेने आया हूँ” कब्बाली के साथ कब्बालद्वय अल्ताफ़ हुसैन तथा मोहसिन हुसैन ने कार्यक्रम का आगाज़ किया। देवगढ़ किला जिसका दूसरा नाम पथरीगढ़ का किला भी है और जिसके ऊंचे – ऊंचे परकोटे, आसपास पहाड़ियों पर बिखरी हरियाली और सर्दी का सुरमई अहसास इन सबके बीच फ़िजां में गूंजती संगीतमय स्वरलहरियों ने खूबसूरत माहौल उत्पन्न कर दिया। यह खूबसूरती तब और बढ़ गई जब कब्बालद्वय द्वारा देश की गंगा जमुनी तहज़ीब को जीवंत करते हुए बजरंगबली पर सुंदर सा भजन प्रस्तुत करते हुए उनके द्वारा जन्म के बाद सूरज को निगलने का वर्णन किया। इस कार्यक्रम में ख़्वाजा ग़रीब नवाज़, हज़रत देवगढ़ पिया सरकार पर जहां कब्बालियाँ प्रस्तुत की वहीं सूफ़ी निजामुद्दीन औलिया के मुरीद अमीर खुसरो की “अपनी छवि को लेकर जो मैं पी के पास गई” प्रस्तुत की तो वह पल मुरीदों के लिए अविस्मरणीय रहा। कार्यक्रम की अंतिम रचना हजरत देवगढ़ की शान में रंग ” ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ जी, साबिर पिया जी, आये हुए है, मैं तो एसो रंग देखूं कहीं ओर ना” पढ़ी गई। इसके साथ ही तीन दिनों तक चला उर्स सम्पन्न हो गया। आयोजन समिति में गद्दीनशीं समीर बाबा, गद्दीपोश शाहिद अली, इकबाल, मोनू मिश्रा, सुजान सिंह सेंगर, विनोद व्यास, शेरअली पठान, शहीद, राजेश गिरी, आदि ने प्रशासन सहित हज़रत देवगढ़ पिया सरकार के चाहने वालों का आयोजन सफल होने पर आभार व्यक्त किया है।